भारत में पड़ेगा सूखा! मौसम विभाग ने दी चेतावनी, जानिए क्या है वजह

अचानक सूखा पड़ने से दो-तीन हफ्ते के अंदर एक बड़ा क्षेत्र प्रभावित हो सकता है। इससे फसल पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा और सिंचाई के लिए पानी की मांग बढ़ेगी।

Update: 2021-03-01 13:39 GMT
IIT गांधीनगर के अध्ययन में दावा- जलवायु परिर्वतन से भारत में तेजी से पड़ेगा सूखा

नई दिल्ली :भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) गांधीनगर में अनुसंधानकर्ताओं के एक अध्ययन में यह दावा किया गया है। जलवायु परिवर्तन की वजह से भारत में भविष्य में सूखा पड़ने की तीव्रता बढ़ेगी, जिसका फसल उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, सिंचाई की मांग बढ़ेगी और भूजल का दोहन बढ़ेगा।

मिट्टी की नमी में तेजी से कमी

अनुसंधानकर्ताओं के मुताबिक, मिट्टी की नमी में तेजी से कमी आने से अचानक सूखा पड़ने की तीव्रता बढ़ेगी। परंपरागत सूखे की तुलना में अचानक सूखा पड़ने से दो-तीन हफ्ते के अंदर एक बड़ा क्षेत्र प्रभावित हो सकता है। इससे फसल पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा और सिंचाई के लिए पानी की मांग बढ़ेगी।

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सूखे में मानव जनित जलवायु परिवर्तन

यह अध्ययन एनपीजे क्लाइमेट जर्नल में प्रकाशित हुआ है। इसमें मॉनसून के दौरान पड़ने वाले सूखे में मानव जनित जलवायु परिवर्तन की भूमिका की पड़ताल की गई है। अनुसंधानकर्ताओं ने भारतीय मौसम विभाग की ओर से एकत्र किए गए मिट्टी के नमूनों और जलवायु अनुमान का उपयोग अध्ययन में किया।

अनुसंधानकर्ताओं ने अपने अध्ययन

उल्लेखनीय है कि अनुसंधानकर्ताओं ने अपने अध्ययन में इस बात का भी जिक्र किया है कि 1951 से 2016 के बीच सबसे भीषण सूखा 1979 में पड़ा था। इस दौरान देश का 40 फीसदी से अधिक हिस्सा इससे प्रभावित हुआ था।

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सिविल इंजीनियिरिंग के एसोसिएट

इसे लेकर आईआईटी गांधीनगर में सिविल इंजीनियिरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर विमल मिश्रा ने कहा, 'हमने अध्ययन में पाया कि मानसून में अंतराल से या मानसून आने में देर होने से भारत में अचानक सूखा पड़ने की स्थिति देखी गई है और इसकी वजह से भविष्य में अचानक सूखा पड़ने की तीव्रता बढ़ेगी।

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