भारत-लक्जमबर्ग के बीच हुई द्विपक्षीय संबंधों पर समीक्षा बैठक, ये रहे मुद्दे
नई दिल्ली: विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की पश्चिम यूरोपीय देश लक्जमबर्ग की यात्रा के दौरान भारत और लक्जमबर्ग ने बुधवार को द्विपक्षीय संबंधों के पूरे परिपेक्ष्य पर चर्चा की और साथ ही दोनों देशों ने व्यापार बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की। विदेश मंत्रालय ने बुधवार को यह जानकारी दी। मंत्रालय की ओर से जारी बयान के अनुसार, दौरे के दौरान सुषमा स्वराज ने ग्रांड ड्यूक ऑफ लक्जमबर्ग(शाही परिवार के प्रमुख) हेनरी गैब्रियल फेलिक्स मैरी गुइलौमे और प्रधानमंत्री जेवियर बेट्टल से मुलाकात की।
बेट्टल के साथ हुई बैठक के संबंध में जारी बयान के अनुसार, "मुलाकात के दौरान, दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंध बढ़ाने से लेकर कई अन्य मुद्दों पर चर्चा की। इसके साथ ही दोनों देशों के बीच भारत-यूरोपीय संघ के व्यापार, निवेश संबंध, डिजिटल और अंतरिक्ष सहयोग पर भी चर्चा हुई।"
व्यापार और निवेश भारत और लक्जमबर्ग के संबंधों के मूल आधार हैं। यूरोपीय निवेश बैंक के मुख्यालय - लक्जमबर्ग ने हाल ही में अपना दक्षिण एशियाई कार्यालय नई दिल्ली में खोला है। लक्जमबर्ग स्टॉक एक्सचेंज में कई भारतीय कंपनिया सूचीबद्ध हैं।
विदेश मंत्रालय के द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल 2000 से सिंतबर 2017 के बीच लक्जमबर्ग से भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 2.227 अरब डॉलर का हुआ है, जिससे यह देश भारत का 15वां सबसे बड़ा निवेशक बन गया है।
सुषमा स्वराज ने लक्जमबर्ग के विदेश व यूरोपीय मामलों के मंत्री जीन एस्सेलबोर्न के साथ भी मुलाकात की।
मंत्रालय के बयान के अनुसार, "बैठक के दौरान, दोनों पक्षों ने भारत-लक्जमबर्ग के राजनीतिक द्विपक्षीय संबंधों की पूर्ण समीक्षा की।"
बयान के अनुसार, "दोनों नेताओं ने बहुपक्षीय व स्थानीय मुद्दे पर सघन चर्चा की।"
लक्जमबर्ग की अपनी यात्रा के दौरान सुषमा स्वराज ने वहां रह रहे भारतीय प्रवासियों से भी मुलाकात की।
इस वर्ष भारत और लक्जमबर्ग के बीच कूटनीतिक रिश्ते के 70 वर्ष भी पूरे हो गए।
स्वराज चार यूरापीय देशों की एक सप्ताह लंबी यात्रा के अंतर्गत यहां फ्रांस की यात्रा के बाद पहुंचीं।
यह किसी भी भारतीय विदेश मंत्री की पहली लक्जमबर्ग यात्रा थी।
लक्जमबर्ग के बाद, सुषमा स्वराज अपने दौरे के अंतिम चरण में बेल्जियम की यात्रा पर जाएंगी।
--आईएएनएस