पेरिस समझौता: ट्रंप का भारत पर निशाना, मोदी ने कहा-भावी पीढ़ी के लिए पर्यावरण संरक्षण जरूरी

प्रधानमंत्री मोदी ने बर्लिन में कही गई अपनी उन बातों को दोहराया, जिसमें उन्होंने कहा था, "पेरिस (समझौता) हो या न हो, हमारी प्रतिबद्धता पर्यावरण बचाने की है। जो चीजें भावी पीढ़ी की हैं, उन्हें छीनने का हमें कोई अधिकार नहीं है।"

Update:2017-06-03 05:32 IST

सेंट पीटर्सबर्ग/वाशिंगटन: पेरिस जलवायु समझौते से अमेरिका के पीछे हटने के फैसले से परोक्ष तौर पर असहमति जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि इस मुद्दे पर वह देशों का पक्ष नहीं ले रहे हैं, क्योंकि उनका ध्यान भावी पीढ़ी के लिए पर्यावरण संरक्षण पर है। मोदी ने सेंट पीटर्सबर्ग इंटरनेशनल इकोनॉमिक फोरम (एसपीआईईएफ) में इस सवाल के जवाब में कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पेरिस जलवायु समझौते से अपने कदम पीछे खींच लिए हैं, तो वह अब किस ओर रहेंगे, मोदी ने कहा, "यह कोई वैसा मुद्दा नहीं है, जिसमें मुझे इस तरफ या उस तरफ जाना चाहिए। यह मुद्दा भावी पीढ़ी का है। वह पीढ़ी जिसने अभी जन्म नहीं लिया है। मैं उनके पक्ष में जाऊंगा।"

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पर्यावरण के लिए प्रतिबद्ध

उन्होंने इस सप्ताह बर्लिन में कही गई अपनी उन बातों को दोहराया, जिसमें उन्होंने कहा था, "पेरिस (समझौता) हो या न हो, हमारी प्रतिबद्धता पर्यावरण बचाने की है। जो चीजें भावी पीढ़ी की हैं, उन्हें छीनने का हमें कोई अधिकार नहीं है।"

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इकोनॉमिक फोरम में अपने संबोधन में मोदी ने 5,000 साल पहले लिखे गए अथर्ववेद का जिक्र किया, जो प्रकृति तथा उसके संरक्षण को समर्पित है। उन्होंने कहा, "हमारा यही मानना है कि प्रकृति का शोषण एक अपराध है।"

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ट्रंप की शिकायत

उधर वाशिंगटन में पेरिस जलवायु समझौते से पीछे हटने के अपने कदम को न्यायोचित ठहराते हुए राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत व चीन पर निशाना साधते हुए कहा कि समझौते से दोनों देशों को सर्वाधिक फायदा हुआ है, जबकि अमेरिका के साथ नाइंसाफी हुई। व्हाइट हाउस के रोज गार्डन से गुरुवार को दिए गए एक भाषण में ट्रंप ने कहा कि पेरिस समझौते के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए नई दिल्ली को अरबों डॉलर मिलेंगे।

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उन्होंने कहा कि आने वाले वक्त में चीन के साथ-साथ भारत अपने कोयला आधारित विद्युत संयंत्रों की संख्या दोगुनी कर लेंगे, जिससे उन्हें वित्तीय तौर पर अमेरिका की तुलना में लाभ होगा।

ट्रंप ने कहा, "भारत ने विकसित देशों से अरबों डॉलर की विदेशी सहायता प्राप्त करने के लिए समझौते में भागीदारी की है। कई अन्य उदाहरण हैं। लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि पेरिस समझौता अमेरिका के लिए अन्यायपूर्ण है।"

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उन्होंने कहा कि यह फैसला उन्होंने अमेरिकी कारोबारियों तथा मजदूरों के हित के संरक्षण के लिए किया। उन्होंने कहा, "समझौते का पालन करने से साल 2025 तक 27 लाख नौकरियां जाएंगी। मुझपर विश्वास कीजिए, यह वह नहीं है, जिसकी हमें जरूरत है।" राष्ट्रपति ने कहा, "मेरा निर्वाचन पिट्सबर्ग का प्रतिनिधित्व करने के लिए हुआ है, पेरिस के लिए नहीं।"

उन्होंने कहा, "आज की तारीख से ही अमेरिका पेरिस समझौते के सभी तरह के क्रियान्वयन को रोक देगा, जो एक कठोर वित्तीय व आर्थिक बोझ है, जिसे समझौते के रूप में अमेरिका पर थोपा गया है।"

--आईएएनएस

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