मोदी ने खेला अपना कार्ड, गुजराती अस्मिता जगाकर भाजपा को बढ़त दिलाने की कोशिश
अहमदाबाद: गुजरात चुनाव की तिथियां नजदीक आने के साथ चुनावी जंग रोचक होती जा रही है। चुनावी बाजी जीतने के लिए कई महीने से व्यूहरचना में जुटी भाजपा के प्रचार की कमान अब खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संभाल ली है। सोमवार से गुजरात में डटे मोदी ने कांग्रेस पर आक्रामक हमले शुरू कर दिए हैं।
मोदी भाजपा के सबसे बड़े शोमैन व कैंपेनर हैं और अब यह चुनाव कांग्रेस बनाम मोदी बन गया है। मोदी ने कांग्रेस पर आक्रामक हमले शुरू कर दिए हैं और कांग्रेस पर हमला करते हुए उन्होंने यहां तक कह डाला कि कांग्रेस गुजरात के बेटे का अपमान कर रही है। इसके बहाने मोदी गुजरात के लोगों की अस्मिता को जगाने का प्रयास कर रहे हैं। मोदी के गुजराती कार्ड का कांग्रेस जवाब नहीं दे पा रही है।
2002 के बाद मोदी के बिना राज्य में पहला चुनाव हो रहा है और मगर मोदी के राज्य की राजनीति में न होने के बावजूद यह चुनाव भी मोदी बनाम कांग्रेस ही बन चुका है।
गुजरात के लोगों से खुद को जोडऩे की कोशिश
मोदी लोगों को यह भी याद दिलाते हैं कि वे कैसे मुसीबतों से निकलकर पीएम की कुर्सी तक पहुंचे हैं और कैसे कांग्रेस एक चायवाले से बैर रख रही है और उसका पीएम बनना उसे पच नहीं रहा है। मोदी ने यहां तक कहा कि मैंने चाय बेची, अपना देश नहीं। वह यह भी याद दिलाने नहीं भूले कि इन सबके बावजूद वे गुजराती हैं। कांग्रेस द्वारा गुजरात की बेइज्जती और कांग्रेस के आतंकवादियों तथा आतंक के प्रति नरम रुख समेत कई मुद्दों को उठाकर मोदी ने कच्छ, सौराष्ट्र और दक्षिण गुजरात के लोगों से खुद को कनेक्ट किया। बतौर गुजराती मोदी के पास आम गुजराती से जुडऩे की विलक्षण क्षमता है। यह गुजराती लोगों से खुद को जोडऩे की पीएम की कोशिश है जो रंग लाती दिख रही है। जब मोदी गुजराती में बोलते हैं, तो उनके कट्टर विरोधी भी उनको सुनने पर मजबूर होते हैं कि आखिर वह बोल क्या रहे हैं।
पाटीदारों का समर्थन पाने को कांग्रेस पर हमले
मोदी पाटीदारों का समर्थन हासिल करने के लिए कांग्रेस पर हमले कर रहे हैं। वैसे मजे की बात तो यह है कि मोदी अपनी चुनावी सभाओं में हार्दिक पटेल का नाम तक नहीं ले रहे हैं, लेकिन उन्होंने कांग्रेस पर चार पाटीदार मुख्यमंत्रियों को पद से हटाने का आरोप मढ़ डाला। हालांकि उन्होंने इसमें सीएम केशुभाई पटेल या आनंदीबेन पटेल का नाम नहीं लिया, जिन्हें कांग्रेस ने नहीं बल्कि बीजेपी ने हटाया था। अपनी सभाओं में मोदी सरदार पटेल को याद करना नहीं भूलते और लोगों से कहते हैं कि सरदार पटेल को असली सम्मान भाजपा के सत्ता में आने के बाद ही मिला है। कांग्रेस ने सरदार पटेल को वह सम्मान नहीं दिया जिसके वह हकदार थे। दक्षिण गुजरात में पूर्व पीएम मोरारजी देसाई को याद कर स्थानीय लोगों से खुद को जोड़ा।
कांग्रेस को युवा तिकड़ी का भरोसा
गुजरात के चुनाव में इस बार मुस्लिमों का समीकरण किनारे हो गया है और पटेल, दलित, आदिवासी और ओबीसी समुदाय के मतदाताओं को लेकर भाजपा व कांग्रेस के बीच असली जंग हो रही है। कांग्रेस हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवानी की युवा तिकड़ी की बदौलत भाजपा के वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश में जुटी है। कांग्रेस ने अल्पेश ने पार्टी के टिकट पर रधनपुर विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतार दिया है जबकि जिग्नेश स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में वडगाम से चुनाव मैदान में उतरे हैं।
कांग्रेस का जिग्नेश को पूरा समर्थन है और उसने वडगाम से पार्टी का उम्मीदवार न उतारकर जिग्नेश को समर्थन देने का ऐलान किया है। हार्दिक खुद तो चुनाव मैदान में नहीं उतरे हैं मगर वे भी कांग्रेस के समर्थन में ताबड़तोड़ सभाएं कर रहे हैं। भाजपा ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और इस युवा तिकड़ी को जवाब देने के लिए अब अपने तुरुप के पत्ते यानी नरेन्द्र मोदी को चुनाव मैदान में उतार दिया है। मोदी ने आक्रामक अंदाज में भाजपा को जवाब देना शुरू कर दिया है।
कांग्रेस का रिकॉर्ड तोडऩे की भाजपा की कोशिश
कांग्रेस भी इस बात को जानती है कि गुजरात में सत्ता विरोधी लहर, जाति आधारित विरोध-प्रदर्शन, राहुल गांधी का आत्मविश्वास और राज्य में उनकी दमदार उपस्थिति के बावजूद में मोदी से मैदान मारना आसान नहीं है। राज्य में कांग्रेस 1990 से मुश्किलों से जूझ रही है।
1985 के विधानसभा चुनाव में 149 सीटों पर विजय हासिल करने वाली कांग्रेस 1990 में सिर्फ 33 सीटों पर सिमट गयी थी। उस समय जनता दल-बीजेपी गठबंधन से राज्य से पार्टी को सत्ता से बाहर किया था। भाजपा ने इस बार राज्य में 150 प्लस का लक्ष्य रखा है क्योंकि वह कांग्रेस के 149 सीटों के रिकॉर्ड को तोडऩा चाहती है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पार्टी के इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए दिन रात मंथन कर रहे हैं।
हाईटेक ढंग से चुनाव लड़ रही भाजपा
भाजपा पूरा चुनाव हाईटेक ढंग से लड़ रही है और इसके लिए राज्य मुख्यालय पर बना चुनावी कार्यालय राज्य के विभिन्न जिलों में बने कार्यालय से 24 घंटे जुड़ा रहता है। यह कार्यालय हर तरह की सुविधा से लैस है। हर छोटी-छोटी सूचना पर तुरंत कार्रवाई की जा रही है और पार्टी के बिल्कुल निचले स्तर तक के कार्यकर्ता को पूरी तरह सक्रिय कर दिया गया है। कांग्रेस इस मामले में भाजपा से पिछड़ रही है क्योंकि उसका संगठनात्मक ढांचा भाजपा की तरह मजबूत नहीं है।
हालांकि पार्टी भाजपा के हर हमले का जोरदार ढंग से जवाब देने की कोशिश में जुटी हुई है। पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी गुजरात चुनाव में इतनी मेहनत कर रहे हैं जितनी शायद उन्होंने किसी और राज्य के चुनाव में नहीं की होगी। ज्यादातर बीजेपी समर्थकों का मानना है कि तमाम मुश्किलों के बावजूद मोदी गुजरात में बीजेपी को जीत दिलाएंगे।