भारत और चीन ने एक दूसरे के खिलाफ शुरू की जंग की तैयारी, हाईलेवल मीटिंग जारी

भारत और चीन के बीच तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा है। कोरोना वायरस की वजह से पूरी दुनिया में बदनामी झेल रहा चीन अब लद्दाख सीमा पर भारत के साथ उलझ गया है। उसने अपने सैनिकों से युद्ध की तैयारियां तेज करने के निर्देश जारी कर दिए है।

Update: 2020-05-27 06:16 GMT

नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा है। कोरोना वायरस की वजह से पूरी दुनिया में बदनामी झेल रहा चीन अब लद्दाख सीमा पर भारत के साथ उलझ गया है। उसने अपने सैनिकों से युद्ध की तैयारियां तेज करने के निर्देश जारी कर दिए है।

इसी बीच भारत ने अपनी तैयारी तेज कर दी है। चीन को कड़ा सबक सिखाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के गृह मंत्री, रक्षा मंत्री, सीडीएस बिपिन रावत, तीनों सेना प्रमुख और सुरक्षा सलाहकार के साथ हाई लेवल बैठक की। जिसमें चीन के साथ कैसे पेश आना है, इस पर विचार विमर्श किया गया।

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मनमोहन सिंह का फार्मूला अपनाने की जरूरत

सुरक्षा से जुड़े सूत्र बताते हैं कि ये बेहद ही संवेदनशील मुद्दा है। इस पर काफी सोच विचार करने के बाद भी कोई कदम उठाना होगा। इस समय जिस तरह के हालात बने हैं।

इस स्थिति में भारत और चीन दोनों को वर्किंग मैकनिज्म (डब्ल्यूएमसीसी) पर काम करने की आवश्यकता है, जिसकी शुरुआत पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने साल 2012 में अपने कार्यकाल के समय की थी। जिस पर बीजिंग में तत्कालीन भारतीय राजदूत एस जयशंकर ने भी हस्ताक्षर किए थे।

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भारत और चीन के बीच सीमा विवादों को सुलझाने के लिए वर्किंग मैकनिज्म फॉर कंस्लटेशन एंड को-ऑर्डिनेशन ऑन इंडिया-चाइना बॉर्डर अफेयर्स (डब्ल्यूएमसीसी ) की जनवरी 2012 में गठन किया गया था।

उस वक्त राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) शिवशंकर मेनन और उनके चीनी समकक्ष दाई बिंगुओ के बीच हुई सीमा वार्ता के बाद इसपर रजामंदी बनी थी। दोनों देशों के संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारियों को इसकी जिम्मेदारी दी गई थी।

आज ये जिम्मेदारी एनएसए अजीत डोभाल के पास है। जबकि, विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (पूर्व एशिया) नवीन श्रीवास्तव भारतीय पक्ष का नेतृत्व करते हैं।

चीनी पक्ष का नेतृत्व हांगकांग लिआंग, महानिदेशक (सीमा और महासागरीय मामलों का विभाग) कर रहे हैं। साल 2012 के बाद से इन अधिकारियों के बीच महज 14 बैठकें हुई। अंतिम बैठक बीते साल जुलाई में हुई थी। मौजूदा स्थिति में संयुक्त सचिव (पूर्व एशिया) नवीन श्रीवास्तव को कूटनीतिक स्तर पर बातचीत का नेतृत्व करने के लिए कहा जा सकता है।

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