भारत-चीन के बीच समझौता! LAC पर सैनिकों की तैनाती पर रोक, सुधरेंगे हालात
भारत और चीन के बीच लद्दाख में एलएसी पर तनाव को लेकर हुई हाईलेवल बैठक में 'नो एक्शन एग्रीमेंट' पर सहमति बनी है। जिसके बाद अब सीमा पर ज्यादा सैनिक नहीं बढ़ाये जाएंगे।
नई दिल्ली: लद्दाख में भारत और चीन के बीच जारी तनाव कम करने के लिए भारत और चीन के बीच सोमवार को लंबी बातचीत हुई। इसके बाद मंगलवार को दोनों ओर से जारी साझा बयान में कहा गया कि एकतरफा कार्रवाई नहीं करने और दोनों देशों के नेताओं द्वारा महत्वपूर्ण सहमति को लागू करने के अलावा दोनों जल्द ही सातवें दौर की वार्ता करने को राजी हो गए हैं।
भारत-चीन के बीच 'नो एक्शन एग्रीमेंट' पर सहमति बनी
भारत और चीन के बीच लद्दाख में एलएसी पर तनाव को लेकर हुई हाईलेवल बैठक में 'नो एक्शन एग्रीमेंट' पर सहमति बनी है। जिसके बाद अब सीमा पर ज्यादा सैनिक नहीं बढ़ाये जाएंगे। बता दें कि दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण माहौल को सामान्य बनाने को लेकर बैठकों का दौर जारी है। यदि कड़ी में बीते दिन दोनों देशों के सैन्य कमांडर्स के बीच करीब 13 घंटे तक बातचीत हुई।
चीन के सामने भारत ने रखी थी शर्त
सूत्रों के मुताबिक, इस बातचीन के दौरान भारत ने चीन के सामने कड़ी शर्ते रखीं थी। भारत ने कहा कि चीन को पैंगोंग झील और डेपसांग सहित सभी तनावग्रस्त जगहों से अपने सैनिक हटाने होंगे। भारत ने जोर देकर कहा कि चीन की सेना ने भारतीय जमीन पर घुसपैठ का प्रयास किया है और इसलिए उसे पीछे हटकर सीमा विवाद को सुसझाने की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे।
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मोर्चे पर अधिक सैनिकों को भेजने से रोकने पर सहमति बनी
हालंकि बाद में आज दोनों देशों की ओर से साझा बयान जारी कर कहा गया कि उनके बीच एलएसी को लेकर महत्वपूर्ण सहमति हुई है। जिसमे जमीनी स्तर कम्युनिकेशन को मजबूत करने और गलतफहमी से बचने के अलावा मोर्चे पर अधिक सैनिकों को भेजने से रोकने पर सहमति बनी है।
7 वे दौर की सैन्य कमांडर-स्तरीय बैठक जल्द
इसके अलावा दोनों देश 7 वे दौर की सैन्य कमांडर-स्तरीय बैठक को लेकर राजी हो गए हैं। संयुक्त रूप से एलएसी पर शांति और अमन बनाए रखने पर सहमति बनी है।
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दोनों पक्षों की बातचीत के बाद कूटनीतिक बातचीत के रास्ते नए सिरे से खुलने की संभावना दिख रही है। अब हर किसी की नजर दोनों पक्षों के बीच हुई बातचीत के बाद चीन की ओर से उठाए जाने वाले कदमों पर टिकी है। वैसे पहले हुई बातचीत में तय किए गए बिंदुओं पर चीन की ओर से कोई कदम न उठाए जाने के कारण दोनों देशों के बीच गतिरोध खत्म नहीं हो पा रहा है।
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