Gautam Gambhir: गौतम गंभीर का राजनीति से यूं ही नहीं हुआ मोहभंग, तय हो गया था टिकट कटना, जानिए क्या थे इसके कारण
Gautam Gambhir: पांच साल पहले उन्होंने काफी धूमधड़ाके के साथ सियासी मैदान में कदम रखा था मगर लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने राजनीति की दुनिया को छोड़ने का फैसला किया है।
Gautam Gambhir: मशहूर क्रिकेटर गौतम गंभीर राजनीति की दुनिया को अलविदा कह दिया है। उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा को पत्र लिखकर अपने फैसले की जानकारी दे दी है। पांच साल पहले उन्होंने काफी धूमधड़ाके के साथ सियासी मैदान में कदम रखा था मगर लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने राजनीति की दुनिया को छोड़ने का फैसला किया है। गौतम गंभीर का राजनीति से मोहभंग होना अनायास नहीं है बल्कि इसके पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं।
2019 के लोकसभा चुनाव में गौतम गंभीर ने पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट से चुनाव जीता था मगर इस बार उनका टिकट कटना तय माना जा रहा था। भाजपा के स्थानीय नेतृत्व के साथ पिछले पांच वर्षों के दौरान उनकी ट्यूनिंग नहीं दिखी और भाजपा की प्रदेश इकाई के साथ भी उनके रिश्ते सहज नहीं थे। माना जा रहा है कि इसीलिए पार्टी की ओर से राजधानी दिल्ली के टिकटों का ऐलान होने से पहले ही गंभीर ने राजनीति की दुनिया को अलविदा कहने का फैसला कर लिया। इसके साथ ही गौतम गंभीर क्रिकेट को अपना पहला प्यार मानते रहे हैं और वे अब क्रिकेट की दुनिया में ज्यादा सक्रिय भूमिका निभाने के इच्छुक हैं।
पार्टी में आने के बाद तुरंत मिला टिकट
गौतम गंभीर ने 2016 में टीम इंडिया के लिए आखिरी टेस्ट मैच खेला था और इसके बाद उन्होंने 2019 में भाजपा के सदस्यता ग्रहण कर ली थी। भाजपा में शामिल होने के तुरंत बाद उन्हें पूर्वी दिल्ली से लोकसभा चुनाव का टिकट दे दिया गया था। इस चुनाव में गौतम गंभीर ने कांग्रेस के कद्दावर नेता और दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली को हराने में कामयाबी हासिल की थी।
2019 के लोकसभा चुनाव में गौतम गंभीर को करीब सात लाख वोट मिले थे और उन्होंने लवली को तीन लाख 91 हजार मतों से हराया था। इसके बाद माना जा रहा था कि गौतम गंभीर राजनीति के दुनिया में लंबी पारी खेलेंगे मगर पांच वर्षों में ही उनका राजनीति से मोह भंग हो गया और उन्होंने राजनीति को छोड़ने का फैसला कर लिया।
भाजपा के कार्यक्रमों से गंभीर की दूरी
2019 का चुनाव जीतने के बाद गौतम गंभीर राजनीति की दुनिया में ज्यादा सक्रिय नहीं रहे हैं। भाजपा की ओर से घोषित कार्यक्रमों में भी उनकी काफी कम सहभागिता रही है। काफी कम मौकों पर वे पार्टी के ओर से आयोजित धरना और प्रदर्शनों में शामिल हुए हैं।
इसके साथ ही पार्टी के स्थानीय स्तर के नेताओं के साथ भी गौतम गंभीर का लगातार मतभेद बना रहा। इसे लेकर पार्टी का शीर्ष नेतृत्व भी गौतम गंभीर से नाराज था। माना जा रहा है कि इसी कारण पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने इस बार पूर्वी दिल्ली से उनका टिकट काटने का फैसला कर लिया था।
इस बार नहीं भेजा गया था गंभीर का नाम
एक उल्लेखनीय बात यह भी है कि भाजपा की प्रदेश इकाई की ओर से केंद्रीय चुनाव समिति को पूर्वी दिल्ली के लिए भेजे गए पैनल में भी गौतम गंभीर का नाम शामिल नहीं था। भाजपा सूत्रों का कहना है कि प्रदेश इकाई की ओर से केंद्रीय नेतृत्व के पास पूर्वी दिल्ली सीट के लिए पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा और मंत्री हर्ष मल्होत्रा का नाम भेजा गया है।
ऐसे में गौतम गंभीर को इस बात का एहसास हो गया था कि इस बार उनका टिकट कटना तय है और उन्होंने टिकटों के ऐलान से पहले ही सम्मानजनक तरीके से राजनीति को छोड़ने का ऐलान कर दिया।
स्थानीय नेताओं के साथ ट्यूनिंग नहीं
जानकार सूत्रों का कहना है कि पिछले वर्ष आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान गौतम गंभीर का स्थानीय विधायक ओपी शर्मा के साथ काफी विवाद भी हो गया था। इसके बाद भाजपा की प्रदेश इकाई के एक मजबूत धड़े की ओर से सांसद के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग भी की गई थी।
विधायक की ओर से अपने खिलाफ तीखे शब्दों का इस्तेमाल किए जाने की शीर्ष नेतृत्व से शिकायत भी की गई थी। इसके साथ ही गौतम गंभीर पर स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं की अनदेखी के आरोप भी लगते रहे हैं। भाजपा के स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ वे सामंजस्य नहीं बिठा पा रहे थे और इस कारण उन्होंने राजनीति से अलग होने का बड़ा ऐलान कर डाला।
अब क्रिकेट पर ज्यादा फोकस करेंगे गंभीर
अपने जमाने के मशहूर क्रिकेटर गौतम गंभीर ने पिछले साल अपनी पुरानी आईपीएल टीम केकेआर के मेंटर की जिम्मेदारी संभाली थी। इससे पहले वे लखनऊ सुपर जायंट्स की टीम के मेंटर की भूमिका निभा रहे थे। गौतम गंभीर की कप्तानी में ही केकेआर की टीम 2014 और 2016 में आईपीएल चैंपियन बनने में कामयाब हुई थी। अब गौतम गंभीर मेंटर के रूप में अपनी पुरानी टीम को एक बार फिर आईपीएल का चैंपियन बनाना चाहते हैं।
आईपीएल की समाप्ति के बाद वे कमेंटेटर के रूप में भी सक्रिय भूमिका निभाने वाले हैं। हालांकि सांसद होने के बावजूद वे क्रिकेट के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में जुटे हुए थे। क्रिकेट में अपनी व्यस्तताओं के चलते वे राजनीति को ज्यादा समय नहीं दे पा रहे थे। माना जा रहा है कि इसलिए उन्होंने अपने पहले प्यार क्रिकेट पर ही ज्यादा फोकस करने का फैसला किया है।