पनडुब्बी निर्माण: सरकार ने अडानी ग्रुप से जोड़ लिया हाथ, विपक्ष को भी दे दिया जवाब

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई डीएसी बैठक के दौरान चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) बिपिन रावत भी मौजूद थे। देश के पहले सीडीएस के नियुक्ति के बाद यह डीएसी की पहली बैठक थी। बैठक के बाद रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा

Update: 2020-01-22 06:44 GMT

नई दिल्ली :भारतीय नौसेना की छह पनडुब्बियों के निर्माण के लिए रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) ने भारतीय सामरिक भागीदार (एसपी) के तौर पर मंगलवार को मझगांव डॉकयार्ड्स लिमिटेड (एमडीएल) और लासर्न एंड टूब्रो (एलएंडटी) के चयन को हरी झंडी दिखा दी, जबकि 50 हजार करोड़ रुपये के इस पी-75आई प्रोजेक्ट के लिए अडानी डिफेंस, एयरोस्पेस और हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड के दावे को हाई पावर कमेटी ने तकनीकी आधार पर खारिज कर दिया।

 

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इस प्रक्रिया में अडानी डिफेंस को शामिल किए जाने के चलते केंद्र सरकार को लगातार विपक्ष के तीखे हमले का सामना करना पड़ रहा था। विपक्ष का आरोप था कि पनडुब्बी निर्माण का कोई अनुभव नहीं होने के बावजूद सरकार से नजदीकियों के चलते अडानी डिफेंस को यह मौका दिया जा रहा है। डीएसी ने ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देते हुए स्वदेशी निर्मित इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम समेत करीब 5100 करोड़ रुपये के उपकरणों की खरीद को भी मंजूरी दी है।

 

 

 

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई डीएसी बैठक के दौरान चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) बिपिन रावत भी मौजूद थे। देश के पहले सीडीएस के नियुक्ति के बाद यह डीएसी की पहली बैठक थी। बैठक के बाद रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा, नौसेना के पी-75आई प्रोजेक्ट के लिए संभावित मूल उपकरण निर्माताओं (ओईएम्स) को हरी झंडी दिखा दी गई है।

ये ओईएम्स ही भारतीय सामरिक भागीदारों (एसपीज) के साथ मिलकर स्वदेश में एडवांस तकनीक वाली छह पारंपरिक पनडुब्बियों का निर्माण करेंगी। ओईएम के तौर पर रोसोबोरोनएक्सपोर्ट (रूस), नेवल ग्रुप (फ्रांस), दाएवू शिपबिल्डिंग एंड मैरीन इंजीनियरिंग (दक्षिण कोरिया), टीकेएमएस (जर्मनी) और नवांतिया (स्पेन) को चुना गया है, जबकि भारतीय सामरिक भागीदारों में एमडीएल और एलएंडटी को शामिल किया गया है।

अब अगले छह सप्ताह में रक्षा मंत्रालय एमडीएल और एलएंडटी को रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (आरएफपी) जारी करेगा। आरएफपी जारी होने के बाद 3-4 महीने के अंदर दोनों कंपनियों को अपनी बोली जमा करानी होगी। इसके लिए दोनों कंपनियों को चुनी गई पांच ओईएम में से किसी एक को अपने विदेशी साझेदार के तौर पर चुनना होगा।

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बता दें कि भारतीय नौसेना ने इन पनडुब्बियों के लिए निर्माण के लिए 2017 के मध्य में रिक्वेस्ट ऑफ इंफारमेशन (आरएफआई) मांगने के बाद विदेशी मूल कंपनियों के चयन के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (ईओआई) जून 2019 में जारी किया गया था। इस बीच यह प्रक्रिया भारतीय भागीदारों के चयन के मापदंड तय करने के लिए अटकी रही थी। विदेशी कंपनियों के ईओआई पिछले साल सितंबर में खोलकर प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया था। एक बार फिर सरकार संदेह के घेरे में आ गई, इस बार मुद्दा अडाणी ग्रुप को पनडुब्बी ठेका देने के मामले पर नौसेना व रक्षा मंत्रालय आमने-सामने हैं। 45000 करोड़ के इस ठेके में 75-आई प्रोजेक्ट के लिए अडाणी डिफेंस व हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड (HSL) की तरफ से आवेदन किया गया था। इसे नौसेना ने रिजेक्ट कर दिया था, लेकिन रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि इस तरह के ज्वाइंट वेंचर्स को मौका देना चाहिए। यह प्रोजेक्ट मेक इन इंडिया के तहत बड़ा प्रोजेक्ट है।

 

 

 

 

एक खबर के अनुसार सबसे बड़े इस प्रोजेक्ट के तहत 5 आवेदन आए थे। इसमें नौसेना की एंपावर्ड कमेटी ने दो को चुना। इसमें मझगांव डॉक शिपबिलडर्स लिमिटेड और लारसन एंड ट्रूबो शामिल है। दोनों को सबमरीन के बारे में पता है। एंपावर्ड कमेटी के सुझाव पर सरकान ने इस प्रोजेक्ट के लिए अडाणी ग्रुप को चुना है। इस तरह सरकार और नौसेना के बीच विवाद की यही वजह है। कांग्रेस ने भी अडाणी ग्रुप को चुनने पर सरकार पर हमला बोला है। मोदी सरकार पर सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाया है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरेजवाला ने कहा है कि सरकार अपने दोस्तों को पिछे दरवाजे से मदद कर रही है। अडाणी ग्रुप को भले यह प्रोजेक्ट मिला है, लेकिन उसे इसका अनुभव नहीं है।

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