Hardik Patel Wedding: किंजल संग शादी के बंधन में बंधे हार्दिक

पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने किंजल पारीख के साथ सात फेरे ले लिए हैं। शादी सुरेंद्रनगर के दिगसर दाणावाड गांव में पारंपरिक तौर-तरीकों से संपन्न हुई। हार्दिक और किंजल की शादी बेहद साधारण तरीकी से हुई। शादी में वर-वधु पक्ष से सिर्फ 50 लोग ही शादी में मौजूद रहे।

Update: 2019-01-27 10:28 GMT

सूरत : पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने किंजल पारीख के साथ सात फेरे ले लिए हैं। शादी सुरेंद्रनगर के दिगसर दाणावाड गांव में पारंपरिक तौर-तरीकों से संपन्न हुई। हार्दिक और किंजल की शादी बेहद साधारण तरीकी से हुई। शादी में वर-वधु पक्ष से सिर्फ 50 लोग ही शादी में मौजूद रहे।

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शादी के बाद हार्दिक और किंजल ने कहा कि वो पुरुष और महिला के साथ बराबरी का भाव रखते हैं। उन्होंने कहा कि वो अपनी पत्नी के लिए भी बराबरी का भाव रखते हैं। उन्होंने कहा कि वो अब अपनी धर्मपत्नी ने साथ मिल कर लोगों के हक और सच्चाई के लिए संघर्ष और लड़ाई जारी रखेंगे।

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जानिए हार्दिक के बारे में

हार्दिक पटेल का जन्म 20 जुलाई 1993 में चन्दन नगरी, गुजरात में भरत और उषा पटेल के घर हुआ था।

वर्ष 2004 में अपने बच्चे के अच्छे शिक्षा हेतु इनका परिवार वीरमगम चला गया।

हार्दिक ने 6वीं से 8वीं की कक्षा दिव्य ज्योत विद्यालय, वीरमगम में पूरी की।

हार्दिक अपनी 7वीं कक्षा उत्तीर्ण होने के पश्चात अपने पिता के छोटे से व्यापार को चलाने में सहायता करने लगा।

हार्दिक के पिता भरतभाई पटेल बीजेपी के सदस्य रहे हैं. उनका सबमर्सिबल पंप का बिजनेस है।

वर्ष 2010 में हार्दिक ने सहजानन्द महाविद्यालय, अहमदाबाद में बीकॉम की पढ़ाई की।

हार्दिक ने 50 फीसदी से भी कम मार्क्स से ग्रेजुएशन की थी।

महाविद्यालय के छात्र संघ के महासचिव के पद के चुनाव में भाग लिया और निर्विरोध निर्वाचित भी हुआ।

जुलाई 2015 में हार्दिक की बहन, मोनिका राज्य सरकार की छात्रवृत्ति प्राप्त करने में विफल रही। इसके बाद हार्दिक के मन में विद्रोही विचार पनपने लगे।

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हार्दिक ने इसके बाद पाटीदार अनामत आंदोलन समिति का निर्माण किया। जिसका लक्ष्य अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल होना था।

पाटीदार समुदाय के युवाओं ने, जिन्हें पटेल उपनाम से भी जाना जाता है, ने जुलाई 2015 से सार्वजानिक आंदोलन शुरू कर दिए। इन्हें

सामुदायिक सेवा में लगे संगठन, सरदार पटेल सेवादल और अखिल भारतीय पाटीदार परामर्श समिति का समर्थन प्राप्त था। युवा सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण के लिए अपने समुदाय का नाम भी अन्य पिछड़ी जातियों में चाहते हैं।

युवाओं ने हार्दिक पटेल की अध्यक्षता में पाटीदार अनामत आंदोलन समिति (पास) का गठन किया। संगठन ने स्वयं को एक गैर राजनीतिक संगठन करार दिया।

लालजी पटेल की अध्यक्षता में सरदार पटेल ग्रुप (एसपीजी) सरदार पटेल सेवादल, के.डी. शेलडीया की अध्यक्षता में अखिल भारतीय पाटीदार परामर्श समिति, पाटीदार संकलन समिति और पाटीदार आरक्षण समिति भी इस आंदोलन में शामिल हो गई।

सार्वजनिक प्रदर्शन 22 जुलाई को महेसाणा में आयोजित किया गया। 23 जुलाई 2015 को विसनगर में प्रदर्शन हिंसक हो गया, कुछ आंदोलनकारियों ने वाहनों में आग लगा दी और बीजेपी विधायक, ऋषिकेश पटेल के कार्यालय में तोड़फोड़ भी की।

जुलाई को विजापुर में और उसके बाद मेहसाणा में भी प्रदर्शन आयोजित किया गया।

प्रदर्शन के आदेश का पालन न करने पर पुलिस ने 152 व्यक्तियों के नाम दर्ज किये।

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जुलाई 30 को लुनवदाओं में प्रदर्शन आयोजित किया गया। 1 अगस्त को द्वारका जिले की देवभूमि में। 3 अगस्त को गांधीनगर, नवसारी में, जामनगर जिले के जामजोधपुर में, अमरेली जिले के हिम्मतनगर और बग्सर में। 5 अगस्त को राजकोट में, अमरेली में 10 अगस्त को, 12 अगस्त को जूनागढ़ में, 17 अगस्त को पेटलाद में।

17 अगस्त को सूरत में के.डी. शेलडीया की अध्यक्षता में हुए प्रदर्शन में लगभग 1 लाख से 5 लाख लोगों ने हिस्सा लिया। शहर के हीरा और कपड़ा बाजार बंद रहे। कई स्कूलों और कॉलेजों में भी बंद कर दिया गया।

प्रदर्शनों को सुरेंद्रनगर, भरुच और वडोदरा में आयोजित किया गया। अगले प्रमुख प्रदर्शन का 25 अगस्त को अहमदाबाद के जीएमडीसी मैदान में आयोजन किया गया।

अहमदाबाद में आरक्षण मांग रहा पटेल समुदाय हिंसक हो गया। इस महारैली में भाग लेने के लिए पटेल समुदाय के लगभग 18 लाख लोग अहमदाबाद में थे।

आंदोलनकारियों के नेता हार्दिक पटेल को पुलिस ने हिरासत में ले लेने के बाद जब माहौल बिगड़ता देखा तो घंटेभर में उसे छोड़ दिया, लेकिन तब तक पटेल समाज के लोग अहमदाबाद व सूरत समेत 12 से ज्यादा शहरों में सड़कों पर उतर आए। तोड़फोड़ व आगजनी भी हुई। सवा सौ गाड़ियों में आग लगा दी व 16 थाने जला दिए गए। ट्रेन की पटरियां उखाड़ दी गयीं। रात से अहमदाबाद, सूरत, मेहसाणा, ऊंझा, विसनगर में कर्फ्यू लगा दिया गया।

2002 में हुए गुजरात दंगों के बाद ये दूसरा मौका था जब इस प्रकार की हिंसा हुई।

26 अगस्त को गुजरात बंद का ऐलान किया गया। हार्दिक पटेल, लालजी पटेल और के.डी. शेलडीया जैसे नेताओं की ओर से गुजरात बंद की घोषणा की गई। स्कूल और कॉलेज की छुट्टी कर अनेक जिलों की इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई।

धारी से बीजेपी एमएलए नलिन कोटडिया ने इस आंदोलन का समर्थन किया।

पिछले गुजरात विधानसभा चुनाव में हार्दिक और उनकी टीम ने कांग्रेस को समर्थन दिया।

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