Hardik - Natasa Divorce: 70 फीसदी संपत्ति पत्नी को देंगे हार्दिक? जानिए तलाक के बाद महिलाओं के अधिकार

Hardik Pandya Divorce: तलाक के बाद महिलाओं की सुरक्षा और गुजारा सुनिश्चित करने के लिए नियम बनाए गए हैं। इसके तहत महिलाएं पति की संपत्ति पर दावा कर सकती हैं।

Newstrack :  Network
Update:2024-07-19 10:46 IST

Hardik Pandya Natasa Stankovic Divorce (Pic: Social Media)

Hardik Pandya Natasa Stankovic Divorce: भारतीय क्रिकेट प्लेयर हार्दिक पांड्या का उनकी पत्नी नताशा स्टेनकोविक के बीच तलाक हो गया है। लंबे समय से चल रही अटकलों पर हार्दिक पांड्या ने पोस्ट कर विराम लगा दिया है। सोशल मीडिया पर पोस्ट कर उन्होंने अपनी पत्नी के साथ आपसी सहमति से अलग होने का फैसला किया है। हाल ही में हार्दिक पांड्या टी20 वर्ल्ड कप में हीरो बन कर उभरे थे। पिछले कुछ समय से हार्दिक और नताशा (Hardik Pandya Divorce) साथ में नहीं नजर आए। अनंत अंबानी की शादी में भी हार्दिक अकेले ही शामिल हुए। तलाक की खबरों के बाद अब संपत्ति के बंटवारे को लेकर भी चर्चा हो रही है।


क्या कहते हैं नियम

पिछले दिनों चले सोशल मीडिया ट्रेंड में दावा किया जा रहा था कि हार्दिक को तलाक (Hardik Pandya Divorce) के बाद अपनी संपत्ति का 70 फीसदी अपनी पत्नी को देना होगा। मगर भारत में तलाक शुदा महिलाओं के संपत्ति, गुजारा भत्ता के अधिकार क्या कहते हैं उन्हें जानना जरूरी है। तलाक के बाद महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नियम बनाए गए हैं। गुजारा भत्ता और संपत्ति विभाजन जैसे पहलुओं पर बने नियम इस कठिन समय में महिलाओं के लिए फायदेमंद साबित होते हैं।


पति की संपत्ति पर पत्नी कर सकती है दावा

नियम के अनुसार यदि पति और पत्नी ने संयुक्त रूप से संपत्ति के लिए पैसे दिए हैं और उसके संयुक्त मालिक हैं तो पत्नी का 50 प्रतिशत हिस्सा होता है। इसके साथ ही पत्नी अपने पति की संपत्ति में भी अपने हिस्से का दावा कर सकती है। जब तक तलाक पूरा नहीं हो जाता तब तक पत्नी का संपत्ति पर दावा कर सकती है। अगर संपत्ति दोनों ने मिलकर न बनाई हो और पूरी संपत्ति पति के पैसों से हो तो इसे पति की स्व- अर्जित यानी खुद से बनाई संपत्ति है। मगर तलाक के बाद पत्नी भरण-पोषण का दावा कर सकती है। क्योंकि उसे पति की स्व- अर्जित संपत्ति का प्रथम श्रेणी का कानूनी उत्तराधिकारी माना जाता है। 


पत्नी की संपत्ति पर पति का कोई अधिकार नहीं

हालांकि अगर पत्नी ने भी संपत्ति बनाने में योगदान दिया है तो उसे हिस्सेदारी का दावा करने के लिए अपने योगदान का प्रमाण देना होगा। पत्नी तभी दावा कर सकती है जब वह संपत्ति की खरीद में योगदान साबित कर दे। साबित न कर पाने की स्थिति में संपत्ति पति की मान ली जाती है।  मगर पत्नी की खरीदी गई संपत्ति पर पति का कोई हक नहीं है। अगर पत्नी ने अपने पैसों से कोई संपत्ति बनाई है तो उसपर केवल उसी का अधिकार है। वह चाहे तो उसे बनाए रखे, उपहार में दे या बेच दे। ये संपत्ति चाहे शादी के पहले बनाई गई हो या बाद में इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। पति उस संपत्ति में कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकता। 


रखरखाव के लिए पति दे गुजारा भत्ता

तलाक के बाद महिला अपने रखरखाव के लिए भरण-पोषण या गुजारा भत्ता का दावा कर सकती है। तलाक के बाद अगर पत्नी का बच्चा है तो एक महिला अपने और अपने बच्चों के लिए भरण-पोषण का दावा कर सकती है। इतना ही नहीं पत्नी भरण-पोषण के लिए आवेदन करने की तारीख से अदालत का फैसला आने तक पति से भत्ता ले सकती है। फैसला आने के बाद हिंदू दत्तक ग्रहण और भरण-पोषण के तहत या तो एकमुश्त राशि या अदालत के फैसल के अनुसार हर महीने एक तय भत्ता देना होता है। 


कामकाजी महिलाएं भी कर सकती हैं दावा

भारत में गुजारा भत्ता हिंदू विवाह अधिनियम और विशेष विवाह अधिनियम सहित कई कानूनों के तहत दिया जाता है। गुजारा भत्ता तय करने के लिए कई पहलुओं को ध्यान में रखा जाता है। इनमें जोड़े का जीवन स्तर, विवाह की अवधि और किसी भी बच्चे की ज़रूरतें। अगर महिला नौकरी करती है और पति की संपत्ति से उसकी संपत्ति में बड़ा अंतर हो तब भी वह गुजारा भत्ता के लिए दावा कर सकती है।


स्त्रीधन पर पत्नी का अधिकार

गुजारा भत्ता के अलावा महिलाएं स्त्रीधन पर भी दावा कर सकती हैं। स्त्रीधन यानी वह सभी उपहार जो शादी के दौरान या बाद में मिले हैं। इसमें गहने, मार्केट में लागाय गया शेयर, बीमा पॉलिसी सहित और चीजें शामिल हैं। कुछ मामलों में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम और हिंदू विवाह अधिनियम ससुराल वालों को महिला का स्त्रीधन पाने के लिए कानूनी अवसर भी देते हैं।

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