OMG: इस वर्ल्ड फेमस यूनिवर्सिटी के सेलेब्स में शामिल हो गए भूत, मिलेगा भूत विद्या का ज्ञान
अगले साल से बीएचयू में ‘भूत विद्या’ की पढ़ाई शुरु होगी। अगले साल इसे पाठ्यक्रम में शामिल किया जा सकेगा। अब जिनको इंटरेस्ट होगा वो बीएचयू में 'भूत विद्या' या 'साइंस ऑफ पैरानॉर्मल' की पढाई कर सकते हैं, बीएचयू में इस विषय पर छह महीने का सर्टिफिकेट कोर्स शरू हो रहा है।
वाराणसी: हम जब भी खुद की बात करते हैं तो साथ में आत्मा की भी बात होती है। कहते हैं आत्मा नश्वर होती है। इसी में कुछ अच्छी तो कुछ बुरी होती है। लोग बुरी आत्माओं को भूत का नाम देते हैं। लोगों के लिए भूतों की दुनिया, अलौकिक या अप्राकृतिक रूप से रहस्यमयी दुनिया है। इसे जानने की उत्सुकता हमेशा से रहती।
खबर है कि अगले साल से बीएचयू में ‘भूत विद्या’ की पढ़ाई शुरु होगी। अगले साल इसे पाठ्यक्रम में शामिल किया जा सकेगा। अब जिनको इंटरेस्ट होगा वो बीएचयू में 'भूत विद्या' या 'साइंस ऑफ पैरानॉर्मल' की पढाई कर सकते हैं, बीएचयू में इस विषय पर छह महीने का सर्टिफिकेट कोर्स शरू हो रहा है।
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भूत विद्या एक मनोचिकित्सा है और छह महीने के सर्टिफिकेट कोर्स में, डॉक्टरों को मनोचिकित्सा संबंधी विकारों और असामान्य कारणों से होने वाली असामान्य मनोवैज्ञानिक स्थितियों के इलाज के लिए उपचार और मनोचिकित्सा के बारे में सिखाया जाएगा, जिसे कई लोग भूत की वजह से होना मानते हैं। पहले बैच की कक्षा जनवरी से शुरू होगी और आयुवेर्द विभाग संचालित करेगा। लोग सायकोसोमैटिक अर्थात मानसिक बीमारी को भूत मानते हैं।
'भूत' के कारण होने वाले मानसिक विकारों और बीमारियों का उपचार बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी (बीएएमएस) और बैचलर ऑफ मेडिसिन एंड बैचलर ऑफ सर्जरी (एमबीबीएस) डिग्री धारकों को सिखाया जाएगा।
आयुवेर्द विभाग की डीन यामिनी भूषण त्रिपाठी के अनुसार, “ब्रांच के बारे में डॉक्टरों को औपचारिक शिक्षा प्रदान करने के लिए आयुवेर्द संकाय में भूत विद्या की एक अलग इकाई बनाई गई है। उन्होंने कहा, यह भूत-संबंधी बीमारियों और मानसिक विकारों के इलाज के आयुर्वेदिक उपचार से संबंधित है।
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उन्होंने कहा कि भूत विद्या अष्टांग आयुवेर्द की 8 बुनियादी शाखाओं में से एक है। यह मुख्य रूप से मानसिक विकारों, अज्ञात कारणों और मन या मानसिक स्थितियों के रोगों से संबंधित है। बीएचयू में आयुवेर्द संकाय, भूत विद्या की एक अलग इकाई बनाने और विषय पर एक सर्टिफिकेट कोर्स डिजाइन करने वाला देश का पहला संकाय है।
इस आयुर्वेद शाखा के लिए छह महीने पहले एक अलग इकाई स्थापित करने के प्रयास शुरू हुए थे। इसमें सभी 16 विभागों के प्रमुखों की बैठक के बाद इस प्रस्ताव का मसौदा तैयार किया गया था। फिर यह प्रस्ताव विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद को भेजा गया, जिसने अष्टांग आयुवेर्द की बुनियादी शाखाओं में से एक पर एक अलग इकाई और एक प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम को मंजूरी दी।
विभाग एसोसिएट प्रोफेसर आयुवेर्द वैद्य सुशील कुमार दुबे ने कहा, “नई इकाई भूत विद्या से संबंधित विभिन्न चीजों के अध्ययन में मदद करेगी, जो पूरी तरह से आयुर्वेदिक तरीके से मनोवैज्ञानिक विकारों और असामान्य मानसिक स्थिति से संबंधित है।