Hit And Run Case: अब लापरवाही से गाड़ी चलाना पड़ेगा महंगा, हिट एंड रन केस में मिलेगी बेहद कठोर सजा

Hit And Run Case: जानकार मानते हैं कि भारत में सड़क हादसों की सबसे बड़ी वजहों में लापरवाही से ड्राइविंग भी शामिल है। अप्रशिक्षित और यातायात के नियमों की जानकारी का अभाव रखने वाले ड्राइवर खुद तो हादसे का शिकार होते ही हैं और साथ ही दूसरों की भी जान जोखिम में डाल देते हैं।

Update:2023-08-12 11:13 IST
hit and run case (photo: social media)

Hit And Run Case: दुनिया में भारत ही एक ऐसा देश है, जहां एक लाख से अधिक लोग सड़क हादसों में अपनी जान गंवा देते हैं। ये आंकड़ा मामूली नहीं है क्योंकि इतने लोग युद्धग्रस्त इलाकों में भी नहीं गंवाते। जानकार मानते हैं कि भारत में सड़क हादसों की सबसे बड़ी वजहों में लापरवाही से ड्राइविंग भी शामिल है। अप्रशिक्षित और यातायात के नियमों की जानकारी का अभाव रखने वाले ड्राइवर खुद तो हादसे का शिकार होते ही हैं और साथ ही दूसरों की भी जान जोखिम में डाल देते हैं।

हिट एंड रन के मामले अक्सर मीडिया में छाए रहते हैं। अगर आप कुछ हालिया पुरानी खबरों की ओर नजर दौड़ाएंगे तो ऐसे कई मामले आपको दिख जाएंगे। बीते माह यानी जुलाई में ही अहमदाबाद में एक कार सवार ने 9 लोगों को रौंद डाला था। लगातार बढ़ रहे इस तरह के मामलों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार अब हिट एंड रन केस में सख्त सजा का प्रावधान करने जा रही है।

कमजोर कानून का फायदा उठाकर बच जाते हैं आरोपी

हिट एंड रन केस में अक्सर देखा गया है कि आरोपी कानून की कमजोरी का फायदा उठाकर आसानी से राहत हासिल कर लेता है। वहीं, पीड़ित को इंसाफ के लिए अस्पताल और पुलिस के चक्कर लगाने पड़ते हैं। आरोपी ड्राइवर पुलिस थाने से ही जमानत हासिल कर छूट जाता है। अगर वह किसी मामले में दोषी पाया भी जाता है तो महज जुर्माने की रकम अदा कर राहत पा लेता है।

कानून की इस कमजोरी को दुरूस्त करने के लिए सरकार अब इसमें बड़ा बदलाव करने जा रही है। आपराधिक कानून में बदलाव को लेकर प्रस्तावित न्याय संहिता 2023 में अगर किसी की लापरवाही से किसी शख्स की मौत हो जाती है तो ऐसे में आरोपी के लिए छूटना अब आसान नहीं होगा।

पहले कितनी मिलती थी सजा और अब कितनी मिलेगी

भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 104 के तहत लापरवाही से मौत या फिर जल्दबाजी या लापरवाही से हुई मौत के अपराध में पहले – 2 साल की कैद या जुर्माना या फिर दोनों का प्रावधान था। प्रस्तावित विधेयक में इन अपराधों के लिए न्यूनतम साल की कैद और जुर्माना देने का प्रावधान किया गया है। जो अपराध गैर इरादतन हत्या की श्रेणी में नहीं आते हैं, उसकी सजा और कठोर कर दी गई है। ऐसे मामलों में अगर आरोपी घटनास्थल से भाग जाता है तो उसे दोनों प्रकार यानी कैद और जुर्माना दोनों से दंडित किया जाएगा। कैद की अवधि दस वर्ष तक हो सकती है और साथ में जुर्माना भी भरना पड़ सकता है।

लापरवाही से होने वाली मौतों पर लगेगा अंकुश

प्रस्तावित कानून को अगर संसद पास कर देती है तो लापरवाह लोगों पर नकेल कसी जा सकेगी। यह उन लोगों के लिए मुश्किलें खड़ी करेगा, जिनकी लापरवाही के कारण किसी निर्दोष की जान चली जाती है या उसे गंभीर चोट पहुंचती है। इस कानून का मकसद नागरिकों को शांति और सुरक्षा के लिए और अधिक जिम्मेदार बनाना है।

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