Sheikh Hasina Visit India: बांग्लादेश में हिन्दू पर हो रहे अत्याचारों के विरोध में हिन्दू संगठनों ने किया प्रदर्शन

Sheikh Hasina Visit India: बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के भारत दौरे पर हिन्दू संघठनों ने बांग्लादेश में हिन्दू व बौद्धों पर हो रहे अमानवीय अत्याचारों व नरसंहार के विरोध में प्रदर्शन किया।

Newstrack :  Network
Update:2022-09-06 15:53 IST

हिन्दू संगठनों ने किया प्रदर्शन

Sheikh Hasina Visit India: बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना (Bangladesh PM Sheikh Hasina) के भारत दौरे के मद्देनजर आज हिन्दू संघर्ष समिति (Hindu Sangharsh Samiti) व प्रवासी बंगियो समाज (Pravasi Bangyo Samaj) व ऑल इंडिया रिफ्यूजी फ़्रंट (All India Refugee Front) ने जंतर मंतर पर बांग्लादेश में हिन्दू व बौद्धों पर हो रहे अमानवीय अत्याचारों व नरसंहार के विरोध में प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी शेख़ हसीना शर्म करो, अल्पसंख्यकों पर अत्याचार बंद करो के नारे लगाए।

भारत की सद्भावना व सहयोग का ग़लत फ़ायदा उठा रही शेख हसीना: प्रदर्शनकारी

प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि शेख हसीना (Bangladesh PM Sheikh Hasina) भारत की सद्भावना व सहयोग का ग़लत फ़ायदा उठा रही है वो बांग्लादेश में इस्लामिक कट्टरपंथियों को बढ़ावा दे रही है वो बांग्लादेश में धीरे धीरे पिछले दरवाज़े से को शरिया लागू कर रही है वो हिफ़ाज़त- ए- इस्लामी व इस्लामी आंदोलन बांग्लादेश को फंड दे रही है व उन्हें तृप्त करने के लिये 640 से ज़्यादा मॉडल मस्जिद बना कर दे दी है। ज्यादातर मस्जिद व मदरसे हिन्दू और बौद्धों की ज़मीन पर क़ब्ज़ा करके चलायें जा रहे है।


इस्लामिक अतिवाद ने बांग्लादेश के मूल चरित्र को बदलकर रखा

इस्लामिक अतिवाद ने बांग्लादेश के मूल चरित्र को बदलकर रख दिया है। आशा है भारत सरकार तथ्यों के आलोक में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री को आइना दिखाने का काम करेगी और वहाँ के अल्पसंख्यकों की रक्षकों लिये कड़े कदम उठायेगी। समिति के अध्यक्ष श्री अरूण उपाध्याय का कहना था कि भारतीय उपमहाद्वीप में हिन्दुओं का जातीय सफ़ाया और नरसंहार चालू है अभी हाल ही में हमने देखा कि अफ़ग़ानिस्तान (Afghanistan) से तीस सिखों का जत्था दिल्ली वापस आया है अब वहां मात्र एक सौ दस सिख बचे हैं और हिन्दू समाज वहाँ से पूरी तरह ख़त्म कर दिया गया। वहां बचे हुए सिख भी भारत सरकार (Indian Government) से वीजा मिलने का इंतजार कर रहे है उसके बाद वो भी वहाँ से पलायन कर जायेगें। यही हालात 2040 में बांग्लादेशी हिन्दुओं की होने जा रही है। अगले दो दशकों में वहां से हिन्दुओं का नामोनिशान मिट जायेगा।


बांग्लादेश के कई हिस्सों में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार रूकने का नाम ही नहीं ले रहे: महामंत्री

हिन्दू संघर्ष समिति (Hindu Sangharsh Samiti) के महामंत्री विद्या भूषण (General Secretary Vidya Bhushan) का कहना है कि बांग्लादेश के कई हिस्सों में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार रूकने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। ताजा मामला नरैल जिले की है, जहां भीड़ ने अल्पसंख्यक हिन्दू समुदाय के कई घरों पर भी हमला किया और तोड़फोड़ की। इसके पीछे की वजह पैगंबर मोहम्‍मद के खिलाफ फेसबुक पर कथित रूप से अपमानजनक पोस्‍ट होने की अफ़वाह बताया जा रहा है। आजकल वहाँ ये एक बहुत सामान्य बहाना है हिन्दुओं के खिलाफ सुनियोजित हमला कर उनका जातीय सफ़ाया करने का ।

हिन्दू नेता कल्पना सिंह (Hindu leader Kalpana Singh) का कहना है कि बांग्लादेश में पिछले कई महीनों से गौरतलब है कि अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय (Minority Hindu Community) के खिलाफ लगातार हमले हो रहे हैं। हालांकि साल 1971 में बांग्लादेश के जन्म होने के साथ ही हिंदू समुदाय के साथ अत्याचारों का सिलसिला शुरू हो गया था। बांग्लादेश के निर्माण के बाद 1974 में जनगणना हुई थी। इसके मुताबिक देश में 1974 में 13.50 फीसदी हिंदू थे, लेकिन वर्ष 2011 में देश में महज 8.20 प्रतिशत हिंदू ही रह गए थे। अब शेष बचे हिन्दुओं पर भी नरसंहार की तलवार लटकी है।


''पाकिस्तान से अलग देश बनने के बाद से हिंदुओं पर अत्याचार बढ़े''

इस अवसर अजीत पाल व पद्मा लाहिड़ी का कहना है कि पाकिस्तान से अलग देश बनने के बाद से हिंदुओं पर अत्याचार बढ़ने लगे थे। इसके बाद से ऐसा कोई साल नहीं जब अल्पसंख्यक समुदाय को हमले का सामना न करना पड़ा हो। पिछले नौ साल में हिंदुओं पर 3600 से ज्यादा हमले हुए हैं। ये मानवाधिकार संगठनों का आंकड़ा है। बांग्लादेश में 1990, 1995, 1999, 2002 में बड़े दंगे हुए थे। इनमें हिंदुओं को ही निशाना बनाया गया था। अब तो बांग्लादेश में हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ करना, हिंदुओं के घर जलाना, बच्चों और लड़कियों का अपहरण, दुष्कर्म जैसी वारदात यहां आम हो गई हैं।

हिन्दू संघर्ष समिति इस प्रकार की घटनाओं पर चिंता ज़ाहिर करते हुयें अपनी तरफ़ से शोक प्रकट करती है तथा भारत सरकार से आग्रह करती है कि भारत सरकार हिन्दू उत्पीडन के मामलों में अपना कड़ा प्रतिरोध जतायें। बांग्लादेश में आगामी आम चुनाव नजदीक हैं और भारत को इस अवसर पर बांग्लादेश सरकार पर दबाव डालना चाहिये कि वो आम चुनाव के बाद नगमे पर अल्पसंख्यक मामलों के एक मंत्रालय का गठन करें और वहां के लोकतंत्र को बहुलतावादी व पंथनिरपेक्ष बनाने के लिये हिन्दूओं की नई राजनैतिक पार्टी को मान्यता प्रदान करें तथा सुनियोजित हिंसा में आगज़नी व तोड़फोड़ के बाद पलायन कर गये हिन्दुओं की ज़मीन व संपत्ति पर किये गये अवैध कब्जों को हटाकर उन्हें न्याय दे।


हिंसा की घटनाओं के पीछे का मुख्य उद्देश्य उनकी जमीनों को हड़पना

सनद रहे कि बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ सुनियोजित हिंसा की घटनाओं के पीछे का मुख्य उद्देश्य उनकी जमीनों को हड़पना है। कई रिपोर्ट में इस तथ्य की ओर इशारा किया गया है कि यह सब सुनियोजित तरीके से होता है। दरअसल, बांग्लादेश में हिंसा के पैटर्न में यह देखा गया है कि बहुसंख्यक आबादी गरीब हिंदुओं के घर जला देती है। घर जलने से ये हिंदू परिवार पलायन करने को मजबूर होते हैं और जब वे पलायन कर जाते हैं तो उनकी जमीन पर ये लोग कब्जा कर लेते हैं। हिन्दू संघर्ष समिति (Hindu Sangharsh Samiti) के बंगाल के अध्यक्ष संदीप जना है का कहना है कि बांग्लादेश में हिन्दुओं के मानवाधिकार को सुरक्षित करने के लिये भारत सरकार को तुरंत प्रभावी कदम उठाने चाहिये।

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