UN में भारत ने PAK की फिर लगाई क्लास, कश्मीर मुद्दे को लेकर किया बेनकाब

पाकिस्तान की कश्मीर पर लगातार बेबुनियाद टिप्पणी और कट्टरता को लेकर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। पार्वथानेनी हरीश ने पाकिस्तान की निंदा करते हुए कहा कि कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा रहेगा और पाकिस्तान की मानसिकता नहीं बदलेगी।;

Update:2025-03-15 07:45 IST

पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है और लगातार कश्मीर मुद्दे पर गलत बयानी करता रहता है, जिससे उसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है। इसके बावजूद, पाकिस्तान अपनी नापाक गतिविधियों से बाज नहीं आता और जम्मू-कश्मीर को लेकर बयानबाजी करता रहता है। पाकिस्तान की इस हरकत को लेकर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। भारतीय स्थायी प्रतिनिधि, पार्वथानेनी हरीश ने अमेरिका में इस्लामोफोबिया से संबंधित बैठक के दौरान पाकिस्तान की तीखी आलोचना की। उन्होंने पाकिस्तान के पूर्व विदेश सचिव के बयान को निशाना बनाते हुए कहा कि बार-बार जम्मू और कश्मीर का उल्लेख करना न तो पाकिस्तान के दावे को सही साबित कर सकता है और न ही सीमा पार आतंकवाद के उनके प्रयासों को जायज ठहरा सकता है।

हरीश ने पाकिस्तान की कट्टर मानसिकता को उजागर करते हुए कहा कि इस मानसिकता का कोई असर नहीं होगा और जम्मू-कश्मीर हमेशा भारत का अभिन्न हिस्सा रहेगा। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान की कट्टरता को समझते हुए यह अब और अधिक स्पष्ट हो गया है कि जम्मू और कश्मीर पर उसके दावे गलत और अवास्तविक हैं। हरीश ने पाकिस्तान की कार्यप्रणाली की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि उनके इस रवैये से स्थिति नहीं बदलेगी और भारत के दृष्टिकोण में कोई बदलाव नहीं आएगा।

इसके साथ ही, हरीश ने इस्लामोफोबिया के खिलाफ लड़ाई के महत्व को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई धार्मिक भेदभाव के खिलाफ व्यापक संघर्ष का हिस्सा है, जैसा कि 1981 की घोषणा में सही तरीके से उठाया गया था। उनका कहना था कि हमें ऐसे भविष्य की दिशा में काम करना चाहिए, जहां सभी व्यक्ति, चाहे वह किसी भी धर्म से हों, गरिमा, सुरक्षा और सम्मान के साथ जी सकें। उन्होंने दुनिया से अपील की कि कट्टर मानसिकता और इस्लामोफोबिया के खिलाफ एकजुट होकर कदम उठाए जाएं।

पार्वथानेनी हरीश ने यह भी उल्लेख किया कि हाल के समय में पूजा स्थलों और धार्मिक समुदायों के खिलाफ हिंसा में चिंताजनक वृद्धि हुई है, जो न केवल भारत के लिए चिंता का विषय है, बल्कि दुनिया भर में धार्मिक असहमति और कट्टरता को बढ़ावा देने का संकेत है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के प्रयासों को रोकने के लिए हमें मिलकर काम करना चाहिए और कट्टरता को बढ़ावा देने वाली गतिविधियों पर कड़ी नजर रखनी चाहिए।

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