Gujarat Riot Case: बिलकिस बानो को सुप्रीम कोर्ट से झटका, दोषियों की रिहाई के खिलाफ दायर याचिका खारिज
Gujarat Riot Case: इस साल 15 अगस्त को गुजरात सरकार ने अपने 1992 के जेल नियमों का हवाला देते हुए उम्रकैद की सजा काट रहे 11 दोषियों को माफी देते हुए समय से पहले रिहा कर दिया था।
Gujarat Riot Case: साल 2002 के गुजरात दंगों की पीड़िता बिलकिस बानो को सुप्रीम कोर्ट ने झटका दिया है। बिलकिस ने दंगों के दौरान उसके साथ गैंगरेप और परिवार के सदस्यों की हत्या करने वाले 11 दोषियों की रिहाई के फैसले के विरूद्ध पुनर्विचार याचिका दायर की थी, जिसे शीर्ष अदालत ने खारिज कर दिया। गौरतलब है कि इस साल 15 अगस्त को गुजरात सरकार ने अपने 1992 के जेल नियमों का हवाला देते हुए उम्रकैद की सजा काट रहे 11 दोषियों को माफी देते हुए समय से पहले रिहा कर दिया था।
इस फैसले को लेकर खूब हंगामा मचा था। विपक्षी पार्टियों ने मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने गुजरात सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाए थे। सरकार के इस फैसले को तब आसन्न गुजरात विधानसभा चुनाव से प्रेरित बताया गया था। सभी दोषियों का हिंदू संगठनों ने जेल से बाहर आते ही भव्य स्वागत किया था, जिसकी काफी आलोचना हुई थी।
बिलकिस की पुनर्विचार याचिका
दरअसल, मई 2022 में एक दोषी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि गुजरात सरकार के पास 11 दोषियों की क्षमा आवेदनों पर फैसला करने का अधिकार है, भले ही मुकदमा महाराष्ट्र में किया गया था। गुजरात सरकार ने इसी आदेश को ध्यान में रखते हुए रीमिशन पॉलिसी के तहत सभी 11 दोषियों को अगस्त में रिहा कर दिया था।
बिलकिस ने अपनी याचिका में इस रिहाई को चुनौती देने के साथ – साथ मई 2022 में सुप्रीम के उस निर्णय को भी चुनौती दी थी। गैंगरेप पीड़िता ने अपनी याचिका में कहा था कि इस पूरे मामले का ट्रायल महाराष्ट्र में चला है और वहां की रिहाई नीति के मुताबिक ऐसे जघन्य अपराध में शामिल दोषियों को 28 महीने से पहले रिहाई नहीं मिल सकती। बता दें कि साल 2002 में गोधरा कांड के बाद भड़के भीषण सांप्रदायिक दंगे के दौरान बिलकिस के साथ गैंगरेप किया गया था और उनके परिवार के सात सदस्यों को भी मौत के घाट उतार दिया गया था। बिलकिस ने दोषियों की रिहाई को गुजरात सरकार का अन्यायपूर्ण फैसला करार दिया था।