बंद होंगे हुक्का बारः कोर्ट की है तीखी नजर, बहुत रोचक है हुक्के का शाही सफर
हुक्का बार बंद होते हैं फिर शुरू हो जाते हैं। शादियों और अन्य दावतों में केटरिंगवाले अब हुक्का भी पेश करते हैं।
नई दिल्ली: हुक्का बार बंद होते हैं फिर शुरू हो जाते हैं। शादियों और अन्य दावतों में केटरिंगवाले अब हुक्का भी पेश करते हैं। हुक्का यूं तो तंबाकू वाला होता है लेकिन अब हर्बल और सिंथेटिक नॉन-टोबैको हुक्का खूब प्रचलन में है। हुक्का बारों में कहने को नॉनटोबैको हुक्का रखा जाता है लेकिन फिर भी ये युवाओं को एक गलत आदत की ओर आकर्षित करते हैं।
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बहरहाल, हुक्के का इतिहास प्राचीन काल से है। कोई निश्चित तौर पर नहीं जानता कि हुक्का कहाँ से और कब आया है। लेकिन ये तय है कि हुक्के की सबसे अधिक संभावना वाली मातृभूमि भारत है।
दो धारणायें
शोधकर्ताओं के बीच हुक्के के बारे में दो तरह के मत हैं। एक मत कहता है कि हुक्के का जन्म 16 वीं शताब्दी में फतेहपुर सीकरी में किया गया था। बताया जाता है की देश के दक्षिणी भाग से आने वाले ईसाइयों ने सम्राट अकबर को तंबाकू पेश किया था। जिसके बाद बादशाह के एक ईरानी हकीम अबुल-फाट गिलानी ने हुक्के की शक्ल वाली डिवाइस का आविष्कार किया। जल्द ही ये रईसों में खूब लोकप्रिय हो गया। भारत से यह मध्य पूर्व में फैल गया और वहाँ इसका स्वरूप बदल गया।
दूसरा मत है कि हुक्के की उत्पत्ति प्राचीन फारस (आधुनिक ईरान) में सफ़वीद वंश के दौरान हुई थी, जहाँ से यह पूर्व और भारत में गया था। फ़ारसी कवि आली शिराज़ी ने अपनी कविताओं में इस उपकरण का उल्लेख किया है। यानी 1500 के दशक से पहले ये बन चुका था।
अलग अलग नाम
अरगिलह - फिलिस्तीन, लेबनान, सीरिया, अजरबैजान, कुवैत, जॉर्डन, इराक सहित मध्य पूर्व के देशों में हुक्के को अरगिलह कहा जाता है।
नरगिलह - इज़राइल में नरगिलह शब्द का उपयोग किया जाता है जो फ़ारसी नरगिल (संस्कृत शब्द नारीकेला - "नारियल" से लिया गया है)।
चिलम - उज्बेकिस्तान और पाकिस्तान में।
शीश या शीश (फारसी - कांच) - अरब प्रायद्वीप (कतर, यमन, सऊदी अरब, यूएई,), दक्षिण अफ्रीका (अल्जीरिया, मिस्र, सूडान, मोरक्को, ट्यूनीशिया) के देशों में।
रेस्तरां और कैफे में हुक्का
कई शताब्दियों से मध्य पूर्व में हुक्का धूम्रपान का मानक तरीका है। मध्य पूर्व के देशों में रेस्तरां और कैफे में हुक्का बहुत आम चीज है। अरब देशों में लोग अपने मकान के चबूतरे में दोस्तों के साथ बैठ कर हुक्का पीते हैं। भारत में हुक्का सबसे ज्यादा हरियाणा में प्रचलन में है।
तरह तरह के मिश्रण
जब हुक्का अमीर वर्ग तक सीमित था तब तंबाकू और फलों के गुड़ (आमतौर पर अंगूर), हशीश और यहां तक कि मोती की धूल का मिश्रण इस्तेमाल किया जाता था। जब ये आम जनता के बीच आया तो लोग काले तंबाकू का इस्तेमाल करने लगे। लेकिन हुक्का फ्लास्क में स्वाद बढ़ाने के लिए विभिन्न फलों, जूस और तेलों को रखा जाता था।
सम्मान का सवाल
पुराने जमाने में अगर किसी मेहमान को हुक्का धूम्रपान करने की पेशकश की गई और उसने इनकार कर दिया, तो उसका इनकार घर के मालिक के प्रति बेइज्जती माना जाता था।
1842 में फ्रांस के राजदूत जब ओटोमन साम्राज्य के शासक के पास पहुंचे और उन्हें धूम्रपान की पेशकश नहीं की गई तो उन्होंने इसे बेइज्जती के रूप में लिया। ये मामला इतना आगे बढ़ा कि युद्ध की नौबत आ गई थी।
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हुक्के का आधुनिकीकरण
तंबाकू के भयानक दुष्परिणामों की वजह से धूम्रपान के खिलाफ तमाम अभियान चलते रहते हैं। तंबाकू के प्रयोग को वर्जित करने के लिए सरकारें उपाय करती हैं। इसी क्रम में हुक्के के साथ एक प्रयोग किया गया जिसमें तंबाकू की जगह सिंथेटिक सामाग्री या कोई अन्य सुंगंधित पदार्थ जलाया जाता है। ऐसे हुक्के आमतौर पर हुक्का बार या समारोहों में पेश किए जाते हैं। भारत में हुक्का बार का चलन अरब देश, खास तौर पर सऊदी अरब से आया है। पैसा कमाने के चक्कर में हुक्का बार वाले शराब और सिगरेट भी परोसने लगे जिससे युवाओं पर बहुत बुरा असर पड़ा है।
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