Modi in US: GE का लड़ाकू जेट इंजन, एचएएल और मारुत से तेजस 2 का सफ़र

Modi in US: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान एक एमओयू साइन हुआ। भारत जनरल एटॉमिक्स के 16 एमक्यू 9 बी सशस्त्र सी गार्डियंस ड्रोन की खरीद करेगा।

Update:2023-06-22 17:18 IST
Modi in US (Image: Social Media)

Modi in US: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका यात्रा में रक्षा सम्बन्धी बड़ी डील में जेट विमानों का भारत में उत्पादन किया जाना शामिल है। इसी बारे में अमेरिका ने भारत में जीई (जनरल इलेक्ट्रिक) के एफ 414ए जेट इंजन के संयुक्त उत्पादन को मंजूरी दे दी है। इसके अलावा भारत जनरल एटॉमिक्स के 16 एमक्यू 9 बी सशस्त्र सी गार्डियंस ड्रोन की खरीद करेगा।

पहले भारत की सेना अन्य देशों द्वारा लाए गए विमानों और उपकरणों पर निर्भर थी। लेकिन अब अपना स्वदेशी सैन्य उद्योग बहुत मजबूत हो गया है। भारत के शस्त्रागार में सबसे उन्नत विमान घरेलू ‘एचएएल तेजस’ है जो एक डेल्टा विंग फाइटर है जिसकी जल्द ही दूसरी पीढ़ी बनाई जाएगी। शायद आपको पता नहीं हो कि तेजस की जड़ें 1960 के दशक की शुरुआत में पाई जाती हैं। कुछ समय के लिए, भारत की सेना अन्य देशों द्वारा लाए गए विमानों और उपकरणों पर निर्भर थी। हालाँकि, हाल के दिनों में देशों का अपना सैन्य उद्योग बहुत मजबूत हो गया है। फिलहाल इसके शस्त्रागार में सबसे उन्नत विमान इसका घरेलू एचएएल तेजस हो सकता है। यह एक डेल्टा विंग फाइटर है जिसकी जल्द ही दूसरी पीढ़ी बनाई जाएगी। तेजस का निर्माण हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है।

कुछ एचएएल के बारे में

हिंदुस्तान एयरक्राफ्ट लिमिटेड की स्थापना 1940 में तत्कालीन मैसूर साम्राज्य के सहयोग से वालचंद हीराचंद द्वारा बैंगलोर में की गई थी। वालचंद हीराचंद कंपनी के अध्यक्ष थे। भारत सरकार ने कंपनी में एक तिहाई हिस्सेदारी खरीदी और अप्रैल 1941 तक ₹25 लाख का निवेश किया। 2 अप्रैल 1942 को, सरकार ने घोषणा की कि कंपनी का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया है जब उसने सेठ वालचंद हीराचंद और अन्य प्रमोटरों की हिस्सेदारी खरीद ली थी ताकि वह स्वतंत्र रूप से कार्य कर सके। 1943 में बैंगलोर फैक्ट्री को यूनाइटेड स्टेट्स आर्मी एयर फोर्स को सौंप दिया गया था। फैक्ट्री का तेजी से विस्तार हुआ।

यह अमेरिकी विमानों के प्रमुख ओवरहाल और मरम्मत का केंद्र बन गया। इसे 84वें एयर डिपो के रूप में जाना जाता था। 1947 में भारत को आज़ादी मिलने के बाद, कंपनी का प्रबंधन भारत सरकार को सौंप दिया गया। इसका नाम हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड हो गया।

बात जर्मन इंजीनियर की

हिंदुस्तान एयरक्राफ्ट लिमिटेड या एचएएल सुपरसोनिक लड़ाकू विमानों के निर्माण में जाना चाहती थी । लेकिन ये महत्वाकांक्षा 1950 के दशक में बिल्कुल नई थी। वहीँ से ‘मारुत’ विमान उत्पत्ति हुई। एचएएल के सैन्य लड़ाकू विमानों डेवलप करने का अनुभव नहीं था। सो मशहूर जर्मन एरोनॉटिक्स इन्जीनियर कर्ट टैंक की मदद ली गयी। कर्ट टैंक ने ही द्वितीय विश्व युद्ध के प्रसिद्ध फॉक-वुल्फ़ एफडब्ल्यू 190 विमान डेवलप किये थे, जो जर्मनी का युद्ध का सबसे अच्छा लड़ाकू विमान माना गया था। बहरहाल 24 सितंबर, 1961 को ‘एचएफ-42 मारुत’ के पहले प्रोटोटाइप ने अपनी पहली उड़ान भरी। यह भारत के विमान उद्योग के लिए एक बड़ा कदम था।

मारुत हालाँकि बहुत सफल नहीं हुआ लेकिन इसने भारतीय विमानन के भविष्य के लिए एक बहुत ही ठोस आधार के रूप में काम किया, यह भारत का पहला घरेलू लड़ाकू जेट था। मारुत ने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान अच्छी सेवा की थी। साथ ही, यह उल्लेखनीय रूप से सुरक्षित विमान बन गया था, जो ब्रिटिश फोलैंड नेट जैसे अन्य भारतीय वायु सेना के विमानों से बेहतर था। तमाम आशंकाओं और समस्याओं के बावजूद, मारुत 1990 तक सेवा में बना रहा, 1980 के दशक के दौरान विमान धीरे-धीरे समाप्त हो गया।

तेजस में लगा है जीई का इंजन

भारत के लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट ‘तेजस’ में जनरल इलेक्ट्रिक का बनाया हुआ इंजन लगा है। अब तेजस के एडवांस वर्जन तेजस मार्क 2 विमान में भी जीई का जीई-एफ414 आईएन6 इंजन लगाया जाएगा। इसके लिए अमेरिका से साथ 200 से ज्यादा इंजन भारत में ही बनाने का समझौता है। विमानन की दुनिया में जेट इंजन प्रौद्योगिकी के महत्व को कम करके नहीं आंका जा सकता। इसे व्यापक रूप से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है, और ये सिर्फ कुछ चुनिंदा देशों के पास ही यह है। इन इंजनों का निर्माण भारत में होने से भारतीय हवाई क्षेत्र में बड़ा बदलाव आएगा।

अत्याधुनिक जीई एफ 414 जेट इंजन अमेरिकी नौसेना के पसंदीदा लड़ाकू विमान एफ/ए-18 हॉर्नेट को शक्ति देने के लिए प्रसिद्ध है। रिपोर्टों से पता चलता है कि अमेरिका सौदे के मूल्य का 80 प्रतिशत तक प्रौद्योगिकी ट्रान्सफर को तैयार है। जीई एफ 414 आईएन 6 इंजन एक बार भारत में निर्मित होने के बाद, न केवल स्वदेशी तेजस मार्क 2 फाइटर को शक्ति प्रदान करेगा, बल्कि भविष्य के एमसीए (एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट) को भी शक्ति देगा, ये एक स्टील्थ फाइटर है जो अपार संभावनाएं रखता है।

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