India-Canada: भारत-कनाडा: क्या है पूरा मामला और अब क्या होगा आगे? जानिए सब कुछ

India-Canada: भारत और कनाडा के बीच बेहतरीन रिश्ते रहे हैं। पश्चिम में जाकर बसने-कमाने का सपना पालने वालों के लिए कनाडा एक आसान डेस्टिनेशन रहा है जिसके चलते कनाडा में बड़ी संख्या में भारतीय छात्र और भारतीय मूल के लोग रह रहे हैं। कनाडा से व्यापार भी अच्छा खासा है। लेकिन अब स्थिति खराब है।

Report :  Neel Mani Lal
Update: 2023-09-19 18:00 GMT

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी-कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो: Photo- Social Media

India-Canada: भारत और कनाडा के बीच बेहतरीन रिश्ते रहे हैं। पश्चिम में जाकर बसने-कमाने का सपना पालने वालों के लिए कनाडा एक आसान डेस्टिनेशन रहा है जिसके चलते कनाडा में बड़ी संख्या में भारतीय छात्र और भारतीय मूल के लोग रह रहे हैं। कनाडा से व्यापार भी अच्छा खासा है। लेकिन अब स्थिति खराब है। कनाडा में लंबे समय से अलगाववादी खालिस्तानी मूवमेंट के समर्थक अपना एजेंडा चला रहे हैं और भारत विरोधी हरकतों को इससे हवा पानी मिल रहा है। हाल में इसमें काफी तेजी भी आई है।

कुछ महीने पहले कनाडा में रहने वाले एक खालिस्तान समर्थक सिख नेता की हत्या कर दी गई थी। अब कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने आरोप जड़ दिया है कि उस हत्याकांड में भारत सरकार के एजेंट शामिल होने का संदेह है। इसके बाद भारत और कनाडा के बीच तनाव बढ़ गया है और दोनों देशों ने एक दूसरे के एक एक राजनयिक को निकाल दिया है।

किसकी हत्या हुई थी

कनाडा के ब्रिटिश कोलम्बिया प्रान्त में सरे नामक जगह में 18 जून को हरदीप सिंह निज्जर की एक गुरुद्वारे के सामने दो नकाबपोश लोगों ने उसके ट्रक में गोली मारकर हत्या कर दी थी। 45 वर्षीय निज्जर खालिस्तान आंदोलन का एक मजबूत समर्थक था। वह 1990 के दशक में कनाडा माइग्रेट कर गया था। भारतीय अधिकारियों ने निज्जर को "आतंकवादी" करार दिया था और पंजाब में एक हिंदू पुजारी की हत्या के संबंध में वह एनआईए द्वारा वांछित था।

हरदीप सिंह निज्जर: Photo- Social Media

कनाडाई मीडिया ने जून में रिपोर्ट दी थी कि निज्जर को उसके "गिरोह के सदस्यों" और कनाडाई सुरक्षा खुफिया सेवा ने चेतावनी दी थी कि उसे "पेशेवर हत्यारों" द्वारा निशाना बनाया जा सकता है। कनाडाई जांचकर्ताओं ने पिछले महीने कहा था कि उन्होंने निज्जर की हत्या में तीन संदिग्धों की पहचान की है, लेकिन अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।

कनाडा के पीएम ने उठाया मसला

इस महीने की शुरुआत में कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो ने नई दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन के मौके पर निज्जर की हत्या का मुद्दा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने उठाया था। ट्रुडो के अनुसार उन्होंने भारत सरकार से इस मामले की तह तक जाने के लिए कनाडा के साथ सहयोग करने का आग्रह किया था। दोनों नेताओं की जी20 बैठक के बाद, भारत के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि पीएम मोदी ने कनाडा में भारत विरोधी प्रदर्शनों के बारे में ट्रूडो के सामने अपनी चिंता व्यक्त की थी।

भारत अब चिंतित क्यों है?

भारत कनाडा, ब्रिटेन, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में भारतीय राजनयिक मिशनों पर सिख अलगाववादियों और उनके समर्थकों द्वारा लगातार प्रदर्शन और हमले से भी परेशान है और स्थानीय सरकारों से बेहतर सुरक्षा की मांग की है।

इस साल की शुरुआत में कनाडा में आयोजित एक परेड में इंदिरा गांधी की हत्या को दर्शाने वाली झांकी प्रस्तुत की गई थी जिस पर भारत ने सख्त आपत्ति जताई थी और इसे सिख अलगाववादी हिंसा का महिमामंडन माना था।संबंधों पर असर

कनाडा स्थित भारतीय राजनयिकों ने कई अवसरों पर कहा है कि "सिख उग्रवाद" से निपटने में कनाडा सरकार की विफलता, और खालिस्तानियों द्वारा भारतीय राजनयिकों और अधिकारियों का लगातार उत्पीड़न, विदेश नीति का एक प्रमुख तनाव बिंदु है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन के मौके पर जस्टिन ट्रूडो से कनाडा में सिख विरोध प्रदर्शन के बारे में कड़ी चिंता जताई थी।

व्यापार वार्ता पर असर

कनाडा ने इस महीने कहा कि उसने भारत के साथ प्रस्तावित व्यापार संधि पर बातचीत रोक दी है, जबकि इसके ठीक तीन महीने पहले दोनों ने कहा था कि उनका लक्ष्य इस साल एक प्रारंभिक समझौते पर मुहर लगाना है।

उद्योग के अनुमान से पता चलता है कि कनाडा और भारत के बीच व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (सीईपीए) से दोतरफा व्यापार 6.5 बिलियन डॉलर तक बढ़ सकता है, जिससे 2035 तक कनाडा को 3.8 बिलियन डॉलर से 5.9 बिलियन डॉलर का सकल घरेलू उत्पाद प्राप्त होगा।

दोनों देशों में 2022 में माल व्यापार बढ़कर 8 बिलियन डॉलर हो गया। कनाडा को भारतीय निर्यात 4 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया और कनाडा से आयात भी 4 बिलियन डॉलर का हो गया है।

आयातित दालों के लिए भारत की बढ़ती मांग से कनाडाई किसानों को लाभ हुआ है, जबकि भारतीय दवा और सॉफ्टवेयर कंपनियों ने कनाडाई बाजार में अपनी उपस्थिति का विस्तार किया है। कनाडा से प्रमुख आयात में उर्वरकों के अलावा कोयला, कोक और ब्रिकेट जैसे ऊर्जा उत्पाद शामिल हैं, जबकि भारत उपभोक्ता वस्तुओं, परिधान, इंजीनियरिंग उत्पादों जैसे ऑटो पार्ट्स, विमान उपकरण और इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं का निर्यात करता है।

निवेश की स्थिति

कनाडा भारत का 17वां सबसे बड़ा विदेशी निवेशक है, जिसने 2000 के बाद से 3.6 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश किया है, जबकि कनाडाई पोर्टफोलियो निवेशकों ने भारतीय स्टॉक और ऋण बाजारों में अरबों डॉलर का निवेश किया है।

कनाडाई पेंशन फंड "सीपीपी" ने मार्च 2023 में पिछले वित्तीय वर्ष के अंत तक भारतीय बाजारों में रियल एस्टेट, नवीकरणीय ऊर्जा और वित्तीय क्षेत्र जैसे क्षेत्रों में अपना निवेश लगभग 15 बिलियन डॉलर तक बढ़ा दिया है।

बॉम्बार्डियर और एसएनसी लैवलिन सहित 600 से अधिक कनाडाई कंपनियों की भारत में मजबूत उपस्थिति है, जबकि इन्फोटेक दिग्गज टीसीएस, इंफोसिस, विप्रो जैसी 30 से अधिक भारतीय कंपनियों ने कनाडा में अरबों डॉलर का निवेश किया है, जिससे हजारों नौकरियां पैदा हुई हैं।

कनाडा में भारतीय छात्र: Photo- Social Media

कनाडा में भारतीय छात्र

2018 से भारत कनाडा में अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के लिए सबसे बड़ा स्रोत देश रहा है। कनाडाई ब्यूरो ऑफ इंटरनेशनल एजुकेशन का कहना है कि 2022 में भारत से आये छात्रों की संख्या 47 फीसदी बढ़कर लगभग 3,20,000 हो गई, जो कुल विदेशी छात्रों का लगभग 40 फीसदी है। ये कनाडा के लिए बड़ी कमाई है जिससे विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को घरेलू छात्रों को रियायती शिक्षा प्रदान करने में भी मदद मिलती है।

सिखों के लिए निहितार्थ

कई विश्लेषकों का कहना है कि बिगड़ते संबंध भारत में पंजाब में हजारों सिख परिवारों के आर्थिक हितों को प्रभावित कर सकते हैं, क्योंकि कनाडा में रह रहे उनके रिश्तेदार लाखों डॉलर घर वापस भेजते हैं। कनाडा की 2021 की जनगणना के अनुसार, कनाडा की सिख आबादी 20 वर्षों में दोगुना से अधिक यानी 2.1 फीसदी हो गई है। कनाडा में सिख समुदाय राजनीति में भी सक्रिय है और कई सिख मंत्री पदों पर हैं।

बहरहाल, राजनयिक सम्बंध कड़वे होने से अब आगे क्या होगा यह कहा नहीं जा सकता लेकिन इतना तय है व्यापारिक रिश्ते बिगड़ने वाले नहीं हैं। व्यापार, छात्रों तथा बसने वालों का जाना भी बना रहेगा। हां, इतना जरूर है कि कनाडा में खालिस्तान समर्थकों की हरकतों पर अब करीबी स्क्रूटनी रहेगी। और कनाडा पर अंतरराष्ट्रीय दबाव भी बनने की संभावना रहेगी।।

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