India Corrupt Politicians: बड़े लोग, बड़ी एजेंसियां, बड़ी बड़ी बातें
India Corrupt Politicians: हैरानी की बात है कि हमारी नेतानगरी में डाले गए सीबीआई (CBI) और ईडी (ED) के फंदे में आये तो कई हैं। लेकिन उनमें से सज़ा तक की परिणीति बहुत ही कम हुई है।
Indian Politician Corruption Cases: किसी समाज की सबसे बड़ी बीमारी क्या हो सकती है? कोई कुछ भी कहे लेकिन सबसे टॉप पर एक ही चीज आती है- भ्रष्टाचार (Corruption)। ये ऐसी बीमारी है जो जान नहीं लेती। लेकिन जीने भी नहीं देती। इससे बदतर भला क्या ही स्थिति होगी? दुर्भाग्य से हमारे समाज में इसी बीमारी ने बहुत गहरे जड़ें फैला रखी हैं। क्या छोटा, क्या बड़ा, कोई अछूता नहीं। इसी बीमारी को कंट्रोल करने के लिए वैसे तो अनेक महकमे हैं । लेकिन फिलवक्त देश की सबसे आला एजेंसियों में बस सीबीआई और ईडी का ही नाम आता है। इनमें भी सीबीआई (CBI) आगे रही है, ईडी (ED) तो विगत कुछ वर्षों से सुर्खियों में है। एजेंसियों का कामकाज तो चलता ही रहता है। कभी कोई पकड़ा जाता है तो कभी कोई। इन्हीं में तमाम नेता भी होते हैं। एजेंसी तो बस पकड़ लेती है, सज़ा रूपी इलाज देने का काम तो अदालतों के जिम्मे है।
हैरानी की बात है कि हमारी नेतानगरी में डाले गए सीबीआई (CBI) और ईडी (ED) के फंदे में आये तो कई हैं। लेकिन उनमें से सज़ा तक की परिणीति बहुत ही कम हुई है। बिहार में एक बड़े नेता यानी पूर्व सीएम, पूर्व केंद्रीय मंत्री लालू यादव (Lalu Yadav) को बाकायदा सज़ा हुई। जेल काटनी पड़ी। हालांकि सज़ा पूरी नहीं काटी गई।
जल्द ही बाहर आ गए।उनको चारा घोटाले (Fodder Scam) के कई मामलों में कई बार सीबीआई अदालत ने दोषी ठहराया। चारा घोटाला मामले में उनकी पहली सजा 2013 में हुई थी। उन्हें दिसंबर 2017 और मार्च 2018 के बीच ऐसे तीन अन्य मामलों में सजा का सामना करना पड़ा। राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमो लालू प्रसाद का नाम पहली बार 1997 में चारा घोटाले में सीबीआई की चार्जशीट में आया था। विपक्ष के दबाव के बाद उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा। अपनी पत्नी राबड़ी देवी (Rabri Devi) को सीएम बनाया गया।
कोर्ट से सजा पाने वाले लालू यादव अकेले नहीं हैं। तमिलनाडु की दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता (J. Jayalalithaa) पर भी दोष सिद्ध हुआ था। उनके खिलाफ एक हाई-प्रोफाइल भ्रष्टाचार मामला था। उन पर अपने कार्यकाल के दौरान ज्ञात आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगाया गया था।
2014 में, उन्हें दोषी ठहराया गया। चार साल की सजा सुनाई गई, जिसके कारण उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया। उन्होंने अपील की और 2015 में कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा उन्हें बरी कर दिया गया, जिससे उनका पद पुनः प्राप्त हो गया। हालाँकि, कर्नाटक सरकार ने उन्हें बरी किए जाने को चुनौती दी और 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने दोषसिद्धि को बहाल कर दिया। फैसले से पहले ही जयललिता का निधन हो गया।
अब देखिए, एजेंसियों का एक बहुत बड़ा निशाना बने थे पूर्व गृह और वित्त मंत्री पी चिदंबरम (P. Chidambaram)। सीबीआई का कहना है कि 2007 में जब चिदंबरम वित्त मंत्री (Finance Minister) थे तब आईएनएक्स मीडिया (INX Media) ने गलत तरीके से 305 करोड़ रुपये का विदेशी फंड प्राप्त किया था। सीबीआई और ईडी ने अलग-अलग मामले दर्ज किये। इन बड़े कांग्रेस नेता को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। चिदंबरम जेल से बेल पर बाहर आ गए। मामला अभी चल ही रहा है।
ताज़ा मामला दिल्ली के मुख्यमंत्री (Delhi CM) अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) का है। देश में पहली बार एक सिटिंग मुख्यमंत्री को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ।
भारतीय राजनीति के इतिहास में कभी भी किसी मौजूदा मुख्यमंत्री को गिरफ्तार नहीं किया गया था। अब केजरीवाल के साथ ये रिकॉर्ड भी टूट गया।
वैसे, दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) भी दिल्ली सरकार की अब समाप्त हो चुकी उत्पाद शुल्क नीति में कथित अनियमितताओं के लिए जेल में हैं।
यही नहीं, दिल्ली के मंत्री सत्येन्द्र जैन कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय की गिरफ्तारी के बाद से जेल में हैं।
पश्चिम बंगाल चलते हैं। यहां सीबीआई 2016 के नारद रिश्वत मामले सहित कई मामलों की जांच कर रही है, जिसके संबंध में राज्य के दो मंत्रियों, फिरहाद हकीम और सुब्रत मुखर्जी, और दो पूर्व मंत्रियों मदन मित्रा और सोवन चटर्जी को 2021 में गिरफ्तार किया गया था।
राज्य के पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी (Partha Chatterjee) को कथित स्कूल सेवा आयोग कर्मचारी भर्ती घोटाले में गिरफ्तार किया गया था।
भ्रष्टाचार के आरोप कई मुख्यमंत्री झेल चुके हैं। केजरीवाल के पहले झारखंड में ऐसा ही हुआ था। वहां झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) नेता हेमंत सोरेन (Hemant Soren scam) को भूमि घोटाले की मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में ईडी ने 31 जनवरी को गिरफ्तार किया था।
लेकिन गिरफ्तारी से पहले सोरेन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। झारखंड का भी एक रिकॉर्ड है। यहां तीन तीन पूर्व सीएम गिरफ्तार हो चुके हैं। हेमंत सोरेन के पहले मधु कोड़ा और शिबू सोरेन की गिरफ्तारी हो चुकी है।
हेमन्त ही नहीं, उनके पिता भी जेल जा चुके हैं। 5 दिसंबर 2006 को दिल्ली की एक अदालत ने हेमंत सोरेन के पिता शिबू सोरेन को 1994 में उनके निजी सचिव शशि नाथ झा के अपहरण और हत्या में उनकी भूमिका के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। अपील हुई। अगस्त 2007 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने शिबू सोरेन के खिलाफ सबूत हासिल करने में असफल रहने के लिए सीबीआई की खिंचाई करने के बाद शिबू सोरेन को दोषमुक्त कर दिया। यही फैसला अप्रैल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा।
सज़ा पाने वालों में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला (Om Prakash Chautala) भी हैं। पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवी लाल के बेटे ओम प्रकाश 2000 के दशक की शुरुआत में शिक्षक भर्ती के संबंध में भ्रष्टाचार के मामले में फंस गए थे। 2013 में, उन्हें और उनके बेटे अजय को धोखाधड़ी और जालसाजी सहित विभिन्न आरोपों में दोषी ठहराया गया।
10 साल की जेल की सजा सुनाई गई। अपीलों के बावजूद, 2015 में दिल्ली उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय दोनों ने उनकी सजा को बरकरार रखा। 24 जुलाई, 1999 से 5 मार्च, 2005 तक मुख्यमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान उनके और उनके परिवार के सदस्यों के नाम पर उनकी आय के ज्ञात वैध स्रोतों से अधिक आय थी। हालांकि, दिल्ली उच्च न्यायालय ने चार साल की सजा को निलंबित कर दिया।
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा (Madhu Koda) को उनके कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में डाल दिया गया था। उन पर मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) और आय से अधिक संपत्ति जमा करने के आरोप लगे। कोड़ा कथित तौर पर एक खनन घोटाले में शामिल थे। उन पर रिश्वत के लिए खनन ठेके देने का आरोप था।
आरोप लगा कि उन्होंने और उनके सहयोगियों ने 4,000 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की। 2009 में गिरफ्तारी के बाद 2013 में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया। लेकिन मनी-लॉन्ड्रिंग मामले में उनकी 144 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क कर ली गई। 2017 में उन्हें दोषी ठहराया गया। 25 लाख रुपये जुर्माने के साथ तीन साल जेल की सजा सुनाई गई।
आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और तेलुगु देशम पार्टी सुप्रीमो चंद्रबाबू नायडू को 9 सितंबर, 2023 को कौशल विकास निगम घोटाले (Skill Development Scam) में गिरफ्तार किया गया था।
वह फिलहाल जमानत पर हैं।
तमिलनाडु में सिर्फ जयललिता ही नहीं, करुणानिधि भी जेल जा चुके हैं। तत्कालीन द्रमुक प्रमुख एम करुणानिधि को 2001 में तमिलनाडु पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था जिसके बाद तत्कालीन केंद्रीय मंत्रियों मुरासोली मारन और टीआर बालू को भी गिरफ्तार किया गया था। हालांकि किसी को सज़ा नहीं हुई। सब बाहर आ गए।
मंत्रियों की गिरफ्तारी के भी अनेक मामले हैं। मिसाल के तौर पर एनआरएचएम घोटाले में यूपी के मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा गिरफ्तार हुए थे। मनी लांड्रिंग केस में महाराष्ट्र में शिव सेना लीडर और राज्य के मंत्री अनिल परब, एनसीपी नेता व महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक, एनसीपी नेता व राज्य के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख गिरफ्तार हुए। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री छगन भुजबल पर तो दोष सिद्ध हुआ और वह कई साल जेल में रहे।
इन तमाम मामलों के अलावा भी बहुत आरोप लगे, गिरफ्तारी हुईं। कई मामले कोर्ट में बरसों से लटके पड़े हैं। कई में मामला साबित ही नहीं हुआ। कई में निचली अदालत ने दोषी पाया । लेकिन हाई कोर्ट, सुप्रीमकोर्ट ने बरी कर दिया। आरोप ये भी हमेशा से लगते रहे हैं कि जांच एजेंसियों के निशाने पर वही रहते हैं जो केंद्र की सत्तारूढ़ पार्टी के विरोधी - प्रतिद्वंद्वी हैं।
खैर, जैसा हम लोग अनंत काल से कहते आये हैं - बड़े लोगों की बड़ी बड़ी बातें। बड़ी बातें और बड़ी सामाजिक बीमारियों के किस्से। सुनते जाइये, देखते जाइये।
(लेखक पत्रकार हैं।)