चीनी सेना कांपेगी: अमेरिका से भारत आये खतरनाक हथियार, अब युद्ध में हमारी जीत  

दोनों ही देशों ने हजारों जवानों, टैंक, मिसाइल आदि को इस बॉर्डर के आसपास तैनात कर दिया है। दोनों ही देशों के फाइटर जेट्स स्टैंड बाय मोड पर हैं। फिलहाल बातचीत जारी है लेकिन चीन अपनी गलतियां मानने को तैयार नहीं है।

Update: 2020-10-19 11:08 GMT
चीनी सेना कंपेगी: अमेरिका से भारत आये खतरनाक हथियार, अब युद्ध में हमारी जीत  

नई दिल्ली: भारत-चीन की सीमा लद्दाख में सर्दी से मुकाबला करने को तैयार हैं। सीमा पर तैनात जवानों के लिए सर्दियों से जुड़ा जरूरी सामान तत्काल आधार पर खरीदा गया है। बताया गया है कि ये सामान तनाव के बीच सर्दियों में तैनाती के लिए जरूरी था। क्योंकि अब धीरे-धीरे तापमान -30 डिग्री तक चला जाएगा। भारत और अमेरिका के बीच लॉजिस्टिक एक्सचेंज मेमोरेंडम समझौते (LEMOA) के तहत खरीदा गया है, जो दोनों देशों के सशस्त्र बलों के बीच लॉजिस्टिकल सपोर्ट, आपूर्ति और सेवाओं की सुविधा प्रदान करता है।

ऊंचाई पर तापमान -30 डिग्री तक चला जाता है

गौरतलब है कि लद्दाख में जारी तनाव को कई महीने बीत चुके हैं। इसमें दोनों ही देशों ने हजारों जवानों, टैंक, मिसाइल आदि को इस बॉर्डर के आसपास तैनात कर दिया है। दोनों ही देशों के फाइटर जेट्स स्टैंड बाय मोड पर हैं। फिलहाल बातचीत जारी है लेकिन चीन अपनी गलतियां मानने को तैयार नहीं है। ऐसे में विवाद सर्दियों से आगे खिंचता दिख रहा है। यानी जवानों को वहीं तैनात रहना होगा। 15000 फीट की ऊंचाई पर तापमान -30 डिग्री तक चला जाता है। ऐसे में चीन से चल रहे तनाव के बीच भारत ने अमेरिका से एक अहम डील की है।

भारत और अमेरिका के बीच युद्ध संबंधी किट्स के लिए समझौता

अब तक भारत युद्ध से संबंधित ऐसी किट्स के लिए यूरोप या चीन पर निर्भर था। लेकिन अब अमेरिका भी इस लिस्ट में शामिल है। भारत और अमेरिका ने पहले ही साजो-सामान की सहायता से जुड़ा समझौता किया हुआ है। इसमें एक दूसरे से तेल, युद्धपोत और एयर क्राफ्ट्स के पार्ट्स खरीदे जा सकते हैं। यह समझौता अगस्त 2016 में साइन हुआ था।

भारत-चीन कोर कमांडर्स की 8वीं बैठक

भारत और चीन के बीच बॉर्डर विवाद सुलझाने के लिए कोर कमांडर्स की सात बैठक हो चुकी हैं। लेकिन कुछ परिणाम नहीं निकला है। अब इस हफ्ते भारत-चीन कोर कमांडर्स की 8वीं बैठक हो सकती है। सातवी बैठक के बाद दोनों पक्ष बातचीत के जरिए गतिरोध को सुलझाने के लिए राजी हुए थे और आगे भी सैन्य और राजनयिक चैनलों के जरिए संवाद करने को लेकर सहमति जताई थी।

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