जानिए कौन हैं गौरांगलाल दास, जिसे बतौर राजनयिक भारत ताइवान में करेगा नियुक्त
सीमा विवाद के बाद भारत ने चीन को उसी अंदाज में जवाब देना शुरू कर दिया है। जो भाषा उसे समझ में आती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत अब चीन को राजनयिक स्तर पर घेरने का मन बना चुका है।
नई दिल्ली: सीमा विवाद के बाद भारत ने चीन को उसी अंदाज में जवाब देना शुरू कर दिया है। जो भाषा उसे समझ में आती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत अब चीन को राजनयिक स्तर पर घेरने का मन बना चुका है।
जिसके बाद से भारत अब ताइवान के लिए एक सीनियर राजनयिक को नियुक्ति करने जा रहा है है। ताइवान के दूत के तौर पर गौरांगलाल दास का नाम सबसे आगे चल रहा है। जल्द ही इसकी आधिकारिक घोषणा हो सकती है।
गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर अब धीरे-धीरे तनाव कम हो रहा है। भारत और चीन की सेनाएं अब LAC से पीछे हट रही हैं।
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चीन पर दबाव बनाने की तैयारी
गौरांगलाल दास को लेकर जो जानकारी मिल रही है, उसके अनुसार इन दिनों वह विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (अमेरिका) हैं। ऐसी खबरें भी आ रही है कि सरकार ये कदम दक्षिण चीन सागर में चीन के बढ़ते दबाव के चलते ले रही है। अगर हम हाल के दिनों में हुई घटनाओं पर गौर करें तो इस मुद्दे पर ताइवान को लेकर चीन और अमेरिका के बीच भी टकराव देखने को मिल रहा है।
ताइवान ने भी किया बदलाव
ताइवान ने भी राजनयिक स्तर पर फेरबदल किया है। ईस्ट एशियन एंड पैसिफिक अफेयर्स के महानिदेशक बाउशुआन गेर को भारत में ताइवान का नया प्रतिनिधि बनाया गया है।वो टिएन चुंग-क्वांग की जगह लेंगे।
बता दें कि वन चाइना पॉलिसी के चलते भारत का ताइवान के साथ औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं हैं। सिर्फ राजनयिक कामों के लिए ताइपे में भारत का ऑफिस है इसे भारत-ताइपे एसोसिएशन के नाम से चलाया जाता है और गौरांगलाल दास इसके नए महानिदेशक होंगे। वो श्रीधरन मधुसूदन की जगह लेंगे।
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यहां जानें गौरांगलाल दास के बारे में
गौरांगलाल दास ने जून 2017 में पीएम नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान काफी अहम भूमिका निभाई थी। वाशिंगटन डीसी में भारतीय दूतावास में काउंसलर (राजनीतिक) के रूप में भी उन्होंने अपनी सेवाएं दीं।
दास ने मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान प्रधानमंत्री कार्यालय में विदेश मामलों को संभालने वाले उप सचिव के रूप में भी काम किया था।
वह भारतीय विदेश सेवा के 1999 बैच के ऑफिसर हैं। वो बीजिंग में 2001 से 2004 के बीच रहे हैं। साल 2006 में दास वहां से प्रथम सचिव (राजनीतिक) के रूप में लौटे और 2009 तक इस पद पर रहे।