Milk Import: घी, मक्खन इम्पोर्ट करने की आ सकती है नौबत
Milk Import: दूध का उत्पादन कम होने के पीछे मवेशियों में लंपी डिज़ीज़, चारे की कमी भी शामिल हैं। ये जान लीजिए कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक है और देश के अंदर दूध और दूध उत्पादों की मांग पूरी करने में आत्मनिर्भर है।
Milk Import: दूध उत्पादन में कमी के चलते ऐसी स्थितियां बन रही हैं कि भारत को घी और मक्खन जैसी चीजों का आयात करना पड़ सकता है। दूध का उत्पादन कम होने के पीछे मवेशियों में लंपी डिज़ीज़, चारे की कमी भी शामिल हैं। ये जान लीजिए कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक है और देश के अंदर दूध और दूध उत्पादों की मांग पूरी करने में आत्मनिर्भर है। इससे पहले 2011 में कुछ दूध उत्पादों के आयात की जरूरत पड़ी थी।
लंपी त्वचा रोग
केंद्रीय पशुपालन और डेरी सचिव राजेश कुमार सिंह के अनुसार, पशुओं में लंपी त्वचा रोग के असर की वजह से 2022-23 में भारत में दूध के उत्पादन में बढ़ोतरी नहीं हुई, लेकिन दूध की मांग बढ़ गई। इसी अवधि में दूध की मांग में आठ से 10 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिली है। उन्होंने कहा कि अगर डिमांड बढ़ती गई तो घी और मक्खन के आयात की अनुमति दी जाएगी।
एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में लंपी त्वचा रोग से 2022 में करीब 1.9 लाख मवेशी मारे गए और बड़ी संख्या में मवेशी संक्रमित हुए। लंपी स्किन डिज़ीज़ मवेशियों में फैलने वाली एक वायरल बीमारी है जो खून पीने वाले मक्खियों, मच्छरों जैसे कीड़ों द्वारा फैलती है। इस बीमारी में मवेशियों को बुखार होता है, त्वचा पर गांठें निकल आती हैं, दूध की मात्रा कम हो जाती है और कई मामलों में मौत भी हो जाती है। बीते साल बड़ी संख्या में मवेशी इससे संक्रमित हुए थे।
डेयरी सेक्टर पर असर
मवेशियों में फैली लंपी स्किन डीज़ीज़ का असर डेयरी सेक्टर पर दिखाई देने लगा है। बीमारी के चलते दूध उत्पादन नहीं बढ़ा और नतीजतन कई डेयरी प्रोडक्ट की कमी हो गई। घी, मक्खन आदि जैसे उत्पादों का भंडार पिछले साल के मुकाबले कम है। दूध के दाम भी बढ़ गए हैं।
घी और मक्खन का भंडार
देश में मक्खन और घी का भंडार एक साल पहले 75,000 टन था, लेकिन इस साल वह गिर कर 36,000 टन पर आ गया है। गर्मियों में वैसे भी दूध का प्रोडक्शन घट जाता है। अब डिमांड बढ़ती है कम से कम मक्खन और घी का आयात करने की जरूरत पड़ सकती है।
दूध की महंगाई
दूध उत्पादन पर असर की वजह से भारत में दूध के दामों में भी उछाल आया है। पिछले करीब एक दशक में दूध के दाम इतनी तेजी से नहीं बढ़े थे, जितने पिछले एक साल में बढ़े हैं।