Year Ender 2022: भारतीय नौसेना को मिला दूसरा स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर विक्रांत
Year Ender 2022: इंडियन एयरफोर्स को 2 सितंबर 2022 को अपना पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर 'विक्रांत' मिला।
Year Ender 2022: भारतीय नौसेना के लिए साल 2022 उपलब्धियों से भरा रहा। इंडियन एयरफोर्स को 2 सितंबर 2022 को अपना पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर 'विक्रांत' मिला। भारत को पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट मिलने के अलावा उसमें एक और बड़ा बदलाव किया गया। एयरक्राफ्ट से अंग्रेजों की निशानी 'क्रॉस' का लाल निशान हटा दिया गया। अब स्वदेशी एयरक्राफ्ट में भारतीय तिरंगा और अशोक चिन्ह हैं। भारत का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर कितना ताकतवर है। भारत के पास कुल कितने एयरक्राफ्ट कैरियर हैं, इस रिपोर्ट में जानें।
बता दें कि, एयरक्राफ्ट विक्रांत में प्रयोग होने वाली सभी चीजें स्वदेशी नहीं हैं। यानी कि विक्रांत में प्रयोग होने वाले कुछ कल-पुर्जे विदेश से मंगाए गए हैं। हालांकि, नौसेना के मुताबिक पूरे प्रोजेक्ट का 76 फीसदी हिस्सा देश में मौजूद संसाधनों से बनाया गया है। भारतीय नौसेना के अनुसार, स्वदेशी एयरक्राफ्ट विक्रांत में जो चीजें स्वदेशी हैं उनमें 23 हजार टन स्टील, 2500 किलोमीटर इलेक्ट्रिकल केबल, 150 किलोमीटर पाइप और 2000 वाल्व लगाए गए हैं। कैरियर में शामिल हल बोट्स, एयर कंडीशनिंग से लेकर रेफ्रिजरेशन प्लांटस और स्टेयरिंग से जुड़े पार्ट्स देश में ही बनाए गये हैं।
कई निर्माताओं ने मिलकर बनाया एयरक्राफ्ट कैरियर विक्रांत
एयरक्राफ्ट कैरियर विक्रांत निर्माण करने में भारत के कई बड़े औद्योगिक निर्माता जुड़े रहे हैं। जिसमें भारत इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड(BHEL), किर्लोस्कर, एलएंडटी, केल्ट्रान, जीआरएसई, वार्टसिला इंडिया और अन्य भी कई भारतीय कंपनियां शामिल रहीं। इसके अलावा 100 से ज्यादा मध्यम और लघु उद्योगों ने भी इस एयरक्राफ्ट के निर्माण कार्य में मदद की है। नौसेना का कहना है कि एयरक्राफ्ट के निर्माण के दौरान प्रत्येक दिन लगभग 2000 भारतीयों को सीधे तौर पर रोजगार दिया गया। जबकि 40000 हजार अन्य लोगों को अप्रत्यक्ष तौर पर रोजगार दिया गया। विक्रांत को बनाने में करीब 20 हजार करोड़ का खर्चा आया है।
भारतीय नौसेना के पास में कितने एयरक्राफ्ट हैं
भारतीय नौसेना दुनिया की दस ताकतवर नेवी में सातवें स्थान पर आती है। भारतीय नौसेना का मुख्य मकसद है परमाणु युद्ध रोकना, सी लिफ्ट करना यानी बचाव कार्य करना। भारतीय नौसेना के पास दो एयरक्राफ्ट कैरियर हैं,आईएनएस विक्रमादित्य और आईएनएस विक्रांत। भारतीय नौसेना के पास 75 हजार रिजर्व और 67,252 एक्टिव जवान हैं। भारतीय नौसेना के 11 से ज्यादा बेस हैं। जो अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, ओडिशा, केरल, लक्षद्वीप, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक और गुजरात में मौजूद हैं। इनका मुख्य काम है एम्यूनिशन सपोर्ट, लॉजिस्टिक्स, मेंटेनेंस सपोर्स, मार्कोस बेस, एयर स्टेशन, फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस, सब मरीन और मिसाइल बोट बेस आदि।
भारतीय नौसेना के पास 300 एयरक्राफ्ट हैं। 150 जंगी जहाज और सबमरीन हैं। 4 फ्लीट टैंकर्स हैं, एक माइन काउंटर मेजर वेसल हैं, 24 कॉर्वेट्स और 15 अटैक सबमरीन हैं। एक बैलिस्टिक मिसाइल सबमरीन हैं। एक परमाणु ईंधन चलित अटैक सबमरीन है। 14 फ्रिगेट्स, 10 डेस्ट्रॉयर्स, 8 लैंडिंग शिप टैंक्स, एक एंफीबियस ट्रांसपोर्ट डॉक, दो एयरक्राफ्ट करियर हैं, कई छोटे पेट्रोल बोट्स हैं।
आईएनएस विक्रांत की खासियत
कोचीन शिपयार्ड में बने आईएनएस विक्रांत की लंबाई 262 मीटर है। वहीं, इसकी चौड़ाई भी करीब 62 मीटर है। यह 59 मीटर ऊंचा है और युद्धपोत में 14 डेक हैं और 1700 से ज्यादा क्रू को रखने के लिए 2300 कंपार्टमेंट्स हैं। इनमें महिला अधिकारियों के लिए अलग से केबिन बनाए गए हैं। इसके अलावा इसमें आईसीयू से लेकर चिकित्सा से जुड़ी सभी सेवाएं और वैज्ञानिक प्रयोगशालाएं भी हैं। आईएनएस विक्रांत का वजन करीब 40 हजार टन है, जो इसे अन्य एयरक्राफ्ट से विशाल बनाता है। आईएनएस विक्रांत की असली ताकत सामने आती है समुद्र में, जहां इसकी अधिकतम स्पीड 51 किमी प्रतिघंटा है। इसकी सामान्य गति 33 किमी प्रति घंटा तक है। यह एयरक्राफ्ट कैरियर एक बार में 13,000 किलोमीटर से ज्यादा दूरी तय कर सकता है।
विक्रांत और विक्रमादित्य में अंतर
आईएनएस विक्रांत में लगभग 2200 कंपार्टमेंट्स हैं, जिन्हें लगभग 1700 क्रू मेंम्बर्स के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसमें महिला अधिकारियों और नाविकों को समायोजित करने के लिए विशेष केबिन शामिल हैं। जहाज में फिजियोथेरेपी क्लिनिक, आईसीयू, लैब्स और आइसोलेशन वार्ड सहित नवीनतम उपकरणों के साथ एक पूर्ण चिकित्सा परिसर भी है। लगभग 20-मंजिला INS विक्रमादित्य में कुल 22 डेक हैं और इसमें लगभग 1,600 क्रू मेम्बर्स के रहने की व्यवस्था है। विक्रमादित्य नई पीढ़ी के 8 बॉयलरों द्वारा संचालित है, जो 44,500 टन के इस तैरते शहर को 30 समुद्री मील तक की गति के साथ समुद्र में आगे बढ़ने में सक्षम बनाते हैं। इसमें 18 मेगावाट की बिजली पैदा करने की क्षमता है, जो एक छोटे शहर को रोशन करने के लिए पर्याप्त है। इसमें लगे प्लांट प्रतिदिन 400 टन ताजे पानी की आपूर्ति कर सकते हैं।
2017 में आईएनएस विराट को नौसेना से रिटायर कर दिया गया था
आईएनएस विराट को 6 मार्च 2017 को नौसेना से रिटायर्ड यानी सेवा मुक्त कर दिया गया था. विराट भारत से पहले ब्रिटेन की रॉयल नेवी में एचएमएस हर्मिस के रूप में शामिल रहा, लेकिन भारतीय नौसेना में आने के बाद इसका नाम विराट रखा गया। इसके बाद श्रीराम ग्रुप की शिप ब्रेकर कम्पनी ने इसी साल नीलामी में 38.54 करोड़ रुपये में विराट को खरीद लिया था. भारतीय समुद्री विरासत के प्रतीक इस युद्धपोत को पिछले हफ्ते गुजरात के अलंग यार्ड में पहुंचाया गया, जहां इसे तोड़कर कबाड़ में उपयोग किया जाना था।
INS विराट की खासियत और उसके ऑपरेशंस
आईएनएस विराट करीब 226 मीटर लंबा और 49 मीटर चौड़ा है। नौसेना में शामिल होने के बाद इसने जुलाई 1989 में ऑपरेशन जूपिटर में श्रीलंका में शांति स्थापना के ऑपरेशन में हिस्सा लिया। साल 2001 में भारतीय संसद पर हमले के बाद ऑपरेशन पराक्रम में भी विराट की अहम भूमिका थी। इस समुद्री महायोद्धा ने दुनिया के 27 चक्कर लगाए, जिसमें इसने 1 करोड़ 94 हजार 215 किलोमीटर का सफर किया।
भारतीय नौसेना का पहला आईएल 38 विमान चार दशक की सेवा के बाद रिटायर
भारतीय नौसेना का पहला आईएल 38एसडी विमान राष्ट्र की सेवा में 44 शानदार वर्षों को पूरा करने के बाद 17 जनवरी 2022 को रिटायर कर दिया गया। यह विमान 1977 में भारतीय नौसेना में शामिल हुआ था और यह अपने पूरे सेवा काल में एक दुर्जेय वायु संपत्ति बना रहा। आईएल 38 विमान के शामिल होने के साथ ही नौसेना को लंबी दूरी की पनडुब्बी रोधी खोज और हमला, एंटी-शिपिंग हमला, इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल इंटेलिजेंस और सुदूर एसएआर के साथ संयुक्त लंबी दूरी की हवाई समुद्री टोह एलआरएमआर के क्षेत्र में पहुंच की क्षमता हो गई।
आईएल 38 लंबे समय तक मजबूती और पर्याप्त परिचालन सीमा के साथ सभी मौसम में उड़ान भर सकने वाला विमान है। लगभग 10,000 घंटे की परिचालन उड़ान के साथ, आईएन 301 ने कई हवाई संचालनों में अपनी उच्च साख स्थापित की है। यह अपने परिचालन जीवन के अंतिम दिन तक पूर्ण रूप से सेवा योग्य था, और इसने विदाई होने से पहले सात घंटे की मिशन उड़ान भरी। 44 साल की सक्रिय सैन्य उड़ान के साथ एक 50 वर्ष के जहाज, आईएन 301 को भारतीय नौसेना का सबसे पुराना लड़ाकू प्लेटफॉर्म होने का गौरव प्राप्त था। पूर्ण रूप से बेहद शक्तिशाली, इसने पिछले साल दो हवा से सतह पर मार करने वाली लड़ाकू मिसाइलों को सफलतापूर्वक दागा। विंटेज विमान को सेवा में अपने अंतिम दिन तक पूरी तरह से चालू रखना नौसेना की ताकतवर लड़ाकू मशीनों के पीछे खड़े वीर पुरुषों के उल्लेखनीय समर्पण का प्रमाण है। आईएन 301 गोवा में भारतीय नौसेना वायु स्क्वाड्रन 315 की - 'विंग्ड स्टैलियन्स' का हिस्सा था। राष्ट्र के प्रति इसकी असाधारण सेवा के सम्मान में अंतिम उड़ान के बाद इसका वाटर कैनन से स्वागत किया गया।