IAS Varun Baranwal: मिलिए आईएस वरुण बरनवाल से, गरीबी से जूझते हुए रच दिया इतिहास
IAS Varun Baranwal Success Story: वरुण बरनवाल ने अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपने जीवन की सभी बाधाओं को पार करते हुए सफलता हासिल की और आज के युवाओं के लिए एक नई प्रेरणा बने।
IAS officer Varun Baranwal: यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में सफल हुए उम्मीदवारों की कहानियों ने हमेशा पूरे देश के उम्मीदवारों को प्रेरित किया है। ऐसी ही एक सच्ची कहानी आईएएस अधिकारी वरुण बरनवाल की है, जिन्होंने अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपने जीवन की सभी बाधाओं को पार करते हुए सफलता हासिल की और आज के युवाओं के लिए एक नई प्रेरणा बने।
वरुण बरनवाल के पिता महाराष्ट्र के पालघर जिले के छोटे से शहर बोइसर में एक साइकिल मैकेनिक थे। लेकिन दुर्भाग्यवश वरुण के पिता की सन् 2006 में मृत्यु हो गई थी। जिसके बाद वरुण के परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा। वरुण को मेडिकल की तैयारी करनी थी, लेकिन मजबूरन उसे नौकरी करनी पड़ी।
आइए पढ़ते हैं वरुण के संघर्ष की कहानी
यह कहानी क्यों मायने रखती है ?
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने 30 मई को 2021 सीएसई के नतीजे घोषित किए। इन नतीजों की घोषणा के बाद से कई लोगों की जिंदगी बदल गई है। तभी सफल उम्मीदवारों की कुछ प्रेरणादायक कहानियां सामने आई।
हालांकि वरुण बरनवाल ने 2014 में सन् 2013 सीएसई की परीक्षा उत्तीर्ण की थी, लेकिन उनकी प्रेरणादायक कहानी आज भी महत्वपूर्ण है क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में गंभीर बाधाओं से जूझते हुए ये उपलब्धि हासिल की।
बरनवाल के पिता के निधन के बाद क्या हुआ ?
वरुण बरनवाल की 10वीं की परीक्षा खत्म ही हुई थी, कि कुछ दिनों बाद उनके पिता की मुत्यु हो गई थी। पिता के न रहने के बाद उनकी आय का एकमात्र स्रोत साइकिल रिपेयरिंग की दुकान थी, जिसे बरनवाल ने परिवार की देखभाल के लिए चलाने का फैसला किया।
लेकिन तभी बरनवाल का कक्षा 10 का रिजल्ट घोषित हुआ, जिसमें बरनवाल का बहुत ही शानदार प्रदर्शन था। तब बरनवाल की माँ ने पढ़ाई के प्रति उनके जुनून और कुछ हासिल करने की इच्छा को देखा। जिसके बाद मां ने खुद दुकान संभालने का फैसला किया और बेटे बरनवाल से अपनी शिक्षा जारी रखने को कहा।
मेडिकल की फीस ज्यादा होने की वजह से डॉक्टर नहीं बन सका
बरनवाल ने स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने जुनून को आगे बढ़ाने का फैसला किया। लेकिन मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए इतनी ज्यादा फीस का इंतेजाम कर पाना बहुत मुश्किल था। इसलिए उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के लिए मन बना लिया।
बरनवाल ने एमआईटी कॉलेज, पुणे में प्रवेश लिया और छात्रवृत्ति पाने के लिए अपने पहले सेमेस्टर में बहुत मेहनत की। स्कॉलरशिप की मदद से उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की।
बरनवाल ने देश की सेवा के लिए एमएनसी की नौकरी छोड़ी
बरनवाल ने अपनी इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के बाद एक एमएनसी में नौकरी ज्वॉइन कर ली। उनका परिवार चाहता था कि वे एमएनसी की नौकरी करते रहें, लेकिन उन्होंने सिविल सेवा की तैयारी करने का मन बना लिया।
बरनवाल का सबसे बड़ा सपोर्ट सिस्टम
बरनवाल को जब भी कोई समस्या होती थी, तो उनके दिवंगत पिता के मित्र डॉ. कामप्ली ने उनका बहुत सहयोग दिया। उन्होंने ही बरनवाल के पिता का इलाज किया था। लेकिन पिता की हालत बहुत नाजुक थी, जिसकी वजह से उन्हें बचाया नहीं जा सका।
बड़े सपोर्ट सिस्टम की तरह डॉ. कामप्ली ने बरनवाल के जीवन को पूरी तरह से बदल दिया। उन्होंने न केवल उनके कॉलेज की फीस देने में उनका साथ दिया बल्कि यूपीएससी सीएसई की तैयारी में भी बहुत मदद की। उनके दोस्तों ने भी बरनवाल को किताबें लाकर दी और मुश्किल समय में मदद की। साथ ही उन्हें गैर-सरकारी संगठनों से भी सहायता मिली, जिन्होंने उन्हें परीक्षा की तैयारी में मदद करने के लिए किताबें प्रदान कीं।
सभी के सहयोग से बरनवाल ने 2013 सीएसई पास किया और आईएएस अधिकारी बने।
वरुण ने 2013 यूपीएससी सीएसई में एआईआर 32 हासिल किया
अपने संघर्षभरे जीवन को एक सबक के रूप में देखने वाले बरनवाल ने 2013 सीएसई में एआईआर 32 हासिल किया और उन्हें भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी के रूप में चुना गया। उनका मानना है कि वे अपने जीवन की जिन परिस्थितियों से गुजरे हैं वह उन्हें एक बेहतर लोक सेवक बनाता है।