G20 summit 2023: जानिए आखिर जी-20 सम्मेलन के बारे में अंतरराष्ट्रीय मीडिया में क्या रहीं सुर्खियां
G20 summit 2023: शिखर सम्मेलन से पहले अंतरराष्ट्रीय मीडिया के एक वर्ग ने कच्ची बस्तियों को तोड़ने, भारत में लोकतंत्र की स्थिति, भारत की आर्थिक असमानता जैसे विषयों पर भी खबरें प्रकाशित कीं।
G20 summit 2023: नई दिल्ली में 9-10 सितम्बर को आयेाजित 18वें जी-20 शिखर सम्मेलन की शुरूआत से पहले अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने शिखर सम्मेलन में भाग लेने आ रहे अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रॉन और अन्य गणमान्य विश्व नेताओं की मेजबानी के बारे में कई खबरें चलाईं। शिखर सम्मेलन से पहले अंतरराष्ट्रीय मीडिया के एक वर्ग ने कच्ची बस्तियों को तोड़ने, भारत में लोकतंत्र की स्थिति, भारत की आर्थिक असमानता जैसे विषयों पर भी खबरें प्रकाशित कीं।
लेकिन शिखर सम्मेलन में स्वीकार किए न्यू डेल्ही डिक्लेरेशन के बाद दुनिया के लगभग हर महत्वपूर्ण अखबार और टीवी नेटवर्क ने इसे एक बड़ी उपलब्धि बताया और कहा कि सदस्य देशों के बीच आम सहमति बनाना पीएम मोदी के लिए एक कूटनीतिक जीत रही।
नई दिल्ली घोषणा (न्यू डेल्ही डिक्लेरेशन)
जिस समय शिखर सम्मेलन आयोजन स्थल पर बने विशाल अंतरराष्ट्रीय मीडिया सेंटर में एकत्रित मीडियाकर्मी शिखर सम्मेलन के संभावित नतीजों के बारे में चर्चा कर रहे थे, उसी समय यहां के बड़े एलईडी स्क्रीन पर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की एक क्लिप चलाई गई। इसमें उन्होंने कहा “अभी-अभी अच्छी खबर आई है। हमारी टीमों की कड़ी मेहनत और आपके सहयोग से, नई दिल्ली जी-20 नेताओं के शिखर सम्मेलन की घोषणा (डिक्लेरेशन) पर आम सहमति बन गई है... मेरा प्रस्ताव है कि इस घोषणा को स्वीकार किया जाए। मैं घोषणा को स्वीकार किए जाने की घोषणा करता हूं।”
बीबीसी ने इसे “जी-20 शिखर सम्मेलन में अप्रत्याशित रूप से बड़ी सुर्खियों का दिन“ बताया। बीबीसी की रिपोर्ट में कहा गया कि कुछ लोगों को उम्मीद थी कि यूक्रेन में युद्ध को लेकर समूह के सदस्यों के बीच तीव्र मतभेदों को देखते हुए शिखर सम्मेलन के पहले दिन कोई संयुक्त घोषणा हो सकती है। बीबीसी ने कहा, “ऐसा प्रतीत होता है कि न्यू डेल्ही डिक्लेरेशन पश्चिम और रूस दोनों को सकारात्मकता तलाशने का अवसर देने के हिसाब से डिजाइन किया गया है।“
न्यूयॉर्क टाइम्स ने न्यू डेल्ही डिक्लेरेशन को पिछले साल स्वीकार किए गए बाली डिक्लेरेशन के बाद “आंखें खोल कर आगे बढ़ने वाला“ डिक्लेरेशन बताया। बाली में विश्व नेताओं ने यूक्रेन पर आक्रमण के लिए रूस की निंदा की थी।
शिकागो ट्रिब्यून और यूएस न्यूज ने एसोसिएटेड प्रेस की रिपोर्ट चलाई जिसमें कहा गया था “मोदी की कूटनीतिक जीत के तहत भारत ने जी-20 शिखर सम्मेलन में विभाजित विश्व शक्तियों के बीच समझौता कराया।”
वाशिंगटन पोस्ट ने कहा, “जी-20 समझौता यूक्रेन पर तीव्र मतभेदों और ग्लोबल साउथ के बढ़ते दबदबे को दर्शाता है।” जबकि यूके के द गार्जियन ने कहा, “ जी-20 का यूक्रेन पर कमजोर बयान भारत के बढ़ते प्रभाव का संकेत है।” वॉल स्ट्रीट जर्नल ने लिखा, “जैसे-जैसे भारत बढ़ रहा है, जी-20 एक बदलती हुई विश्व व्यवस्था को बता रहा है।“
बीजिंग ने न्यू डेल्ही डिक्लेरेशन की सराहना तो की, साथ ही कहा कि जी-20 आर्थिक मुद्दों के लिए एक संस्था है, न कि भू-राजनीति के लिए। अल जजीरा ने बताया कि “शिखर सम्मेलन के समापन पर रूस ने ‘संतुलित’डिक्लेरेशन की सराहना की।”
पर्यवेक्षकों ने नई दिल्ली शिखर सम्मेलन को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वैश्विक मंच पर भारत का दबदबा बढ़ाने के एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में देखा। हांगकांग से प्रकाशित साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने लिखा “सम्मेलन ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन को अपने मेजबान के साथ संबंधों को गहराई देने और विकासशील देशों तक पहुंचने का अवसर भी प्रदान किया।”
वाशिंगटन पोस्ट और सीएनएन ने भी इंडिया-मिडिल ईस्ट- यूरोप इकॉनॉमिक कॉरिडोर की घोषणा को प्रमुखता से प्रकाशित किया और इसे “एक महत्वाकांक्षी प्रस्ताव बताया । जिसका उद्देश्य एक अस्थिर क्षेत्र को जोड़ना और दुनिया भर में बड़े पैमाने पर तैयार की जा रही बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को चीन से मिल रहे सहयोग को चुनौती देना है।”