चीन को चुकानी होगी बड़ी कीमत, रद हो जाएगा करोड़ों का ये प्रोजेक्ट

बुधवार को भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद लद्दाख सीमा पर तनाव और ज्यादा बढ़ गया है। इस बीच खबर है कि भारत चीन के खिलाफ सख्त आर्थिक फैसले ले सकता है।

Update: 2020-06-17 09:21 GMT

नई दिल्ली: बुधवार को भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद लद्दाख सीमा पर तनाव और ज्यादा बढ़ गया है। इस बीच खबर है कि भारत चीन के खिलाफ सख्त आर्थिक फैसले ले सकता है। कहा जा रहा है कि भारत उन चीनी प्रोजेक्ट को रद्द कर सकता है, जिनमें चीनी कंपनियों ने करार हासिल किया हुआ है। इनमें से एक मेरठ रैपिड रेल प्रोजेक्ट भी है। इस प्रोजेक्ट की बिड भी चीनी कंपनियों ने हासिल की है।

भारत सरकार ने शुरू की प्रोजेक्ट की समीक्षा

कहा जा रहा है कि भारत सरकार ने चीन के साथ सीमा पर तनाव के बाद चीनी कंपनियों को दी गई प्रोजेक्ट की समीक्षा भी शुरू कर दी है। इसमें दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस परियोजना भी शामिल है। भारत सरकार चीन की बिड को रद्द करने के लिए सभी कानूनी पहलुओं को देख रही है। कहा जा रहा है कि इस बिड को सरकार द्वारा रद्द किया जा सकता है।

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जानिए क्या है दिल्ली-मेरठ RRTS प्रोजेक्ट?

दिल्ली-मेरठ RRTS प्रोजेक्ट के तहत दिल्ली-मेरठ के बीच सेमी हाई स्पीड रेल कॉरिडोर बनना है। इसमें दिल्ली गाजियाबाद होते हुए मेरठ से जुड़ेगी। इस परियोजना से खासकर उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश जाने वालों को बहुत फायदा मिलेगा। यह कुल 82.15 किलोमीटर लंबा होगा। जिसमें 68.03 किलोमीटर हिस्सा एलिवेटेड होगा और 14.12 किलोमीटर अंडरग्राउंड होगा।

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इस प्रोजेक्ट पर क्यों हो रहा है बवाल

इस परियोजना के अंडरग्राउंड स्ट्रेच बनाने के लिए सबसे कम रकम की बोली चीनी कंपनी शंघाई टनल इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड (STEC) की तरफ से लगाई गई है। चीनी कंपनी की तरफ से अंडरग्राउंड स्ट्रेच बनाने के लिए ने 1126 करोड़ रुपये की बोली लगाई गई थी। अब विपक्ष सहित स्वदेश जागरण मंज चीनी कंपनी को स्ट्रेच का काम दिए जाने का विरोध कर रही है।

न्यू अशोक नगर से साहिबाबाद के बीच 5.6 किमी तक अंडरग्राउंड सेक्शन बनाने के लिए चीनी कंपनी की तरफ से सबसे कम बोली लगाई गई। जो कि 1,126 करोड़ रुपये की थी, जबकि भारतीय कंपनी लार्सन ऐंड टूब्रो (L&T) ने 1,170 करोड़ रुपये की बोली लगाई।

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