आफत में नाक-राहत में नाकः जांच में नाक तो अब वैक्सीन में भी नाक

नेज़ल (नाक वाली) वैक्सीन वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ़ मेडिसिन द्वारा डेवलप की जा रही है और इसके उत्पादन का लाइसेंस भारत बायोटेक को दिया गया है।

Update: 2020-09-26 09:17 GMT
स्वदेशी वैक्सीन निर्माता कम्पनी भारत बायोटेक ने एला किया है कि वह नाक के जरिये दी जाने वाली कोरोना वैक्सीन की एक अरब खुराक बनायेगा। हरत में इस तरह की वैक्सीन की दिशा में यह पहला काम है।

लखनऊ: स्वदेशी वैक्सीन निर्माता कम्पनी भारत बायोटेक ने एलान किया है कि वह नाक के जरिये दी जाने वाली कोरोना वैक्सीन की एक अरब खुराक बनायेगा। भारत में इस तरह की वैक्सीन की दिशा में यह पहला काम है। वैक्सीनें अलग अलग तरीके से दी जातीं हैं। लेकिन सबसे सामान्य तरीका इंजेक्शन के जरिये वैक्सीन लगाने का है। इंजेक्शन भी बहुत सावधानी से स्किन और मसल्स के बीच के टिश्यू में लगाया जाता है। नया तरीकों में मुंह में ड्रॉप के जरिये वैक्सीन दी जाती है और इस तरीके का इस्तेमाल आमतौर पर बच्चों को वैक्सीन देने में किया जाता है। कुछ वैक्सीन नाक के भीतर स्प्रे कर के दी जाती हैं।

सिंगल डोज़ वैक्सीन

नाक के जरिये पहुंचाई जाने वाली वैक्सीन वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ़ मेडिसिन द्वारा डेवलप की जा रही है और इसके उत्पादन का लाइसेंस भारत बायोटेक को दिया गया है। ताकि व्यापक टीकाकरण के लिए बड़ी संख्या में उत्पादन किया जा सके।

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भारत बायोटेक बनाएगा नाक में दी जाने वाली वैक्सीन (फाइल फोटो

इसके अलावा सुई और सिरिंज की जरूरत ख़त्म करके लगत में भी खासी कमी की जा सकेगी।

किसी ट्रेनिंग की जरूरत नहीं

भारत बायोटेक बनाएगा नाक में दी जाने वाली वैक्सीन (फाइल फोटो

 

नाक में दी जाने वाली वैक्सीन के साथ एक फायदा ये भी है कि वैक्सीन के लिए प्रशिक्षित कर्मचारियों की जरूरत नहीं पड़ेगी। महामारी के समय में वैक्सीन की उपलब्धता, इसको लोगों तक पहुंचाना, और वैक्सीन लगाने के लिए प्रशिक्षित स्वस्थ्य कर्मियों की उपलब्धता ये सब बहुत महत्वपूर्ण कारक हैं और इनका सबको जुटाना आसान काम भी नहीं है। ऐसे में नाक में स्प्रे द्वारा दी जाने वाली वैक्सीन सब कुछ बहुत आसान कर देगी। इसे कोई भी स्वयं लगा सकेगा।

कुछ सवाल भी हैं

भारत बायोटेक बनाएगा नाक में दी जाने वाली वैक्सीन (फाइल फोटो

कोरोना की नेज़ल (नाक वाली) वैक्सीन के बारे में कम्पनियां बहुत उत्साहित नहीं हैं। इसकी वजह ये है कि ऐसी वैक्सीन कितनी असरदार होगी अभी ये साबित नहीं हुआ है। डब्लूएचओ के अनुसार फिलवक्त विश्व में 187 तरह की कोरोना वैक्सीन पर काम चल रहा है।

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जिसमें सिर्फ 5 नाक वाली वैक्सीन हैं। अभी तक सिर्फ फ्लू की वैक्सीन नाक के जरिये दी गयीं हैं इसलिए कोरोना में ये कितनी असरदार होगी इसके बारे में कुछ संशय है। नेज़ल वैक्सीन के ट्रायल से ही इसकी सफलता के बारे में कुछ पक्का पता चल सकेगा।

कोवैक्सिन का ट्रायल अगले महीने से

कोवैक्सीन (फाइल फोटो)

भारत बायोटेक की इंजेक्शन वाली कोरोना वैक्सीन ‘कोवैक्सीन’ का तीसरे चरण का ट्रायल अगले महीने से यूपी समेत देशभर में 25 से 30 हजार लोगों पर किया जाएगा। यूपी में गोरखपुर और लखनऊ मेडिकल कालेज में इसका परीक्षण किया जाएगा। कोवैक्सीन को भारत बायोटेक और आईसीएमआर मिल कर डेवलप कर रहे हैं। वैक्सीन कितनी प्रभावी और सुरक्षित है इसको तीसरे चरण के ट्रायल में परखा जाएगा।

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ट्रायल में सब ठीक रहा तो लोगों को वैक्सीन अगले साल मार्च तक मिल सकती है। भारत बायोटेक ने अभी से वैक्सीन का प्रोडक्शन शुरू कर भी दिया है ताकि हरी झंडी मिलते ही वैक्सीन बाजार में उतारी जा सके। कोरोना वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड-आस्ट्रा जेनका, चीन की तीन कंपनियां और अमेरिका की दो कम्पनियां कर रही हैं। आस्ट्रा जेनका का तीसरे चरण का ट्रायल भारत, ब्रिटेन, साउथ अफ्रीका और ब्राज़ील में चल रहा है। लेकिन तीन प्रतिभागियों के गंभीर रूप से बीमार पड़ने के बाद इसपर सवाल भी उठने लगे हैं। अमेरिका ने तो इस टीके के ट्रायल पर रोक लगा दी है।

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