गुजरात दंगों पर खुलकर बोले अमित शाह, कहा-ट्रेन जलने से लोगों में था गुस्सा, NGO-राजनेता-कुछ पत्रकारों ने झूठ फैलाया 

Gujrat Riots: अमित शाह ने इंटरव्यू में राहुल गांधी पर तंज कसा। बोले, गुजरात दंगों को लेकर पीएम मोदी SIT के सामने पेश हुए थे। कोई नाटक नहीं किया, कि मेरे समर्थन में आओ और धरना दो।

Written By :  aman
Update:2022-06-25 12:10 IST

Central Home Minister Amit Shah

Amit Shah On Gujarat Riots: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) ने साल 2002 में हुए चर्चित गुजरात दंगों (Gujarat Riots 2002) के दौरान जो कुछ हुआ, उस पर पहली बार खुलकर बात की है। दरअसल, अमित शाह ने सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के बाद चुप्पी तोड़ी है। शाह ने गुजरात दंगों से जुड़े मामलों में मीडिया (Media), गैर सरकारी संगठनों (NGO's) और राजनीतिक दलों की भूमिका और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में खुलकर बात की। केंद्रीय गृह मंत्री ने ये एक समाचार एजेंसी को इंटरव्यू दिया है। 

यहां आपको बता दें, कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में फैसला सुनाया है जिसमें साल 2002 के गुजरात दंगा मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सहित 64 लोगों को एसआईटी (SIT) की क्लीन चिट (Clean Chit) को चुनौती देने वाली जकिया जाफरी की याचिका (Zakia Jafri's petition) को ख़ारिज कर दिया।

क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने? 

सर्वोच्च अदालत ने 24 जून 2022 को एसआईटी की ओर से दायर क्लोजर रिपोर्ट (Closure Report) के खिलाफ जकिया जाफरी की विरोध वाली याचिका को खारिज करने के मजिस्ट्रेट के आदेश को बरकरार रखा था। इतना है नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगे से जुड़े इस मामले में टिप्पणी में कहा कि, 'जकिया जाफरी की अपील योग्यता से रहित है। यह खारिज करने योग्य है।'

'मोदी जी ने बताया संविधान का सम्मान कैसे किया जाता है' 

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सुप्रीम कोर्ट के इसी फैसले के बाद एक समाचार एजेंसी से कहकर बात की। वर्ष 2002 में हुए गुजरात दंगों पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, 'प्रधानमंत्री मोदी ने उदाहरण पेश किया कि कैसे संविधान का सम्मान किया जा सकता है। उन्होंने कहा, उनसे (मोदी से) पूछताछ की गई। लेकिन, किसी ने धरना नहीं दिया। पार्टी कार्यकर्ता उनके साथ एकजुटता दिखाने के लिए सड़कों पर नहीं उतरे। शाह कहते हैं, अगर आरोप लगाने वालों में अंतरात्मा है, तो उन्हें माफी मांगनी चाहिए।' दरअसल, अमित शाह का निशाना राहुल गांधी की ओर था। जब उनसे ED पूछताछ के बीच कांग्रेस कार्यकर्ता आए दिन प्रदर्शन और धरना दे रहे हैं।   

गुजरात सरकार ने दंगे के अगले ही दिन सेना बुला ली थी 

बातचीत में अमित शाह ने साल 2002 के दंगों के दौरान गुजरात सरकार की कार्रवाई पर लंबी चर्चा की। शाह बोले, 'जहां तक गुजरात सरकार का सवाल है। हमें देर नहीं हुई थी। जिस दिन गुजरात बंद का आह्वान हुआ था, उसी दिन दोपहर में हमने सेना बुला ली थी। हालांकि, सेना को पहुंचने में थोड़ा वक्त लगता है। हमने एक दिन की भी देरी नहीं की थी। अदालत ने भी इसकी सराहना की।'

दंगे को नियंत्रित करने के लिए सारे प्रयास किए 

गुजरात दंगों पर खुलकर अपनी बात रखते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आगे कहते हैं, 'सब कुछ हालात को नियंत्रित करने के लिए किया था। वैसी स्थितियों को नियंत्रित करने में समय लगता है। गिल साहब (पंजाब के पूर्व डीजीपी, केपीएस गिल) ने कहा था कि, उन्होंने उनके जीवन में कभी भी इतना अधिक तटस्थ और त्वरित कार्रवाई नहीं देखी। उनके खिलाफ भी आरोप लगाए गए।'

'...बाद में यह किसी के नियंत्रण में नहीं रहा' 

बातचीत को आगे बढ़ाते हुए अमित शाह ने साल 2002 के गुजरात दंगों के दौरान अधिकारियों और पुलिस प्रशासन पर भी अपनी बात रखी। उन्होंने बताया, कि 'उस वक़्त के अधिकारियों और पुलिस प्रशासन ने दंगे को नियंत्रित करने में अपनी अहम भूमिका निभाई। उन्होंने अच्छा काम किया। मगर, गोधरा में ट्रेन जलने से लोगों में गुस्सा था। जो बढ़ता गया। किसी को भनक तक नहीं लगी। बाद में यह किसी के हाथ में नहीं था।'

'तहलका' का स्टिंग ऑपरेशन राजनीति से प्रेरित

इंटरव्यू में अमित शाह ने उस वक़्त सुर्खियों में रहे तहलका के स्टिंग ऑपरेशन की भी चर्चा की। उन्होंने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि ट्रेन जलाने के बाद हुए दंगे पूर्व नियोजित नहीं थे। बल्कि, वो स्व-प्रेरित थे। कोर्ट ने तहलका के स्टिंग ऑपरेशन (Tehelka sting operation on 2002 Gujarat Riots) को खारिज कर दिया। शाह ने बताया,कि जब इसके पहले और बाद के फुटेज सामने आए तो पता चला कि तहलका का स्टिंग ऑपरेशन राजनीति से प्रेरित था। 

UPA सरकार ने तीस्ता सीतलवाड़ के NGO की मदद की

गृह मंत्री अमित शाह ने कई बातों से पर्दा भी उठाया। उन्होंने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट ने कहा, कि जकिया जाफरी ने किसी और के निर्देश पर काम किया। एनजीओ (NGO) ने कई पीड़ितों के हलफनामे पर हस्ताक्षर किए। पीड़ितों को पता भी नहीं चला। ये सभी जानते हैं कि तीस्ता सीतलवाड़ (Teesta Setalvad NGO) का एनजीओ ऐसा कर रहा था। लेकिन, जब केंद्र में यूपीए सरकार (UPA Government) आई, तो उसने 2002 के गुजरात दंगों के मामले में तीस्ता सीतलवाड़ के एनजीओ की मदद की।'

सीतलवाड़ के NGO ने झूठा प्रचार किया

गुजरात दंगे को लेकर जकिया जाफरी की याचिका (Zakia Jafri petition) पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले  मद्देनजर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, 'मैंने फैसले को जल्दबाजी में पढ़ा। लेकिन इसमें स्पष्ट रूप से तीस्ता सीतलवाड़ के नाम का उल्लेख है। तीस्ता का एक एनजीओ था, जिसने सभी पुलिस थानों में बीजेपी कार्यकर्ताओं से जुड़े ऐसे आवेदन दिए थे। तब मीडिया का इतना दबाव था कि सभी आवेदनों को सच मान लिया गया।'

'खास विचारधारा से प्रेरित मीडिया, कुछ पत्रकारों और NGO ने झूठ फैलाया' 

अमित शाह ने गुजरात दंगों को लेकर उस आलोचना पर भी जमकर प्रहार किया जिसमें तत्कालीन बीजेपी सरकार और प्रशासनिक अधिकारियों पर उंगली उठाए जाते रहे हैं। उन्होंने कहा, गुजरात दंगों के दौरान राज्य पुलिस और वरिष्ठ अधिकारी बहुत कुछ नहीं कर सके। शाह कहते हैं, बीजेपी के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों, वैचारिक रूप से प्रेरित तथा राजनीति से प्रेरित पत्रकारों और कुछ गैर सरकारी संगठनों (NGO) की तिकड़ी ने आरोपों को जमकर प्रचारित किया। उनके पास एक मजबूत इकोसिस्टम (Strong Ecosystem) था। इसलिए हर कोई झूठ को ही सच मानने लगा। लेकिन अब सब साफ़ हो गया है।'

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