India's Defense Production: रक्षा उत्पादन में भारत अब टॉप देशों में शामिल, असर दिखा रहा पीएम मोदी का मंत्र

India's Defense Production: पीएम मोदी के ‘मेक इन इंडिया’और ‘लोकल फॉर ग्लोबल’ का मंत्र अब अपना असर दिखा रहा है। भारत अब रक्षा उत्पादों के निर्यात में टॉप देशों में शामिल हो गया है।

Written By :  Neel Mani Lal
Update: 2022-05-24 09:27 GMT

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी-भारत का रक्षा उतपादन : Photo - Social Media

Lucknow: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के 'मेक इन इंडिया' (Make in India) और 'लोकल फॉर ग्लोबल' (local for global) का मंत्र अब अपना असर दिखा रहा है। भारत अपने रक्षा उपकरणों (Defense Equipment) के उत्पादन में आत्मनिर्भरता की तरफ अग्रसर होने के साथ ही बड़े निर्यातक के रूप में उभर रहा है।

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट 2020 की रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत अब रक्षा उत्पादों के निर्यात करने वाले शीर्ष 25 देशों की सूची में शामिल हो गया है। भारत रक्षा निर्यात में वैश्विक लीडर बने इसके लिए रक्षा मंत्रालय (Ministry of Defence) लगातार प्रयास कर रहा है। भारत ने 2024-25 तक 1,75,000 करोड़ रुपये के कारोबार का लक्ष्य रखा है। इसमें एयरोस्पेस, रक्षा उपकरण और सेवाओं में 35,000 करोड़ रुपये के मूल्य का निर्यात शामिल है।

रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता

2025 तक भारत 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था (5 trillion dollar economy) बनने की ओर अग्रसर है। पड़ोस में सुरक्षा चुनौतियों की बढ़ती जटिलताओं और आर्थिक शक्ति जैसे हितों की रक्षा हेतु भारत को मजबूत रक्षा क्षमताओं की आवश्यकता है।

इसके अनुसरण में, पिछले एक दशक में, भारत दुनिया के सबसे बड़े हथियार आयातकों में से एक रहा है। वैश्विक हथियारों के आयात का लगभग 12 फीसदी हिस्सा अकेले भारत ने आयात किया। भारत ने अब देश के भीतर ही इन अत्याधुनिक हथियारों के निर्माण को बढ़ावा दिया है। रक्षा क्षेत्र में 'मेक इन इंडिया' को बढ़ावा देने के लिए, 101 रक्षा वस्तुओं की एक सूची अगस्त 2020 में अधिसूचित की गई थी जिसके लिए आयात पर प्रतिबंध होगा।

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कुल रक्षा निर्यात का मूल्य 2014-15 में 1,941 करोड़ रुपए से बढ़कर 2019-20 में 9,116 करोड़ रुपए हो गया। भारत के रक्षा उपकरणों का निर्यात 84 से अधिक देशों में विस्तारित हुआ। रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने आत्मनिर्भर अभियान के तहत कई उपायों की घोषणा की है।

- स्वचालित मार्ग के तहत रक्षा निर्माण में एफडीआई की सीमा 49 फीसदी से बढ़ाकर 74 फीसदी कर दी गई है।

- परियोजना प्रबंधन इकाई की स्थापना करके समयबद्ध रक्षा खरीद और तेजी से निर्णय लेने की शुरुआत की उम्मीद है।

- आयुध निर्माणी बोर्ड का निगमीकरण किया गया है। इसमें कुछ इकाइयों की सार्वजनिक सूची शामिल होगी, जो डिजाइनर और अंतिम उपयोगकर्ता के साथ निर्माता के अधिक कुशल इंटरफेस को सुनिश्चित करेगा।

पिछले कुछ बजटों में रक्षा क्षेत्र सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। सरकार ने लगातार इस क्षेत्र में बजटीय आवंटन के सबसे बड़े हिस्से,13 से 14 फीसदी को खर्च किया है। बजट में यह वृद्धि कई सुरक्षा घटनाक्रमों की पृष्ठभूमि में हुई है।

मोदी सरकार की ओर से सैन्य सुधारों और रक्षा औद्योगीकरण के लिए लगातार किया जा रहा काम भी है। पिछले अक्टूबर में, सरकार ने आयुध निर्माण बोर्डों यानी ओएफबी को सात नई रक्षा क्षेत्र से जुड़ी सार्वजनिक इकाइयों के रूप में पुनर्गठित किया। आयुध निर्माण बोर्ड के लंबित निगमीकरण को हासिल करने के बाद, सरकार हथियारों, गोला-बारूद, बख्तरबंद वाहनों और कपड़ों के उत्पादन में दक्षता हासिल करने की उम्मीद कर रही है। इससे रक्षा निर्यात को भी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। फिलीपींस को ब्रह्मोस क्रूज़ मिसाइल प्रणाली बेचने के लिए 375 मिलियन डॉलर का सौदा भारतीय रक्षा उद्योग के महत्वपूर्ण है. इस संदर्भ में रक्षा बजट का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है।

वित्त मंत्री ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए रक्षा मंत्रालय को 525,166.15 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं यह 46,970 करोड़ रुपये या पिछले वर्ष के 478,196 करोड़ रुपये के आवंटन से 10 प्रतिशत अधिक है और हाल के वर्षों में रक्षा बजट में सबसे बड़ी वृद्धि है।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास

नवाचार को बढ़ावा देने हेतु, 2020 में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) की पांच युवा वैज्ञानिक प्रयोगशालाएं शुरू की गईं। डीआरडीओ ने डिजाइन और विकास में निजी क्षेत्र के साथ हाथ मिलाया और उद्योग के डिजाइन, विकास और निर्माण के लिए 108 सिस्टम और सब सिस्टम की पहचान की।

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बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर

सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के भीतर प्रक्रियाओं और कार्यप्रवाह में सुधारों ने इसे कुछ मामलों में समय से पहले लक्ष्य हासिल करने में सक्षम बनाया। लेह-मनाली राजमार्ग पर रोहतांग में 10,000 फीट से ऊपर विश्व की सबसे लंबी "अटल टनल" बनाई गई।

महिलाओं की भागीदारी

शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के लिए भारतीय सेना (Indian Army) की दस शाखाएं खोली गईं।

- शैक्षणिक सत्र 2020-21 से सभी सैनिक स्कूल छात्राओं के लिए खोल दिए गए।

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