Morbi Bridge Accident: मोरबी हादसे का क्या होगा सियासी असर, लापरवाही पर उठे सवाल, कांग्रेस का बड़ा दावा

Morbi Bridge Accident: कांग्रेस की ओर से मोरबी हादसे को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। मोरबी विधानसभा क्षेत्र में हमेशा भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला होता रहा है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update:2022-11-01 13:51 IST

मोरबी हादसे का सियासी असर (photo: social media )

Morbi Bridge Accident: गुजरात में जल्द विधानसभा चुनाव होने हैं और ऐसे माहौल में मोरबी का पुल हादसा भाजपा के लिए मुसीबत बनता दिख रहा है। मोरबी हादसे में 134 लोगों की मौत के बाद पूरे गुजरात का माहौल गमगीन दिख रहा है और इसका सियासी असर पड़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। गुजरात में हर जगह इन दिनों मोरबी हादसे की ही चर्चा है और काफी संख्या में लोगों की इस हादसे में मौत के बाद लापरवाही को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं।

मौजूदा समय में मोरबी विधानसभा सीट पर भाजपा का कब्जा है मगर इस विधानसभा क्षेत्र के चुनाव पर हादसे का असर पड़ सकता है। कांग्रेस की ओर से मोरबी हादसे को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं और पार्टी का कहना है कि मोरबी ही नहीं बल्कि राज्य की अन्य विधानसभा सीटों पर भी इसका बड़ा असर पड़ेगा। यही कारण है कि राज्य सरकार और भाजपा की ओर से डैमेज कंट्रोल की पूरी कोशिशें की जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आज का मोरबी दौरा भी इसी कड़ी का हिस्सा माना जा रहा है।

मोरबी सीट का सियासी इतिहास

मोरबी विधानसभा क्षेत्र में हमेशा भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला होता रहा है। 1995 से 2012 तक इस विधानसभा सीट पर भाजपा का कब्जा रहा है मगर 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को शिकस्त दे दी थी। 2017 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी बृजेश मेरजा ने इस सीट पर भाजपा उम्मीदवार कांति अमृतिया को 3400 से अधिक मतों से पराजित किया था। हालांकि कांग्रेस के लिए यह खुशी ज्यादा लंबी नहीं रह सकी क्योंकि बृजेश मेरजा ने बाद में भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। मेरजा के भाजपा में शामिल होने के बाद 2020 में इस सीट पर उपचुनाव कराया गया था जिसमें भाजपा उम्मीदवार के रूप में मेरजा ने एक बार फिर जीत हासिल कर ली थी। मोरबी विधानसभा सीट पर पाटीदार समुदाय बड़ा असरकारक माना जाता है।

टिकट को लेकर दो नेताओं में खींचतान

उपचुनाव में जीत हासिल करने के बाद मेरजा राज्य में मंत्री बनने में भी कामयाब हुए। 2021 में हुए कैबिनेट फेरबदल के दौरान मेरजा को राज्य में मंत्री बनने का मौका मिला। मोरबी सीट का टिकट को लेकर इन दिनों मेरजा और पूर्व विधायक कांति अमृतिया के बीच खींचतान चल रही है। मोरबी हादसे के बाद मेरजा सबके निशाने पर हैं। ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि भाजपा की ओर से उन्हें चुनावी अखाड़े में उतारा जाता है या नहीं।

दूसरी ओर हादसे के बाद कांति अमृतिया काफी सक्रिय नजर आए। बचाव अभियान के दौरान अमृतिया काफी सक्रिय दिखे और वे नदी में उतरकर लोगों को बाहर निकालने में भी मदद करते दिखे। ऐसे में पार्टी नेतृत्व के लिए यहां टिकट देने के संबंध में फैसला आसान नहीं होगा।

हादसे के बड़े सियासी असर का दावा

चुनाव आयोग की ओर से गुजरात में विधानसभा चुनाव का ऐलान किसी भी वक्त किया जा सकता है। ऐसे में सभी पार्टियों ने पूरी ताकत झोंक रखी है। भाजपा के लिए गुजरात का चुनाव ज्यादा महत्वपूर्ण है क्योंकि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का गृह राज्य है। यही कारण है कि दोनों नेताओं ने गुजरात के चुनाव पर फोकस कर रखा है। ऐसे में मोरबी हादसा पार्टी के लिए महंगा भी पड़ सकता है क्योंकि इस हादसे में सरकार और प्रशासन की लापरवाही को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं।

कांग्रेस की ओर से हादसे को लेकर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं। गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और टंकारा के विधायक ललित कगधारा का कहना है कि इस हादसे का असर केवल मोरबी ही नहीं बल्कि पूरे गुजरात में दिखेगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रक्षा उपकरण बनाने का बड़ा दावा कर रहे हैं जबकि हकीकत यह है कि हम एक पुल तक को दुरुस्त नहीं रख पा रहे हैं। मोरबी हादसे में लोगों ने प्रशासन की विफलता को अपनी आंखों से देखा है। इस हादसे के बाद लोगों को इस बात का पूरा यकीन हो गया है कि भाजपा की ओर से किए जा रहे सारे दावे खोखले और फर्जी हैं।

भाजपा की ओर से डैमेज कंट्रोल की कोशिशें

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मंगलवार को मोरबी दौरा भाजपा की डैमेज कंट्रोल की कोशिशों का ही हिस्सा माना जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को भी राजभवन में एक उच्चस्तरीय बैठक की थी जिसमें हादसे के बाद की स्थितियों की समीक्षा की गई। पीड़ितों तक राहत पहुंचाने के लिए भी तेजी से काम किया जा रहा है। इसके साथ ही गुजरात सरकार ने 2 नवंबर को राज्यव्यापी शोक दिवस मनाने का फैसला भी किया है।

भाजपा के इन कदमों से साफ हो गया है कि पार्टी इस हादसे के बाद सियासी नुकसान बचाने की कोशिश में जुट गई है। दूसरी ओर कांग्रेस की ओर से लगातार यह मुद्दा जोर-शोर से उठाया जा रहा है। पीएम मोदी के दौरे से पहले अस्पताल में रंगाई-पुताई और सफाई को लेकर भी कांग्रेस ने सवाल खड़े किए हैं। कांग्रेस ने इसे त्रासदी का इवेंट बताया है तो आम आदमी पार्टी ने फोटोशूट की तैयारियां बताकर तंज कसा है।

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