करतारपुर कॉरिडोरः भारत-पाक की बैठक खत्म, 2 अप्रैल को होगी अगली बैठक
भारत और पाकिस्तान के बीच करतारपुर कॉरिडोर को लेकर बैठक होगी। इस बैठक के लिए दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल अटारी-वाघा बॉर्डर पहुंच चुके हैं। आपको बता दें, कॉरिडोर पाकिस्तानी शहर करतारपुर में स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब को भारत के गुरदासपुर जिले से जोड़ेगा।
नई दिल्ली : भारत और पाकिस्तान के बीच करतारपुर कॉरिडोर को लेकर बैठक खत्म हो गई। अब अगली बैठक 2 अप्रैल को होगी। बैठक में भारत की तरफ से गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, भारतीय राष्ट्रीय उच्च प्राधिकरण व अन्य संबंधित विभागों के अधिकारी भारत का प्रतिनिधित्व शामिव हुए।
पाकिस्तान की तरफ से विदेश कार्यालय के दक्षिण एशिया महानिदेशक मोहम्मद फैसल की अगुवाई में 18 सदस्यीय दलों ने हिस्सा लिया। इस बैठक में करतारपुर गलियारे पर दोनों देशों के अधिकारियों के बीच रचनात्मक बातचीत हुई, दोनों देशों ने करतारपुर गलियारा शीघ्र चालू करने की दिशा में काम करने पर सहमति जताई। आपको बता दें, कॉरिडोर पाकिस्तानी शहर करतारपुर में स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब को भारत के गुरदासपुर जिले से जोड़ेगा।
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बैठक के बाद करतारपुर में आयोजित भारत पाकिस्तान मीटिंग में शामिल हुए गृह मंत्रालय के सचिव एससीएल दास ने कहा कि हमने प्रतिदिन कम से कम 5 हजार तीर्थयात्रियों की यात्रा की व्यवस्था करने की जरूरत पर जोर दिया जिसमें न सिर्फ भारतीय शामिल होंगे बल्कि भारतीय मूल के वो लोग भी शामिल हैं जो अन्य देशों में रहते हैं।
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ये स्थान इतना खास क्यों है
भारत-पाक सीमा पर पाकिस्तान में एक शहर है नरोवाल। नरोवाल से लगभग एक घंटे की दूरी पर एक छोटा सा गांव है- करतारपुर।
करतारपुर का गुरुद्वारा ‘दरबार साहिब’ सिखों के लिए सबसे पवित्र स्थानों में से एक है। जैसे हिंदुओं के लिए केदारनाथ।
कहा जाता है कि इसे गुरु नानक देव ने ही बनवाया, करतारपुर बसाया और यहीं अंतिम सांस भी ली।
बंटवारे से पहले करतारपुर गुरदासपुर का ही हिस्सा था। गुरदासपुर से इसकी दूरी महज तीन किमी ही है।
बंटवारे के दौरान सिखों को यकीन था कि करतारपुर हिंदुस्तान का ही हिस्सा रहेगा। लेकिन जब नक्शे पर ही सीमाओं का निर्धारण किया गया हो तो भावनाओं को उसमें स्थान नहीं मिलता। बंटवारा हुआ तो दरबार साहिब पाकिस्तान पहुंच गया।
बंटवारा हुआ, तो गुरुद्वारा वीरान हो गया। तस्करों ने उसे अड्डा बना लिया।
लेकिन वहां नानक के मुसलमान भक्त दर्शन के लिए आते रहे। कुछ दिनों में ये तादात बढ़ने लगी।
2001 में गुरूद्वारे की नई ईमारत बन कर तैयार हुई। बंटवारे के बाद पहली बार तभी यहां लंगर बंटा।
गुरु नानक देव ने जो गुरुद्वारा बनवाया था वो बाढ़ में बर्बाद हो गया था।
यहां होने वाले लंगर के लिए मुसलमान चंदा देते हैं। चूल्हों के लिए लकड़ियां पाकिस्तानी आर्मी देती है।
कहा जाता है कि वर्ष 1965 के युद्ध में यहां एक बम गिरा। लेकिन वो फटा नहीं। अब इस बम को चबूतरे में मढ़ दिया गया है।
बीएसएफ ने एक दर्शन स्थल का निर्माण करवाया है। जहां एक दूरबीन लगी हुई है। यहां से सिख गुरुद्वारे को देखते हैं।
लेकिन हिन्दुस्तानी सिख चाहते हैं कि उनको करतारपुर गुरुद्वारे जाने के लिए वीजा-फ्री कॉरिडोर मिले ताकि जब चाहें गुरुद्वारे में दर्शन करने जा सकें।
नवंबर को नानक देव की 550वीं जयंती धूमधाम से मनेगी। करतारपुर कॉरिडोर की मांग फिर तेज होने लगी है ऐसे में मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने शॉट तो अच्छी खेली थी लेकिन रन आउट हो गए।
सिद्धू कांड के बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की एक चिट्ठी सामने आई है। इसके मुताबिक, भारत सरकार करतारपुर कॉरिडोर का मुद्दा लंबे समय से उठा रही है। लेकिन पाकिस्तान इसके लिए राजी नहीं है। और जिस कॉरिडोर खोले जाने के नाम पर सिद्धू आर्मी चीफ के गले पड़ गए थे उसपर भी उसने कुछ नहीं कहा है।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मुलाकात के बाद सिद्धू ने कहा, भारत को चाहिए कि वो कॉरिडोर खोलने के लिए पाकिस्तान को निवेदन भेजे। ये बयान दे वो ऐसा जता रहे हैं जैसे पाकिस्तान कॉरिडोर खोलने को तैयार बस भारत सरकार के आग्रह का इंतजार कर रहा है।