कांग्रेस में पोस्टमॉर्टम : गुजरात में गलत टिकट बांटे जाने का मुद्दा राहुल दरबार तक पहुंचा

एक्जिट पोल के अनुमानों पर कांग्रेस में अहमदाबाद से लेकर दिल्ली तक एकदम सनसनी का माहौल है। कांग्रेस के लोग अभी तक यही सोच रहे थे गुजरात में मध्यम वर्ग और निचले तबके

Update:2017-12-16 21:39 IST
उमाकांत लखेड़ा

उमाकांत लखेड़ा

नई दिल्ली: एक्जिट पोल के अनुमानों पर कांग्रेस में अहमदाबाद से लेकर दिल्ली तक एकदम सनसनी का माहौल है। कांग्रेस के लोग अभी तक यही सोच रहे थे गुजरात में मध्यम वर्ग और निचले तबके का गुस्सा भाजपा को लगातार छठी बार सत्ता की दहलीज तक पहुंचाने के सपने को चकनाचूर करेगा और कांग्रेस का 22 बरस का बनवास खत्म होगा। लेकिन अब कांग्रेस के भीतर यह महसूस होने लगा कि इतने जनाक्रोश के बाद भी अगर भाजपा सत्ता तक पहुंचने में कामयाब होती है तो इसका दोष जनता को नहीं बल्कि कांग्रेस की आंतरिक नाकामियों को देना होगा।

गुजरात कांग्रेस में एक मजबूत गुट जिनमें इस बार टिकट पाने से वंचित कांग्रेसी भी शामिल हैं, ऐसी ही गंभीर शिकायतों का पुलिंदा दिल्ली तक पहुंचा चुके हैं, जिनमें आरोप लगाया जा रहा है कि कई सीटों पर असली वफादारों की अनदेखी करके नाकाबिल लोगों को कांग्रेस के टिकट बेचे गए।

ऐन चुनावों के वक्त अल्पेश ठाकोर को कांग्रेस में शामिल करने की डील राहुल को मंहगी पड़ी। 50 प्रतिशत ओबीसी आबादी जो अब तक भाजपा के साथ रहती थी इस बार कुछ तो कांग्रेस के पक्ष में मुड़ा लेकिन इतना नहीं कि भाजपा को हराने के लिए पर्याप्त हो। इतना जरूर इस बार होगा कि कई ऐसी सीटें कांग्रेस छीनने में कामयाब हो सकेगी जिन पर भाजपा दो दशक से काबिज थी। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी ओबीसी वर्ग से ही आते हैं इसलिए उनका साथ ओबीसी जातियों ने अभी छोड़ा नहीं है। दूसरा यह कि कांग्रेस नेता मणीशंकर अय्यर की नीच शब्दावली के बयान को भाजपा ने अंतिम क्षणों में खूब प्रचारित कर पीएम मोदी के पक्ष में सहानुभूति बटोरी और टीवी मीडिया का इस्तेमाल कर जनता का ध्यान चुनावी मुद्दों से भटकाने में सफलता प्राप्त की।

कांग्रेस में पोस्टमॉर्टम : गुजरात में गलत टिकट बांटे जाने का मुद्दा राहुल दरबार तक पहुंचा

सौराष्ट्र क्षेत्र में टिकट बांटने पर सबसे ज्यादा सवाल उठ रहे हैं। राहुल गांधी की टीम के खास सदस्य राजीव सातव यहां प्रभारी थे। बताया जा रहा है कि करीब दर्जन भर टिकट यहां अल्पेश और भरत सोलंकी के दबाव में बांटे गए। हार्दिक पटेल का कांग्रेस को समर्थन का पूरे गुजरात के पटेलों पर असर पड़ा है लेकिन पूरे गुजरात में जमींदार कौम के तौर पर पाटीदारों के पूरे वोट भाजपा के पक्ष में न आना एक कांग्रेस को ही नहीं हार्दिक पटेल को भी बड़ा झटका माना जा रहा है। पटेल वोटों के कई गढ़ों में कम मतदान होना भी कांग्रेस उम्मीदवारों के पिछड़ने का बड़ा कारण माना जा रहा है।

गुजरात कांग्रेस के कई रणनीतिकारों को पिछले दो दिन में कई चिंता कर देने वाली खबरें मिल रही हैं। ऐसे कई पाटीदार बहुल क्षेत्र कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने चिन्हित किये हैं जहां हार्दिक पटेल की जोरदार चुनावी सभाएं हुई हैं लेकिन भाजपा से खिन्न कई पाटीदार मतदाता चुनाव के दिन वोट डालने नहीं गए।

कांग्रेस में पोस्टमॉर्टम : गुजरात में गलत टिकट बांटे जाने का मुद्दा राहुल दरबार तक पहुंचा

इसकी कई वजहों में यह बात भी शिद्दत से मानी जा रही थी कि ताकतवर पाटीदार समुदायों के भाजपा और उसके मौजूदा तंत्र से सीधे व्यापारिक हित जुड़े हुए हैं। माना जा रहा है कि कई पाटीदार मतदाताओं को इस बात के लिए मनाया गया कि वे अगर भाजपा को वोट नहीं देना चाहते तो उसके खिलाफ वोट डालने के लिए मतदान केंद्रों की ओर रुख न करें। भाजपा की इस रणनीति का भी कई क्षेत्रों में असर पड़ा और भाजपा विरोधी पटेलों ने मतदान केंद्रों से किनारा कर भाजपा की परोक्ष मदद की।

भाजपा विरोधी वोटों के बिखराव से भी कई सीटों पर कांग्रेस को सीधा नुकसान आंका जा रहा है। आम आदमी पार्टी ने करीब 50 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे। कांटे के मुकाबले वाली सीटों पर भाजपा विरोधी मतों के बंटने का सीधा लाभ भाजपा ने बटोरने में कोई कसर नहीं छोड़ी। कई सीटों पर आम आदमी पार्टी ने जातीय समीकरणों के हिसाब से टिकट बांटे थे। बसपा व चुनावों के दो माह पूर्व कांग्रेस छोड़ने वाले शंकर सिंह वाघेला ही नहीं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने भी भाजपा विरोधी वोटों को ही तोड़ा। कम अंतर पर हार जीत का फैसला करने वाली कई सीटों पर कांग्रेस उम्मीदारों की जीत की संभावनाओं को तगड़ा झटका माना जा रहा है।

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