India-China Border Clash: लद्दाख में चीन की दादागिरी का वीडियो, डेमचोक में भारतीय चरवाहों को रोका

India-China LAC Dispute: लद्दाख स्थित डेमचोक भारत और चीन के बीच एलएसी पर मौजूद 23 संवेदनशील इलाकों में से एक है। चीन इससे पहले साल 2018 में इस इलाके में घुसपैठ कर चुका है। 

Written By :  Krishna Chaudhary
Update:2022-08-29 17:51 IST

भारत चीन सीमा पर चीनी सैनिक 

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India-China LAC Dispute: पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन (India and China) के बीच जारी सैन्य गतिरोध को दूर करने के लिए कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन अभी तक पूर्व की स्थिति बहाल नहीं हो पाई है। दोनों देशों के बीच अभी भी तनाव कायम है। इसके बावजूद 'ड्रैगन' सरहद पर अपनी दादागिरी दिखाने से बाज नहीं आ रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीनी सेना ने LAC के पास डेमचोक में उकसावे वाली कार्रवाई करते हुए भारतीय चरवाहों को मवेशी चराने से रोक दिया।

कब की है घटना? 

ये घटना 21 अगस्त की बताई जा रही है। चीनी सैनिकों (Chinese Soldiers) ने इस दिन डेमचोक के पास स्थित चारागाह में जाने से भारतीय चरवाहों को रोक दिया था। जानकारी के मुताबिक, इसके बाद 26 अगस्त को भारत और चीन के सैन्य अधिकारियों के बीच इस मामले को लेकर बैठक भी हुई थी। खबर है कि दोनों देशों के बीच बैठक के बाद फिलहाल के लिए मामले को सुलझा लिया गया है। मगर दोनों देशों के सैनिक देमचोक के पास स्थित इस चारागाह पर नजर बनाए हुए हैं।

पहले भी इस इलाके में घुसपैठ कर चुका है ड्रैगन

पूर्वी लद्दाख में स्थित देमचोक भारत और चीन के बीच एलएसी पर मौजूद 23 संवेदनशील इलाकों में से एक है। चीन इससे पहले साल 2018 में इस इलाके में घुसपैठ कर चुका है। उस दौरान वह डेमचोक में 300-400 मीटर अंदर तक घुस आया था और यहां लगे टेंटों को उखाड़ फेंका था। इसके बाद दोनों देशों के बीच वार्ता के बाद तनाव कंट्रोल में आया था।

भारतीय सीमा में घुस आए थे चीनी सैनिक

बता दें कि इससे पहले इसी साल फरवरी में लद्दाख के न्योमा ब्लॉक डेवलपमेंट चेयरपर्सन उरगेन चोडोन ने दावा किया था कि 28 जनवरी को कुछ चीनी सैनिक भारतीय सीमा में घुस आए और भारतीय चरवाहों को उनके जानवरों के साथ खदेड़ दिया। चोडोन बीजेपी के पार्षद भी रह चुके हैं। उन्होंने इस घटना को लेकर एक वीडियो भी ट्वीट किया था।

वहीं, सेना ने उरगेन चोडोन के दावे को गलत बताते हुए कहा कि जो वीडियो दिखाया जा रहा है वह काफी पुराना प्रतीत होता है क्योंकि आसपास कोई बर्फ भी नहीं दिख रही है। जबकि जनवरी में यहां सफेद बर्फ की चादर बिछी रहती है।

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