SEBI Chief: शुरू हुई नए सेबी चीफ की तलाश, सरकार ने मांगे आवेदन, बुच का टर्म 28 फरवरी को खत्म हो रहा
SEBI Chief: बाजार नियामक "सेबी" की विवादास्पद चीफ माधुरी पुरी बुच का टर्म 28 फ़रवरी को खत्म हो रहा है। ऐसे में वित्त मंत्रालय ने नए चीफ की तलाश के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं।;
SEBI Chief: बाजार नियामक "सेबी" की विवादास्पद चीफ माधुरी पुरी बुच का टर्म 28 फ़रवरी को खत्म हो रहा है। ऐसे में वित्त मंत्रालय ने नए चीफ की तलाश के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। आर्थिक मामलों के विभाग द्वारा जारी विज्ञापन में कहा गया है कि - "सरकार भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड में अध्यक्ष के पद को भरने के लिए योग्य उम्मीदवारों से आवेदन आमंत्रित करती है। नियुक्ति कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से अधिकतम पांच वर्ष की अवधि के लिए या नियुक्त व्यक्ति के 65 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक, जो भी पहले हो, के लिए की जाएगी।" विज्ञापन में कहा गया है कि नए नियुक्त व्यक्ति सरकार के सचिव के समान वेतन या घर और कार के बिना 5,62,500 रुपये का समेकित मासिक वेतन प्राप्त करना चुन सकते हैं।
मंत्रालय ने 17 फरवरी तक आवेदन मांगे हैं।
चाहे वह सेबी हो या रिज़र्व बैंक या इरडा, सरकार आमतौर पर सभी रेगुलेटर्स को तीन साल का कार्यकाल देती है। यहां तक कि सरकारी बैंकों और अन्य कंपनियों के प्रमुखों का कार्यकाल भी तीन साल का होता है। हालांकि यू.के. सिन्हा और अजय त्यागी के मामले में अपवाद रहे हैं, जो क्रमशः छह और पांच साल तक सेबी के अध्यक्ष रहे, जिन्हें सेवा विस्तार दिए जाने के बाद पुनः सेबी के अध्यक्ष के रूप में रखा गया। यूके सिन्हा 18 फरवरी, 2011 से 1 मार्च, 2017 तक सेबी के अध्यक्ष रहे, जबकि उनके उत्तराधिकारी त्यागी 1 मार्च, 2017 से 28 फरवरी, 2022 तक चीफ रहे।
बुच का कार्यकाल
- बुच ने 2 मार्च, 2022 को तीन साल की अवधि के लिए पदभार ग्रहण किया था, जो 28 फरवरी, 2025 को समाप्त होगा। इससे पहले वह अप्रैल 2017 से मार्च 2022 तक पांच साल के लिए सेबी में पूर्णकालिक सदस्य थीं।
- बुच एकमात्र रेगुलेटर थीं जिन पर सेबी में शामिल होने से पहले अपनी आय के स्रोतों और किए गए निवेशों का खुलासा न करने जैसी गंभीर गड़बड़ियों का आरोप लगाया गया था। इसके अलावा उन पर अगस्त 2024 में अपने पति धवल बुच से जुड़ी कुछ कंपनियों को फायदा पहुंचाने का भी आरोप लगाया गया था।
ये आरोप न्यूयॉर्क स्थित शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग द्वारा लगाए गए थे।
- माधुरी बुच को अडानी ग्रुप से जुड़े ऑफशोर फंड में उनके निवेश और आचार संहिता के उल्लंघन के बारे में विपक्षी कांग्रेस के आरोपों का भी सामना करना पड़ा है।
- सेबी के कर्मचारियों ने भी माधुरी बुच पर काम करने का माहौल खराब करने का आरोप लगाया था।