Digital Payment: बढ़ता डिजिटल पेमेंट बना सशक्तीकरण का नया जरिया, दूसरे देश भी अपना रहे ये मॉडल
Digital Payment: भारत में 2019 से जिस तेजी से डिजिटल पेमेंट बढ़ा उसने समाज को आर्थिक क्षेत्र में एक नई दिशा दी है।
Digital Payment: भारत में बढ़ते डिजिटल पेमेंट ने लोगों को आत्मनिर्भर बनने के लिए नई दिशा दी है। जिस तरह से कई बैंकों को एक ही मोबाइल ऐप पर लाकर सारी सुविधाएं प्रदान की गई है उससे लोगों को काफी आसानी हुई है। एक मीडिया रिपोर्ट की माने तो 2024 में ही यूपीआई के जरिए 131 अरब ट्रांजेक्शन दर्ज़ हुए हैं, जिनकी कुल क़ीमत 2.39 ट्रिलियन डॉलर है। वहीं रोज होने वाले ट्रांजेक्शन की संख्या 2026-27 तक एक अरब तक पहुंचने का अनुमान है। सरकार की तरफ से जो आंकड़े इसको लेकर दिए गए है उनमें साल 2022 में दुनियभर में की गई सभी रीयल टाइम पेमेंट का 46 फ़ीसदी भारत से ही किया गया।
डिजिटल पेमेंट की गंभीर चुनौतियां
भले ही भारत में डिजिटल पेमेंट काफी तेजी से आगे बढ़ रहा हो लेकिन इसके साथ- साथ काफी नई और गंभीर चुनौतियां भी लोगों को फेस करनी पड़ रही है। अब तक डिजिटल पेमेंट में भारत ने दुनिया के चार बड़े देशों को पीछे छोड़ दिया है। जिसमें चीन और अमेरिका भी शामिल है। भारत में फिलहाल के लिए जो चुनौती दिखाई दें रही उसमें सबसे बड़ा है महिलाओं का डिजिटल पेमेंट करने में भागेदारी कम होना। महिलाएं, पुरुषों की तुलना में 41 फ़ीसदी कम मोबाइल इंटरनेट का इस्तेमाल करती हैं।
भारत की नीति अपना रहे दूसरे देश
भारत में हर साल सफलता पूर्वक बढ़ते डिजिटल पेमेंट को देखकर दूसरे देश भी हमारे मॉडल को अपनाना शुरू कर दिए है। यूपीआई सुविधा सर्विस श्रीलंका, मॉरिशस, भूटान और नेपाल जैसे देशों में शुरू हो चुकी है। मालदीव ने अपने देश में शुरू करने के लिए साझेदारी की है। ये सिस्टम दूसरे देश के नागरिकों के लिए आसान है, वो आसानी से अपने किसी भी बैंक कार्ड के ज़रिए यूपीआई डिजिटल वॉलेट में पैसा रख सकते हैं और फिर उसका इस्तेमाल किसी भारतीय कारोबार को बढ़ाने के लिए कर सकते है। वर्तमान में भारत में दुनिया के 40 फ़ीसदी रीयल टाइम पेमेंट हो रहे हैं।