गुजरात दंगा मामले में PM मोदी को क्लीन चिट दिए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई टली

2002 के गुजरात दंगों के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को जांच में क्लीन चिट दिए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जनवरी के तीसरे हफ्ते तक के लिए टाल दी गई। बता दें कि गोधराकांड के बाद अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसायटी में भी हिंसा हुई थी

Update: 2018-12-03 07:38 GMT

नई दिल्ली: कांग्रेस के सांसद रहे एहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी द्वारा 2002 के गुजरात दंगों के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को जांच में क्लीन चिट दिए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जनवरी के तीसरे हफ्ते तक के लिए टाल दी गई। बता दें कि गोधराकांड के बाद अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसायटी में भी हिंसा हुई थी। इसमें एहसान की मौत हो गई थी।

क्या है गोधराकांड

27 फरवरी 2002 को गोधरा में साबरमती ट्रेन के कोच में आग लगा दी गई थी। इसमें 59 लोगों की मौत हो गई थी। मारे गए ज्यादातर लोग अयोध्या से लौट रहे कारसेवक थे। इस घटना के बाद गुजरात में दंगे भड़क गए थे। इनमें करीब 1000 लोगों की जान चली गई थी।

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गोधरा कांड के अगले दिन हुए दंगे में 69 लोगों की गई थी जान

गोधराकांड के अगले दिन 28 फरवरी 2002 को अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसायटी में दंगाइयों ने कांग्रेस सांसद जाफरी समेत 69 लोगों की हत्या कर दी थी। घटना के बाद सोसायटी से 39 लोगों के शव मिले थे। बाकी 30 लोगों के शव नहीं मिलने पर सात साल बाद उन्हें मृत मान लिया गया था। गुलबर्ग सोसायटी में 28 बंगले और 10 अपार्टमेंट हैं। सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एसआईटी ने गुलबर्ग सोसायटी केस की दोबारा जांच की थी। एसआइटी ने इस मामले में 66 लोगों को गिरफ्तार किया था।

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ये है जकिया का आरोप

जकिया जाफरी का आरोप है कि दंगा भड़कने के दौरान उनके पति वरिष्ठ नेताओं और पुलिस अफसरों को फोन करते रहे, लेकिन गुलबर्ग साेसायटी तक मदद नहीं पहुंची और दंगाइयों को रोका नहीं जा सका। दंगों के वक्त मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। एसआईटी ने 8 फरवरी 2012 को क्लोजर रिपोर्ट दायर की। इसमें मोदी और अन्य अफसरों को क्लीन चिट दी गई। इसके खिलाफ जकिया जाफरी की याचिका को दिसंबर 2013 में मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की कोर्ट और 2017 में गुजरात हाईकोर्ट ने ठुकरा दिया था।

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पहले भी दो बार टल चुकी सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने जकिया की याचिका 13 नवंबर को मंजूर की थी। सुनवाई 19 नवंबर को तय हुई। 19 नवंबर को समय की कमी की वजह से इसे 26 नवंबर तक बढ़ाया गया। हालांकि, बाद में कोर्ट ने कहा कि इसकी लिस्टिंग गलत हुई। अब इस पर 3 दिसंबर को सुनवाई होगी। अब फिर इसे नवरी के तीसरे हफ्ते तक के लिए टाल दिया गया है।

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