Himachal Political Crisis: हिमाचल प्रदेश में सुक्खू सरकार पर संकट बरकरार, विक्रमादित्य ने की बागी विधायकों से मुलाकात
Himachal Political Crisis: सुक्खू सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले विक्रमादित्य सिंह ने पंचकूला में बागी विधायकों से मुलाकात की है। हालांकि इस मुलाकात के दौरान बनी रणनीति का अभी खुलासा नहीं हो सका है।
Himachal Political Crisis: हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस पर्यवेक्षकों के संकट टलने के दावे की हवा निकलती हुई दिख रही है। कांग्रेस पर्यवेक्षकों ने गुरुवार को राज्य में सबकुछ दुरुस्त होने का दावा किया था मगर सुखविंदर सिंह सुक्खू की अगुवाई में सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार के लिए संकट अभी टला नहीं है। जानकारों के मुताबिक सुक्खू सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले विक्रमादित्य सिंह ने पंचकूला में बागी विधायकों से मुलाकात की है। हालांकि इस मुलाकात के दौरान बनी रणनीति का अभी खुलासा नहीं हो सका है।
दूसरी ओर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह का कहना है कि कल क्या होगा,इस बात की गारंटी नहीं दी जा सकती। गुरुवार को विधानसभा के स्पीकर कुलदीप पठानिया ने क्रॉस वोटिंग करने वाले कांग्रेस के सभी 6 विधायकों का अयोग्य घोषित कर दिया था। अब इन विधायकों के दिल्ली पहुंचने की खबर है। विक्रमादित्य सिंह भी मंत्री पद से अपने इस्तीफे को लेकर कुछ स्पष्ट ऐलान नहीं कर रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि अभी भी हिमाचल की कांग्रेस सरकार गहरे संकट में फंसी हुई है।
अभी टला नहीं है सरकार पर खतरा
हिमाचल प्रदेश में डैमेज कंट्रोल के लिए भेजे गए पर्यवेक्षक और कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने गुरुवार को दावा किया था कि हिमाचल प्रदेश में पार्टी के सभी विधायक पांच साल तक कांग्रेस की सरकार चलाना चाहते हैं। उन्होंने यह भी दावा किया था कि पार्टी में किसी भी प्रकार का मतभेद नहीं है और राज्य में भाजपा का ऑपरेशन लोटस सफल नहीं होगा।
उनका कहना था कि पार्टी और सरकार के बीच समन्वय बनाए रखने के लिए एक कमेटी का गठन किया जा रहा है और सरकार को बचाने के लिए सभी विधायक मिलकर काम करेंगे। डीके शिवकुमार के इस बयान के बाद माना जा रहा था कि राज्य की कांग्रेस सरकार के लिए खतरा टल गया है मगर इस दावे की हवा निकलती हुई दिख रही है।
विक्रमादित्य की बागी विधायकों से मुलाकात
मुख्यमंत्री सुक्खू के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले विक्रमादित्य सिंह का रुख अभी भी पहेली बना हुआ है। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह ने मुख्यमंत्री की ओर से बुलाई गई कांग्रेस विधायकों की बैठक में भी हिस्सा नहीं लिया था। उन्होंने अपने इस्तीफा को लेकर जिद छोड़ने की बात कही थी मगर उनका इरादा अभी तक साफ नहीं हो सका है।
शिमला में पर्यवेक्षकों से बातचीत के दौरान विक्रमादित्य सिंह ने सबकुछ ठीक होने की बात कही मगर इसके बाद वे बागी विधायकों से मुलाकात करने के लिए पंचकूला भी पहुंच गए। उन्होंने बागी विधायकों के साथ राज्य के सियासी हालात पर चर्चा की है। विक्रमादित्य सिंह के इस रुख के साथ ही उनकी मां और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने भी कहा है कि कल क्या होने वाला है, इसे आज नहीं बताया जा सकता। उनका कहना है कि कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिनका समाधान कुछ घंटे या एक दिन में नहीं किया जा सकता।
इससे साफ हो गया है कि भीतर ही भीतर कोई खिचड़ी जरूर पक रही है जिसका नतीजा आने वाले दिनों में दिख सकता है। इस बीच बागी विधायकों के दिल्ली पहुंचने की खबर भी सामने आई है।
स्पीकर के फैसले को चुनौती देने का ऐलान
इस बीच विधानसभा के स्पीकर की ओर से अयोग्य ठहराए गए विधायकों में से एक ने फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है। हिमाचल प्रदेश विधानसभा के स्पीकर की ओर से कांग्रेस के जिन 6 बागी विधायकों को अयोग्य घोषित किया गया है, उनमें सुधीर शर्मा, राजेंद्र सिंह राणा, रवि ठाकुर, देवेंदर भुट्टो, चैतन्य शर्मा और इंदरदत्त लखनपाल शामिल है। इन सभी विधायकों को व्हिप के उल्लंघन का दोषी बताते हुए अयोग्य घोषित कर दिया गया है।
स्पीकर पठानिया ने कहा कि इन विधायकों ने पार्टी की ओर से जारी व्हिप का उल्लंघन किया है। इन विधायकों ने कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल करने के बाद पार्टी की ओर से जारी व्हिप की अनदेखी है। उन्होंने कहा कि मैंने दोनों पक्षों को सुनने के बाद 30 पेज का आर्डर दिया है।
दूसरी ओर भाजपा लगातार राज्य की कांग्रेस सरकार के खिलाफ अपने अभियान में जुटी हुई है। भाजपा का दावा है कि राज्य सरकार अल्पमत में आ गई है और उसे अब सत्ता में बने रहने का नैतिक अधिकार नहीं है।