नई दिल्ली: भारत में कई ऐसी गुफाएं हैं, जिनको सरकार ने विदेशी फर्मों को किराये पर दे रखा है। आमतौर पर कई लोगों को सरकार द्वारा गुफाएं विदेशी फर्मों को किराये पर देने के पीछे का कारण नहीं पता होगा। अगर आपको भी इसका जवाब नहीं पता है तो ये खबर आपके लिए है। दरअसल, ये तेल की गुफाएं होती हैं, जिन्हें स्ट्रेटेजिक पेट्रोलियम रिजर्व कहा जाता है।
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भारत के पास तीन भूमिगत भंडारण सुविधाएं (underground storage facilities) हैं, जिनमें 5.33 मिलियन टन क्रूड ऑइल रखा जा सकता है। इन भूमिगत भंडारण सुविधाओं को बनाने में 4,100 करोड़ रुपए का खर्चा आया है। विशाखापत्तनम में तो 1.33 एमएमटी तेल भरा जा चुका है, जबकि मंगलौर में 1.50 एमएमटी कैपेसिटी के लिए डील साइन हो चुकी है।
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बता दें, तीसरी गुफा पादुर, कर्नाटक में है, जोकि 2.5 एमएमटी की क्षमता रखती है। मगर यह अभी भी भरी नहीं है। यह अभी अपनी डील का इंतजार कर रही है। वहीं, भारत सरकार ओडिशा के चंडीखोल और पादुर में 6.5 एमएमटी की भूमिगत भंडारण सुविधाओं का निर्माण करवाने का प्लान बना रही है।
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