सरकार ने कहा- आतंकवाद से निपटना प्राथमिकता, सेनाध्यक्ष का चयन योग्यता पर

सरकार ने कहा कि सेनाध्यक्ष का चयन एक पैनल से किया गया है जिसमें सभी अधिकारी योग्य और सक्षम हैं। इनमें सबसे योग्य का चयन किया गया है। मौजूदा परिस्थियों में आतंकवाद से निपटने के आधार पर सेनाध्यक्ष के रूप में उपयुक्त चयन किया गया है।

Update: 2016-12-19 08:28 GMT

नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार ने कहा है कि लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत को योग्यता के आधार पर अगला सेनाध्यक्ष बनाया गया है। सरकार ने कहा है कि यह फैसला पूरी तरह परिस्थितियों और सुरक्षा जरूरतों को ध्यान में रख कर किया गया है। इससे पहले कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों ने सेनाध्यक्ष के पद पर बिपिन रावत की नियुक्ति पर सवाल उठाया था।

सुरक्षा है प्राथमिकता

-रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि सेनाध्यक्ष का चयन एक पैनल से किया गया है जिसमें कमांडर रैंक के अधिकारी शामिल थे।

-मंत्रालय ने कहा कि इस पैनल में सभी अधिकारी योग्य और सक्षम हैं, जिनमें से सबसे योग्य का चयन किया गया है।

-मंत्रालय ने यह भी कहा कि मौजूदा परिस्थितियों में आतंकवाद से निपटने के आधार पर सेनाध्यक्ष के रूप में उपयुक्त चयन किया गया है।

विपक्ष ने किए थे प्रश्न

-इससे पहले सेनाध्यक्ष के रूप में बिपिन रावत की नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए वरिष्ठ कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने ट्वीट किया था।

-उन्होंने पूछा था कि सेनाध्यक्ष की नियुक्ति में वरिष्ठता को आधार क्यों नहीं बनाया गया।

-ट्विटर पर उन्होंने सवाल किया था कि लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीण बख्शी और लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद अली हरीज पर बिपिन रावत को प्राथमिकता क्यों दी गई।

-मनीष ने कहा था कि मध्य कमान के लेफ्टिनेंट जनरल बीएस नेगीदावा के बाद लेफ्टिनेंट जनरल रावत वरिष्ठता में चौथे नंबर पर हैं।

-लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीण बख्शी पूर्वी सेना के कमांडर के रूप में सबसे वरिष्ठ हैं।

-इसी तरह दक्षिणी सेना कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद अली हरीज सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह के बाद सबसे वरिष्ठ हैं।

-सीपीएम पॉलिट ब्यूरो मेंबर मोहम्मद सलीम ने भी कहा था कि सरकार देश के प्रमुख संस्थानों के नियम बदलने के प्रयास कर रही है।

लंबा अनुभव

-हालांकि,1978 में भारतीय सेना में शामिल होने वाले लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत की नियुक्ति को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पसंद माना जा रहा है।

-पाकिस्तान और चीन बॉर्डर पर उनका लंबा अनुभव है। इसके अलावा पूर्वोत्तर में घुसपैठ विरोधी मुहिम में वह एक दशक तक महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं।

-पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक और उससे पहले म्यानमार में सर्जिकल स्ट्राइक की सफलता में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका के चलते वह पीएम की पसंद बने हुए हैं।

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