भारत में इस साल पड़ेगी कड़ाके की ठंड: ये है बड़ी वजह, हो जाएं तैयार
भारत मौसम समाचार केंद्र से प्राप्त जानकारी के मुताबिक उत्तर भारत के साथ-साथ मैदानी इलाकों और पहाड़ियों पर भी सर्दी बढ़ती जा रही है। पूरे क्षेत्र में साफ आसमान और ठंडी हवा के बीच न्यूनतम सामान्य और अधिक गिरावट होने से समय से पहले सर्दी के आगमन की संभावना है।
लखनऊ: प्रशांत महासागर से ला नीना प्रभाव के कारण पूरे देश में इस बार कड़ाके की ठंड पडेगी। साथ ही इस बार जाड़े का मौसम लंबा चलने की भी संभावना है। मौसम विभाग के मुताबिक जाडे़ का मौसम करीब 15 दिन ज्यादा रहेगा और इसमे भी करीब दिसंबर के दूसरे सप्ताह से पूरे जनवरी माह तक, डेढ़ महीने शीत लहर के कारण कड़ाके की ठंड पड़ने का अनुमान है।
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भारत मौसम समाचार केंद्र से प्राप्त जानकारी के मुताबिक उत्तर भारत के साथ-साथ मैदानी इलाकों और पहाड़ियों पर भी सर्दी बढ़ती जा रही है। पूरे क्षेत्र में साफ आसमान और ठंडी हवा के बीच न्यूनतम सामान्य और अधिक गिरावट होने से समय से पहले सर्दी के आगमन की संभावना है। देश के यूपी, मध्यप्रदेश तथा दिल्ली समेत उत्तरी भारत के राज्यों में नवंबर के पहले सप्ताह बाद ठंड अपना असर दिखाने लगेगी। इस बार दक्षिण-पश्चिम मानसून भी देर से विदा हुआ है। इसकी विदाई 28 अक्टूबर को हुई है।
नवंबर से पश्चिमी विक्षोभ जम्मू कश्मीर से उत्तर भारत के मैदानी इलाकों की ओर आना शुरू हो जायेगा
मौसम विभाग के मुताबिक नवंबर से पश्चिमी विक्षोभ जम्मू कश्मीर से उत्तर भारत के मैदानी इलाकों की ओर आना शुरू हो जायेगा। इसी के साथ मैदानी इलाकों में ठंड बढ़ती जायेगी। नवंबर माह के दूसरे हफ्ते से दिन का तापमान 30 डिग्री के नीचे आना शुरू हो जायेगा और रात का तापमान भी 16 डिग्री तक पहुंच जायेगा। इसमे धीरे-धीरे कमी आती जायेगी और नवंबर अंत व दिसंबर माह के दूसरे हफ्ते तक गुलाबी ठंड रहने के आसार है। दिसंबर माह के मध्य से ही शीत लहर चलने व कड़ाके की ठंड की शुरूआत होने की संभावना है, जो जनवरी माह के अंत तक रहने का अनुमान है। इस दौरान मैदानी इलाकों में कुछ स्थानों पर ओले गिरने की भी संभावना है।
जम्मू कश्मीर और हिमाचल के मध्य और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में 03 और 04 नवंबर को हल्की वर्षा के आसार हैं। जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के पहलगाम, गुलमर्ग, केलोंग जैसे पर्यटक स्थलों पर समय के साफ पहले ही पारा शून्य के करीब पहुंच गया है।
पूर्व और पूर्वोत्तर भारत
पूर्वी भारत में इस सप्ताह किसी भी मौसमी हलचल की आशंका फिलहाल नहीं है। इस सप्ताह के दौरान बिहार और झारखंड में तापमान में 2-3 डिग्री की गिरावट आने वाली है। दूसरी ओर उत्तर-पूर्वी भागों में सप्ताह के शुरुआती दिनों में हल्की से मध्यम बारिश होगी जबकि मध्य से आखिर तक मौसम मुख्यतः साफ और शुष्क रहने की संभावना है।
मध्य भाग
तटीय ओडिशा में 02 से 04 अक्टूबर के बीच बादल छाए रहने और गर्जना के साथ हल्की से मध्यम बारिश होने के आसार हैं। उसके बाद आसमान साफ हो जाएगा। मध्य भारत के बाकी हिस्सों में पूरे सप्ताह मौसम साफ और शुष्क ही बना रहेगा। दिन में धूप का प्रभाव दिखेगा। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में तापमान में गिरावट की संभावना है।
दक्षिण प्रायद्वीप
इस सप्ताह देश में सबसे ज्यादा मौसमी हलचल दक्षिण भारत के क्षेत्रों में ही संभावित है। सप्ताह के शुरुआती दिनों में जहां दक्षिणी आंतरिक कर्नाटक और केरल में मध्यम से भारी बारिश होने के आसार हैं। वहीं सप्ताह के उत्तरार्ध के दौरान तमिलनाडु में मॉनसून की हलचल बढ़ जाएगी और अच्छी बारिश देखने को मिलेगी। इस बीच बंगाल की खाड़ी पर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है जिसके कारण सप्ताह के मध्य में आंध्र प्रदेश और रायलसीमा के कई इलाकों में गर्जना के साथ वर्षा होने की संभावना है।
दिल्ली-एनसीआर
इस साल दिल्ली में पिछले पांच दशकों में सबसे ठंडा अक्टूबर रहा, जहां इस बार न्यूनतम औसत तापमान 17.2 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। इस सप्ताह भी दिल्ली और एनसीआर के शहरों में बारिश की संभावना नहीं है। साफ मौसम के बीच दिन में धूप और रात ठंडी हवाओं का प्रभाव रहेगा। हालांकि प्रदूषण और धुएं के कारण सुबह के समय धुंध छाई रहेगी। रात का तापमान सामान्य से नीचे लगभग 12 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहेगा।
चेन्नई
चेन्नई के लिए सप्ताह बारिश लेकर आया है। हालांकि शुरुआती दो दिनों में हल्की बारिश होगी उसके बाद बारिश की गतिविधियों में वृद्धि होगी और कई जगहों पर अच्छी बारिश देखने को मिलेगी। दिन का तापमान लगभग 31 डिग्री सेल्सियस और रात का तापमान 25 डिग्री सेल्सियस के आसपास हो सकता है।
भारत मौसम विज्ञान के महानिदेशक मृत्युजंय महापात्र ने पिछले दिनों शीत लहर के खतरे में कमी पर आयोजित एक वेबीनार में बताया कि अल नीनो तथा ला नीना शीत लहर की स्थिति के लिए बड़ी भूमिका निभाते है। ला नीना के प्रभाव के कारण इस बार कड़ाके की सर्दी पड़ने वाली है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन से मौसम अनियमित हो जाता है। उन्होंने बताया कि ला नीना की कमजोर स्थिति के कारण ठंड ज्यादा पड़ने की उम्मीद है।
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ये होता है ला-नीना का प्रभाव
प्रशांत महासागर में इस बार समुद्र का तापमान सामान्य से 0.5 डिग्री कम चल रहा है। प्रशांत में पानी और हवा के सतही तापमान से ही बारिश, गर्मी और ठंड का पैटर्न तय होता है। ला-नीना प्रभाव में प्रशांत महासागर में दक्षिणी अमेरिका से इंडोनेशिया की तरफ हवाएं चलती हैं, जो सतह के गरम पानी को उड़ाने लगती हैं। इसका असर ये होता है कि सतह पर ठंडा पानी उठने लगता है। इससे सामान्य से ज्यादा ठंडक पूर्वी प्रशांत के पानी में देखी जाती है। ला नीना प्रभाव के चलते ठंड में हवाएं तेज चलती हैं। इससे भूमध्य रेखा के पास सामान्य से ज्यादा ठंड हो जाती है। इसी का असर मौसम पर पड़ता है।
मनीष श्रीवास्तव
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