Hate Speech: बिगड़े बोलों से बिगड़ रही है भारत की गंगा-जमुनी संस्कृति, जानें किसने क्या-क्या कहा?
Hate Speech: वर्तमान में हेटस्पीच (hate speech) के मामलों की भरमार है। सियासी नेताओं और धर्मगुरूओं के बिगड़े बोलों ने भारत की सदियों पुरानी गंगा जमुनी संस्कृति को प्रभावित किया है।
Hate Speech in India: अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (Freedom of expression) के नाम पर देश में जो अभी हो रहा है उसकी कल्पना शायद संविधान निर्माताओं ने कभी नहीं की होगी। वर्तमान में हेटस्पीच (hatespeech) के मामलों की भरमार है। सियासी नेताओं और धर्मगुरूओं के बिगड़े बोलों ने भारत की सदियों पुरानी गंगा जमुनी संस्कृति को प्रभावित किया है। रामनवमी, हनुमान जयंती और ईद जैसे त्योहारों के दिन भी देश के किसी न किसी हिस्से से सांप्रदायिक तनाव (communal tension) की खबरें आती रहती हैं।
दोनों पक्षों की तरफ से लगातार ऐसे बयान आते रहते हैं, जो समाज में तनाव पैदा करते हैं। दो पक्षों के बीच की खाई को और गहरा करते हैं। सोशल मीडिया के कारण विवादित और उत्तेजित टिप्पणियां बहुत जल्द अपना असर दिखाने लगती हैं। नूपुर शर्मा प्रकरण (Nupur Sharma Case) इसका सबसे ताजा उदाहरण है। पैगंबर मोहम्मद (Prophet Muhammad) के कथित अपमान पर भड़की हिंसा में सबसे अधिक योगदान सोशल मीडिया (social media) का था।
ये अक्सर देखा गया है कि समाज में जहर घोलने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का सबसे अच्छा उपयोग होता है। तो आइए एक नजर उन लोगों के बयान पर डालते हैं, जिससे समाज में मजहबी भाईचारा प्रभावित हुआ।
1. टी राजा सिंह – तेलंगाना की गोशामहल सीट से भाजपा विधायक टी राजा सिंह (BJP MLA T Raja Singh) अक्सर अपने हिंदू – मुस्लिम वाले बयानों के कारण विवादों में रहते हैं। सिंह फिलहाल पैगंबर मोहम्मद के ऊपर टिप्पणी को लेकर मुश्किलों में हैं। उन्हें मंगलवार को ही मुस्लिम समुदाय के जबरदस्त आक्रोश के बीच हैदराबाद पुलिस ने गिरफ्तार किया है। हैदराबाद की सड़कों पर सिर तन से जुदा के नारे भी लग रहे हैं। साल 2020 में फेसबुक ने टी राजा के एक बयान को बैन कर दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर किसी ने हिंदू देवता राम का नाम नहीं लिया तो उसे बहुत जल्दी ही भारत छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया जाएगा।
2. प्रमोद मुतालिक – हिंदुत्तववादी संगठन श्रीराम सेना के प्रमुख प्रमोद मुतालिक (Shri Ram Sena Chief Pramod Muthalik) अपने भड़काऊ बयानों और हरकतों को लेकर लंबे समय से कुख्यात रहे हैं। उनके ऊपर 45 से अधिक मुकदमे दर्ज हैं। मुतालिक ने इन दिनों अपने एक और विवादित बयान को लेकर चर्चा में हैं। उन्होंने बीते दिनों कर्नाटक में कहा कि अगर किसी ने सावरकर के पोस्टर से छेड़छाड़ करने की कोशिश की तो उसके हाथ काट दिए जाएंगे।
3. ज्ञानदेव अहूजा – राजस्थान के रामगढ़ से पूर्व एमएलए और भाजपा नेता ज्ञानदेव अहूजा (BJP leader Gyandev Ahuja) भी अपने सांप्रदायिक बयानों और जेएनयू को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर अक्सर विवादों में रहते हैं। हाल ही में गोविंदगढ़ में मॉब लिंचिंग के शिकार हुए एक शख्स के घर पहुंचे अहूजा ने कह दिया कि 'अब तक तो हमने पांच मारे हैं, पहली बार उन्होंने हमारा एक मारा है'। इस बयान पर खासा बवाल मचा। भाजपा नेता के खिलाफ धार्मिक भावनाएं आहत करने का मामला भी दर्ज हो चुका है। इससे पहले इसी साल मई में अलवर में एक रैली के दौरान ज्ञानदेव अहूजा ने कहा था कि सारे मेव और मुसलमान भाइयों को हिंदू बन जाना चाहिए। मुसलमान हमारे भाई हैं। यह हिंदू से मुस्लिम बने हैं। इनको स्वाभिमान के साथ हिंदू हो जाना चाहिए।
4. अकबरूद्दीन ओवैसी – एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी (AIMIM Chief Asaduddin Owaisi) के विधायक भाई अकबरूद्दीन ओवैसी (Akbaruddin Owaisi) के खिलाफ भी जहरीला भाषण देने के आरोप हैं। साल 2012 में उन्होंने कहा था, हम (मुसलमान) 25 करोड़ हैं और आप (हिंदू) 100 करोड़ हैं। पुलिस को 15 मिनट के लिए हटा दें औऱ परिणाम देखें। इस बयान के बाद खासा बवाल हुआ था। साल 2013 में अकबरूद्दीन ओवैसी ने एकबार फिर हिंदू देवी – देवताओं को लेकर विवादित टिप्पणी की थी।
5. सूरज पाल अमू – हरियाणा बीजेपी के प्रवक्ता और करणी सेना प्रमुख सूरज पाल अमू (Suraj Pal Amu) की छवि एक कट्टरवादी हिंदू नेता की है। अमू कई बार भड़काऊ भाषण दे चुके हैं। पिछले साल यानी जुलाई 2021 में पटौदी शहर में एक हिंदू महापंचायत में उन्होंने मुसलमान समुदाय को देश से बाहर फेंकने का आह्वान किया था। उन्होंने कहा था कि अगर वे अपनी दाढ़ी काटना जानते हैं तो हम जानते हैं कि उनका गला कैसे काटा जाए।
6. मौलाना तौकरी रजा - बरेली में इत्तेहादे मिल्लत काउंसिल के राष्री दय अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा ने पिछले दिनों कहा था कि जिस दिन भी मुसलमान सड़क पर उतर जाएगा कोई संभाल नहीं पाएगा। हम देश में एक और महाभारत नहीं चाहते हैं।
हेट स्पीच एक पुरानी समस्या
भारत में हेट स्पीच कोई नई समस्या नहीं है। विभाजन के दौरान हुए कत्लेआम में भी इसका सबसे बड़ा योगदान था। इसके बाद आजाद भारत में इसके व्यापक प्रयोग औऱ असर 1990 के दशक में देखा गया। इस दौरान कश्मीर (Kashmir) में अलगाववाद चरम पर था और निशाने पर थे वहां रह रहे अल्पसंख्यक कश्मीरी पंडित। उन दिनों कश्मीर की कुछ मस्जिदों से भड़काऊ भाषण दिए जाते थे, ताकि कश्मीरी पंडितों के खिलाफ भावनाएं भड़कायी जा सके। इसका असर भी हुआ, कश्मीरी पंडितों को सबकुछ छोड़कर वहां से भागना पड़ा। उन्हें वहां जबरदस्त हिंसा का सामना करना पड़ा।
इसी साल बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी (BJP leader LK Advani) ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए रथ यात्रा शुरू की थी। बाबरी मस्जिद (Babri Masjid) को ढ़हाने के बाद देशभर में सांप्रदायिक दंगे भड़क गए। इस दौरान भी जमकर हेट स्पीच का इस्तेमाल किया गया था। लेकिन हाल के दिनों में ये समस्या व्यापक हो गई है।