India News: ग्लोबल साउथ के स्वरों का प्रतिध्वनित करता भारत

India News: भारत लंबे समय से विकासशील देशों के समर्थन में अग्रणी भूमिका निभा रहा है, इसी क्रम में पिछले दिनों नई दिल्ली द्वारा आयोजित दो दिवसीय 'ऑनलाइन वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन' का आयोजन किया गया।

Written By :  Prabhat Mishra
Update:2023-02-06 14:58 IST

 voice of the Global South (Image: social media)

India News: भारत लंबे समय से विकासशील देशों के समर्थन में अग्रणी भूमिका निभा रहा है, इसी क्रम में पिछले दिनों नई दिल्ली द्वारा आयोजित दो दिवसीय 'ऑनलाइन वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन' का आयोजन किया गया। इस वर्चुअल सम्मेलन में एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के 120 से अधिक देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। उद्घाटन सत्र में प्रधानमंत्री मोदी ने कोविड महामारी और बढ़ते भू-राजनैतिक तनावों से ग्लोबल साउथ के विकास प्रयासों पर नकारत्मक प्रभावों का उल्लेख किया।

प्रतिध्वनित करता भारत

वहीं इन चुनौतियों के कारण खाद्य, ईंधन और उर्वरक की बढ़ती कीमतों पर चिंता व्यक्त किया। भारत के दृष्टिकोण को प्रस्तुत करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा "भारत स्व-केंद्रित वैश्वीकरण का नहीं 'मानव केंद्रित वैश्वीकरण' का पक्षधर है।" उन्होंने अतिथियो को आश्वस्त किया कि भारत की G20 अध्यक्षता इन महत्वपूर्ण मुद्दो पर गोल्बल साउथ के विचारो को आवाज देने का प्रयास करेगा।

ग्लोबल नार्थ- साउथ क्या है?

उत्तरी गोलार्द्ध के विकसित देशों और दक्षिणी गोलार्द्ध के विकासशील देशों के बीच आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक अंतर को ग्लोबल नार्थ-साउथ विभाजन के रूप में जाना जाता है। यह विभाजन आर्थिक विकास के स्तर पर आधारित है। उत्तर गोलार्द्ध औद्योगिक अर्थव्यवस्थाओं और उच्च जीवन स्तर के मानकों से है, जबकि दक्षिण गोलार्द्ध अल्प विकसित अर्थव्यवस्थाओं और गरीबी से जाना जाता है। पूरे औपनिवेशिक काल में उत्तर ने अपने स्वयं के आर्थिक लाभ के लिए दक्षिण के श्रम और संसाधनों का उपयोग किया।

शिखर सम्मेलन का परिणाम

वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट का उद्देश्य "विचारों की एकता, उद्देश्य की एकता" को प्राप्त करना है। सम्मेलन का ग्लोबल साउथ राष्ट्रों से उनके दृष्टिकोण और उद्देश्यों से विभिन्न प्रकार के विषयों पर चर्चा करने के लिए एक साथ लाना था। सम्मेलन में कुल 10 सत्र शामिल थे। वित्त, व्यापार, पर्यावरण, ऊर्जा, स्वास्थ्य और शिक्षा को शामिल करते हुए आठ मंत्रिस्तरीय सत्र का आयोजित किया गया।

दो सत्र विदेश मंत्रियों के लिए जहां ग्लोबल साउथ की प्राथमिकताओं पर ध्यान आकर्षित करने तथा G20 अध्यक्ष के रूप में भारत के लिए उनकी सुझाव के लिए आयोजित किया गया ठीक है>?विकासशील देशों का मानना ​​है कि विकसित दुनिया ने जलवायु, वित्त और प्रौद्योगिकी पर अपने दायित्वों का निर्वहन नहीं किया है।

ग्लोबल साउथ के वैश्विक एजेंडे को सामूहिक रूप से आकार देने की आवश्यकता तथा इसके लिए दक्षिण-दक्षिण सहयोग की अनिवार्यता है। इस दौरान पीएम मोदी ने भारत द्वारा पांच नई पहल आरोग्य मैत्री, ग्लोबल साउथ स्कॉलरशिप, ग्लोबल साउथ यंग डिप्लोमैट्स फोरम, ग्लोबल साउथ सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, ग्लोबल साउथ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इनिशिएटिव की घोषणा की।

नेतृत्व की भूमिका में भारत

भारत वैश्विक मामलों में तेजी से प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभर रहा है। पिछले एक दशक में, भारत गुटनिरपेक्ष आन्दोलन से दूर होकर विकसित पश्चिमी देशों के बहुत करीब आ गया। हलांकि गुटनिरपेक्ष आंदोलन और G77 के संस्थापक सदस्य के रूप में भारत ग्लोबल साउथ की जरूरतों के बारे में जागरूक रहा है। इस सम्मेलन का वास्तविक उद्देश्य सूक्ष्म स्तर पर उनकी आवश्यकताओं के बारे में अधिक विस्तृत जानकारी प्राप्त करना और उनके उच्चतम स्तर के प्रतिनिधियों की नवीनतम सोच प्राप्त करना था।

अब भारत अपने G20 अध्यक्ष पद पर ग्लोबल साउथ के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर सकता है। भारत की अध्यक्षता में G20 कार्यक्रम के मुद्दों को आकार देना शुरू कर दिया है। 'G20 में ग्लोबल साउथ के स्वरों को प्रतिध्वनित के रूप में भारत को सुना जाए, इसके लिए इसे अन्य देशों की आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करना चाहिए और इस वर्ष के अंत में G20 शिखर सम्मेलन में विकासशील दुनिया के एक सच्चे नेता के रूप में बढ़ाना चाहिए।

(लेखक प्रभात मिश्र दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के छात्र हैं)

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