पीपीई के निर्माण में भारत की लंबी छलांग, कोरोना संकट के बीच मिली बड़ी कामयाबी

देश में कोरोना संकट ने भारतीय कंपनियों और संस्थानों के सामने कई चुनौतियां पेश की हैं। खुशी की बात यह है कि भारतीय कंपनियों ने इन चुनौतियों को अवसर के रूप में बदलने में सफलता हासिल की है।

Update:2020-05-08 09:18 IST

अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली। देश में बढ़ रहे कोरोना संकट के बीच भारत ने पीपीई के निर्माण के क्षेत्र में एक बड़ी कामयाबी हासिल की है। पीपीई के निर्माण के मामले में भारत अब दुनिया में दूसरे नंबर पर पहुंच गया है। इस मामले में दुनिया में पहले नंबर पर चीन है और उम्मीद जताई जा रही है कि अगर यही रफ्तार कायम रही तो भारत अगले छह महीने में चीन को पीछे छोड़ सकता है।

भारतीय संस्थानों ने चुनौतियों को भुनाया

देश में कोरोना संकट ने भारतीय कंपनियों और संस्थानों के सामने कई चुनौतियां पेश की हैं। खुशी की बात यह है कि भारतीय कंपनियों ने इन चुनौतियों को अवसर के रूप में बदलने में सफलता हासिल की है। कोरोना संकट के कारण इन दिनों मास्क, पीपीई और वेंटिलेटर की मांग काफी बढ़ गई है और अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए भारत ने मेक इन इंडिया के तहत लंबी छलांग लगाई है।

चीन के बाद दूसरे नंबर पर पहुंचा भारत

नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत का कहना है कि भारतीय कंपनियों ने मौके को भुनाने में कोई कोताही नहीं की है। पीपीई के निर्माण के क्षेत्र में हमने बड़ी कामयाबी हासिल की है। हम इस मामले में चीन के बाद दुनिया में दूसरे स्थान पर पहुंच गए हैं। उन्होंने कहा कि भारत में 250 निर्माता इस काम में जुटे हुए हैं। उन्होंने कहा कि हमने तो अभी निर्माण कार्य शुरू ही किया है। हमने इस मामले में अच्छी प्रगति हासिल की है और उम्मीद की जा सकती है कि अगले छह महीने में भारत चीन को पीछे छोड़कर दुनिया में पहले नंबर पर पहुंच जाएगा।

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जल्द निर्यात शुरू होने की उम्मीद

उन्होंने कहा कि कोरोना संकट के इस काल में पूरी दुनिया को पीपीई चाहिए। भारत में जितनी तेजी से इसका निर्माण किया जा रहा है, उससे हम उम्मीद कर सकते हैं कि हम जल्द ही इसका निर्यात भी शुरू कर देंगे। इस मामले में भारत वैश्विक मंच पर एक बड़ी भूमिका निभाने को तैयार है। इससे भारत की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।

इनोवेशन में जुटे हैं भारतीय संस्थान

देश में कोरोना संकट बढ़ने के बाद आईआईटी सहित तमाम संस्थान इनोवेशन के काम में जुटे हुए हैं। सरकार विभिन्न देशों में अपने मिशन के जरिए संस्थानों के इनोवेशन को बढ़ावा देने की कोशिश में जुटी हुई है। आईआईटी कानपुर ने हाल में कमाल का कोरोना किलर बॉक्स तैयार किया है। इससे सब्जियां, फल, चीनी, घरेलू जरुरत की अन्य चीजें और यहां तक कि मोबाइल, रुपए और चाबी आदि को भी मिनटों में ही पराबैगनी किरणों से साफ किया जा सकता है। आईआईटी मद्रास के स्टार्टअप ने अस्पताल और क्लीनिक के कचरे से कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए एक स्टार्ट बिन सिस्टम विकसित किया है। देश के कई और संस्थान भी इनोवेशन में जुटे हुए हैं। आने वाले दिनों में भारत को इसका काफी फायदा मिल सकता है।

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घरेलू निर्माताओं ने निभाई बड़ी भूमिका

कोरोना संकट के दिनों में देश में वेंटिलेटर और पीपीई की कमी को पूरा करने में घरेलू निर्माताओं ने बड़ी भूमिका निभाई है। भारत को इस संकट से निपटने के लिए 75 हजार वेंटिलेटर की आवश्यकता थी। उपलब्धता का आकलन करने के बाद 61 हजार वेंटिलेटर की कमी महसूस की गई मगर 60 हजआर वेंटिलेटर की आपूर्ति का काम घरेलू निर्माताओं को ही सौंपा गया। बाहर से महज एक हजार वेंटिलेटर मंगाने का आर्डर दिया गया।

 

इसी तरह 20 मिलियन पीपीई में 13 मिलियन पीपीई की आपूर्ति घरेलू निर्माताओं को सौंपी गई है। जानकारों का कहना है कि घरेलू कंपनियों ने अच्छा काम दिखाया है और वे देश को संकट के समय में भरपूर मदद पहुंचा रही हैं।

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