Famous Baba in India: भारत के सबसे चमत्कारी बाबा, जिनके मानने वाले पंडित नेहरू से जुकरबर्ग तक, बड़ी हस्तियां भी झुकाती हैं चरणों में शीश

Indian Baba Miracles Stories in Hindi: भारत ऋषि और संतों की भूमि रही है। यहां कई ऐसा बाबा हुए जिनके अनुयायी देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी हैं। ऐसे ही कुछ बाबा की व्याख्या पढ़ें।

Written By :  aman
Update:2023-01-21 18:11 IST

Indian Famous Baba Miracles Stories

Indian Baba Miracles Stories in Hindi: मध्य प्रदेश का बागेश्वर धाम और वहां के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Pandit Dhirendra Krishna Shastri) इन दिनों सुर्ख़ियों में हैं। उनके पक्ष और विपक्ष में कई तर्क दिए जा रहे हैं। लेकिन, इसी देश में कई ऐसे बाबा हुए हैं जिन्हें मानने वालों की संख्या करोड़ों में है। इन आध्यात्मिक संत, महान गुरुओं और दिव्य शक्ति बाबाओं के अनुयायी उन्हें भगवान का अवतार मानते हैं। इन बाबाओं के चमत्कार ने लोगों की इनमें आस्था को और मजबूत किया। 

यहां जाने फेमस बाबाओं के बारे में

आज देश में जब कई बाबाओं को शक की निगाह से देखा जा रहा है। उन पर उंगलियां उठ रही है, तो उन आध्यात्मिक गुरुओं और संत फिर एक बार चर्चा में हैं जिनके मानने वालों की उन पर आस्था बरकरार है। इनमें नीम करोली बाबा, साईं बाबा, देवराहा बाब सहित अन्य के नाम हैं। newstrack.com आज इन्हीं बाबाओं के बारे में बताना जा रहा है। 


नीम करोली बाबा (Neem Karoli Baba)

नीम करोली बाबा (Neem Karoli Baba) के मानने वाले आज भी देश में बहुतायत हैं। नीम करोली बाबा आध्यात्मिक संत, महान गुरु और दिव्यदर्शी थे। इनका असली नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा (Laxminarayan Sharma) था। नीम करोली बाबा के भक्त दुनियाभर में फैले हैं। देश-दुनिया की कई बड़ी नामचीन हस्तियां बाबा की भक्ति में श्रद्धा रखते हैं। नीम करोली बाबा को मानने वालों में देश के प्रधानमंत्री और एप्पल के CEO से लेकर फेसबुक के संस्थापक भी हैं। राजनीतिक हस्तियां, कॉरपोरेट वर्ल्ड के लोग और सिने अभिनेता या आम आदमी, हर कोई बाबा के भक्त हैं। उनके दरबार में शीश झुकाते हैं। 

बाबा खुद को बताते रहे साधारण व्यक्ति 

नीम करोली बाबा हमेशा ही स्वयं को साधारण व्यक्ति बताते रहे थे। बाबा कभी अपने भक्तों को खुद के पैर तक छूने नहीं देते थे। बावजूद बाबा को मानने वाले उन्हें इस युग में अवतार मानते हैं। उनके भक्तों का कहना है कि ऐसे दिव्य पुरुष सैकड़ों सालों में पैदा लेते हैं। बाबा नीम करौली का जन्म उत्तरप्रदेश के एक गांव में सन 1900 के आसपास हुआ था। बताया जाता है कि, 17 वर्ष की छोटी उम्र में ही बाबा को ज्ञान की प्राप्ति हो गई थी। उनके जीवन काल तथा उनकी मृत्यु के बाद भी भक्तों ने अलौकिक व्यक्तित्व और दिव्य चमत्कारों का अनुभव किया। 

बाबा के अलौकिक चमत्कार

बाबा नीम करोली (Neem Karoli Baba) धाम को 'कैंची धाम' के नाम से जाना जाता है। यहां बाबा के जमाने से भंडारा चलता रहा है, जो आज भी जारी है। कहा जाता है एक बार भंडारे के लिए घी की कमी पड़ गई थी। ऐसे में उनके सेवक परेशान हो गए। उनके सेवक और अनुयायी बाबा के पास पहुंचे। उन्हें भंडारे में घी कम पड़ जाने की बात बताई। तब बाबा ने भंडारे के भोजन में घी की जगह शिप्रा का जल डालने की बात कही। बाबा के कहे अनुसार शिप्रा का जल लाया गया। भोजन में उसे इस्तेमाल किया गया। वह जल घी में परिवर्तित हो गया। ये तो मात्र एक चमत्कार है। बाबा नीम करोली के ऐसे अनगिनत चमत्कार हैं। जिससे उनके भक्तों में आस्था बरक़रार है। 


साईं बाबा (Sai Baba)

देश-विदेश में साईं बाबा के मानने वालों की संख्या भी अनगिनत है। साईं भगवान के अवतार हैं या कोई मनुष्य ये सवाल भी समय-समय पर लोग उठाते रहे हैं। लेकिन हर बार आस्था भारी पड़ी। साई कहां से आए? कैसे वो भक्तों के 'साईं बाबा' बन गए, जिनके एक दर्शन  मात्र से भक्त अपना जीवन धन्य मानने लगते हैं। इसकी भी लंबी कहानी है। 

कहां हुआ साईं का जन्म? 

साईं बाबा कौन थे? उनका जन्म कहां हुआ था? इन सवालों के जवाब आज भी अनुत्तरित हैं। लेकिन, साईं के भक्तों को इन सवालों के जवाब में कोई रुचि भी नहीं है। उनके लिए बाबा की आस्था ही काफी है। साईं बाबा ने खुद भी कभी इन बातों का जिक्र नहीं किया। कहा जाता है बस एक बार अपने किसी भक्त के पूछने पर साईं बाबा ने कहा था कि, उनका जन्म 28 सितंबर 1836 को हुआ था। इसलिए हर साल 28 सितंबर को साईं का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है।

जीवन का बड़ा हिस्सा मस्जिद में बिताया 

साईं बाबा ने अपने जीवन का बड़ा हिस्सा एक पुराने मस्जिद में बिताया था। साईं इसे ही द्वारका माई (Dwarkamai Shirdi) कहते थे। साईं हमेशा सिर पर सफेद कपड़ा बांधे रखते थे। साईं फकीर के रूप में शिरडी में धुनि रमाया रहते थे। इनके इस रूप के कारण ही कुछ लोग इन्हें मुस्लिम मानते थे जबकि, द्वारका के प्रति श्रद्धा और आस्था की वजह से कुछ लोग इन्हें हिन्दू मानते हैं। लेकिन, साईं बाबा ने खुद को कभी जाति बंधन में नहीं बांधा। आज भी उनके दरबार में हिन्दू-मुस्लिम सभी पहुंचते हैं। उनके भक्त भी समान आदर का भाव रखते हैं। साईं ने हमेशा मानवता, प्रेम और दयालुता को अपना ही अपना धर्म माना। साईं के इसी व्यवहार ने उन्हें 'शिरडी का साईं बाबा' और 'भक्तों के भगवान' जैसी संज्ञा से सुशोभित किया। 

साईं कब पहली बार दिखे 

कहा जाता है कि वर्ष 1854 ई. में पहली बार साईं शिरडी में दिखे। उस समय उनकी उम्र महज 16 वर्ष थी। शिरडी के लोगों ने साईं को पहली बार एक नीम के पेड़ के नीचे समाधि में लीन देखा था। शिरडी के लोग शुरू में साईं बाबा को पागल समझते थे। मगर, धीरे-धीरे उनकी शक्ति और गुणों को जानने के बाद भक्तों की संख्या लगातार बढ़ती गयी। साईं बाबा शिरडी के केवल पांच परिवारों से हर रोज दिन में दो बार भिक्षा मांगते थे। साईं ने कई ऐसे चमत्कार किये, जिसकी आज भी चर्चा होती है। आज भी शिरडी साईं के दरबार जाने वाले उनसे मुरादें मांगते हैं और पूरी होने पर दोबारा वहां जाते हैं। साईं के प्रति भक्तों की यही आस्था उन्हें अलग पहचान देती है। 


देवरहा बाबा (Devraha Baba) 

भारत में ऋषि-मुनियों की परंपरा रही है। हिंदू धर्म में तो सैकड़ों वर्षों से योगियों, संतों और सन्यासियों का वर्णन मिलता है। इन्हीं में एक हैं देवरहा बाबा। उत्तर प्रदेश के देवरिया (Deoria) के सिद्ध महायोगी बाबा को 'देवरहा बाबा' कहते हैं। देवरहा बाबा के बारे में कहा जाता है कि वो सैकड़ों वर्ष जीवित रहे। देवरहा बाबा रिकॉर्ड समय तक जीवित रहे। उन्हें कई तरह की सिद्धियां प्राप्त थी। कहा जाता है, बाबा इंसान ही नहीं बल्कि जानवरों के मन की बातें भी बता देते थे। देवरहा बाबा के चमत्कारों की अनेकों कहानियां हैं। 

देवरहा बाबा की लंबी आयु का रहस्य

मनुष्य के बारे में माना जाता है कि अमूमन जीवनकाल अधिक से अधिक 90 से 100 साल तक  होता है। मगर, देवरहा बाबा के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने 900 वर्ष से भी अधिक जीने का रिकॉर्ड बनाया।हालांकि, बाबा के जीवनकाल को लेकर अभी भी कई मत हैं। कुछ लोगों का कहना है कि देवरहा बाबा 250 वर्षों तक जीवित रहे तो कुछ का मानना है उनकी उम्र 500 वर्ष थी। देवरहा बाबा का जन्म कब हुआ? मृत्यु कितने वर्ष की आयु में हुई, किसी को नहीं पता। 

देवरहा बाबा जनसेवा को सर्वोपरि मानते थे 

बाबा देवरहा (Devraha Baba) प्रभु श्री राम के भक्त थे। उनकी आस्था कृष्ण में भी थी। उनके मंत्रों में भी इन्हीं दोनों का उद्धरण होता था। देवरहा बाबा गोसेवा और जनसेवा को सर्वोपरि मानते थे। बाबा ने अपने भक्तों को गरीबों, असहाय और जरूरतमंदों की सेवा करने को हमेशा प्रेरित किया। गोमाता की रक्षा करने तथा ईश्वर की भक्ति ही उनके जीवन का मूल मंत्र था। बाबा लोगों को गो हत्या के विरुद्ध रहने की प्रेरणा दिया करते थे।

बाबा के भक्तों में कई नामचीन हस्तियां

देवरहा बाबा की ख्याति दूर-दूर तक थी। उनके दर्शन के लिए देश-विदेश से लोग आते थे। कई नामी हस्तियां भी देवरहा बाबा के दर्शन के लिए आती थीं। बाबा के भक्तों में देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, राजेन्द्र प्रसाद, मदन मोहन मालवीय, पुरुषोत्तम दास टंडन आदि थे। कहा जाता है कि बाबा ने जीवन में कभी अन्न नहीं खाया। वह केवल दूध, शहद और फलाहार किया करते थे। देवरहा बाबा (Devraha Baba Death) के जन्म की तारीख का कोई पता नहीं, लेकिन उन्होंने अंतिम सांस 19 जून 1990 को ली थी। यह योगिनी एकादशी का दिन था। आपको बता दें, हिंदू धर्म में योगिनी एकादशी का दिन बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन को मोक्ष दिलाने वाला कहा जाता है।


श्री ह‍ित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज

हाल ही में भारतीय क्रिकेट स्टार विराट कोहली पत्‍नी अनुष्‍का शर्मा और बेटी वामिका के साथ वृंदावन पहुंचे थे। वहां उन्होंने स्वामी प्रेमानंद जी महाराज (Shri Hit Premanand Govind Sharan Ji Maharaj ) के आश्रम में जाकर उनके दर्शन किए और आशीर्वाद लिया। प्रेमानंद महाराज ने तीनों को आशीर्वाद दिया। नन्ही वामिका को दुलारा भी। विराट कोहली दंपती देश की सबसे चर्चित शख्सियतों में से एक है। लेकिन बाबा को उनके बारे में कुछ पता नहीं था। विराट-अनुष्का के साथ आए लोगों ने उनका परिचय कराया। तब भी बाबा ने कोई विशेष प्रतिक्रिया नहीं दी। सामान्‍य भक्तों की ही तरह उन्हें आशीर्वाद दिया।

उनकी इस मुलाकात का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। लोगों के मन में बाबा प्रेमानंद के बारे में जानने की इच्छा हुई। आखिर ये बाबा हैं कौन? जो इन दोनों के परिचय से अब तक अनजान हैं। आपको बता दें, श्री ह‍ित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज का जीवन परिचय इंटरनेट पर बेहद काम मिलता है। फिलहाल, बाबा एक यूट्यूब चैनल भी चलाते हैं। जिस पर बाबा के प्रवचन आदि आते हैं। 

कौन हैं श्री ह‍ित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज

बाबा हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज वृंदावन में रहते हैं। वह मूलत: कानपुर के सरसौल ब्लॉक के अखरी गांव के निवासी हैं। उनके पिता का नाम शंभू पांडेय है। माता का नाम राम देवी है। जन्म के बाद महाराज को अनिरुद्ध कुमार पांडेय (Anirudh Kumar Pandey) के नाम से जाना गया। बचपन से ही वह धार्मिक प्रवृत्ति के थे। बेहद कम आयु में ही उन्होंने घर छोड़ दिया। वह पहले वाराणसी गए। उसके बाद वृंदावन आ गए और यहीं के होकर रह गए। यहां उन्हें उनके गुरु मिले। इनके गुरु का नाम श्री गौरंगी शरण जी महाराज (Shri Gaurangi Sharan Ji Maharaj) बताया जाता है। गुरु से दीक्षा मिलने के बाद प्रेमानंद जी वृंदावन में ही रह गए। यहीं आश्रम में रहते हैं।

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