गुजरात कांग्रेस में घमासान तेज, शंकर सिंह वाघेला दे सकते हैं बड़ा झटका

Update:2017-07-21 13:35 IST
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गांधीनगर: गुजरात में कांग्रेस के अंदर चल रहा घमासान और तेज हो गया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता शंकर सिंह वाघेला ने शुक्रवार (21 जुलाई) को अपने जन्मदिन के बहाने अपने समर्थकों को बुलाया है। माना जा रहा है कि वे इसमें पार्टी से इस्तीफे का ऐलान कर सकते हैं।

वाघेला पार्टी हाईकमान के रुख से काफी नाराज चल रहे हैं। वे आगामी गुजरात विधानसभा चुनाव में खुद को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार न बनाए जाने से खासे नाराज हैं। दूसरी ओर कांग्रेस ने पार्टी कार्यकताओं को वाघेला के कार्यक्रम में जाने से मना किया है। पार्टी का मानना है कि वाघेला की वजह से राष्ट्रपति चुनाव में क्रॉस वोटिंग हुई जिसका फायदा एनडीए उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को मिला। इसके लिए वाघेला गुट को जिम्मेदार माना जा रहा है। गुजरात में इसी साल विधानसभा चुनाव होना है और वाघेला के रुख से पार्टी को जबर्दस्त झटका लगा है।

कांग्रेस ने कार्यकताओं को वाघेला के कार्यक्रम में जाने से रोका

अपने जन्मदिन कार्यक्रम में कांग्रेस नेताओं को आने से रोकने पर वाघेला का गुस्सा सातवें आसमान पर है। वे खुलकर सामने आ गए हैं। उन्होंने कहा, कि 'पार्टी को ऐसा करने का अधिकार है मगर यह सब कुछ बहुत पहले ही किया जाना चाहिए था। राष्ट्रपति चुनाव में क्रॉस वोटिंग मैंने नहीं करवाई है। मैंने ही दो एनसीपी के विधायकों को लाकर वोट कराया।' उन्होंने कहा, कि 'मैं दोपहर दो बजे जन्मदिन कार्यक्रम में पहुंचूंगा और वहीं अपनी बात खुलकर रखूंगा। मैंने ही कांग्रेस के 57 एमएलए के वोट करवाए हैं।' किसी जमाने में संघ व बीजेपी का बड़ा चेहरा माने जाने वाले वाघेला के बारे में काफी दिनों से यह कयास लगाया जा रहा है कि वे कांग्रेस में रहेंगे या बीजेपी में लौट जाएंगे। वे बीच-बीच में यह कहकर अटकलों को और तेज करते रहे हैं कि वे आज कांग्रेस में हैं मगर कल कहां होंगे यह नहीं कहा जा सकता।

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दिल्ली में नहीं की सोनिया-राहुल से मुलाकात

वाघेला पिछले दिनों दिल्ली आए तो माना जा रहा था कि यह समझौते का आखिरी मौका था मगर वे राहुल या सोनिया गांधी से मिलने नहीं पहुंचे। फिर पता चला कि वे सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल से मुलाकात करेंगे। मीडिया की टीमें अहमद पटेल के घर के बाहर खड़ी रहीं, लेकिन वाघेला नहीं पहुंचे। वाघेला ने गुजरात भवन में मीडिया से बात की और कहा कि वह किसी निजी काम से दिल्ली आए थे और अब वापस अहमदाबाद जा रहे हैं। उन्होंने साफ किया कि वह न राहुल से मिलने वाले हैं और ना सोनिया गांधी से। उन्होंने अहमद पटेल का तो नाम भी नहीं लिया। वैसे कांग्रेस के कुछ सूत्र कहते हैं कि पार्टी ने तो वाघेला को मुख्यमंत्री की कुर्सी तक ऑफर कर दी। हालांकि, आईटीडीसी के चेयरमैन रहते हुए वाघेला पर भ्रष्टाचार के आरोपों ने उन्हें बैकफुट पर ला दिया है। शायद इसीलिए वह मजबूरी में कांग्रेस का दामन छोडऩा चाहते हैं।

तीसरा मोर्चा भी बना सकते हैं

कांग्रेस से जुड़े सूत्र यह भी कहते हैं कि सीबीआई के दबाव में वाघेला अगर पार्टी छोड़ते भी हैं तो उम्मीद यही है कि वह न तो नई पार्टी बनाएंगे और न बीजेपी के साथ जाएंगे। उनके तीसरा मोर्चा बनाने की संभावनाएं भी जताई जा रही हैं। हालांकि 76 वर्षीय वाघेला के करीबियों का कहना है कि संभवत: वह अपनी उम्र का हवाला देकर राजनीति से संन्यास की घोषणा भी कर सकते हैं लेकिन अपने बेटे को बीजेपी में भेजकर वह खुद को सीबीआई से भी बचा लेंगे और कांग्रेस से भी रास्ता निकाल लेंगे। दिल्ली आए वाघेला ने हर सवाल के जवाब में सिर्फ इतना कहा कि वह व्यक्तिगत कारणों से दिल्ली आए हैं और अगर कोई फैसला सुनाना है कि वह जन्मदिन के दिन सुनाएंगे। वैसे जानकारों का कहना है कि दिल्ली में वाघेला का अहमद पटेल से भी मुलाकात नहीं करना बताता है कि मामला कुछ गड़बड़ है।

 

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