Cancer: भारतीय वैज्ञानिकों नें रचा इतिहास, कैंसर से लड़ने की बनाई नई तकनीक
Cancer: सोने के नैनो पार्टिकल्स को कैंसर कोशिकाओं को टारगेट करने के लिए रासायनिक रूप से संशोधित किया जा सकता है।
Cancer: दुनिभर में 50 वर्ष से कम उम्र के लोगों में कैंसर तेजी से बढ़ा है। एक शोध से पता चला है कि शुरुआती कैंसर के वैश्विक मामले 1990 में 1.82 मिलियन से बढ़कर 2019 में 3.26 मिलियन हो गए। जबकि 40, 30 या उससे कम उम्र के वयस्कों में कैंसर से मौतों में 27 फीसदी की वृद्धि हुई।
इन हालातों में हाल ही में, भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) के वैज्ञानिकों ने कैंसर कोशिकाओं का संभावित रूप से पता लगाने और उन्हें मारने के लिए एक नई तकनीक विकसित किया है। बेंगलुरु स्थित आईआईएससी ने कहा है कि कैंसर के खिलाफ लड़ाई में शुरुआती पहचान और उपचार सबसे महत्वपूर्ण है।
नैनो पार्टिकल्स का इस्तेमाल
"एसीएस एप्लाइड नैनो मैटेरियल्स" में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, वैज्ञानिकों ने सोने और तांबे के सल्फाइड से बने हाइब्रिड नैनोकण बनाए हैं, जो गर्मी का उपयोग करके कैंसर कोशिकाओं को मार सकते हैं और ध्वनि तरंगों का उपयोग करके उनका पता लगा सकते हैं।
कॉपर सल्फाइड नैनोकणों ने कैंसर की डायग्नोसिस में उनके इस्तेमाल के लिए ध्यान आकर्षित किया है, जबकि सोने के नैनोकणों ने कैंसर विरोधी प्रभाव दिखाया है। सोने के नैनो पार्टिकल्स को कैंसर कोशिकाओं को टारगेट करने के लिए रासायनिक रूप से संशोधित किया जा सकता है।
आईआईएससी के इंस्ट्रुमेंटेशन एंड एप्लाइड फिजिक्स (आईएपी) विभाग में सहायक प्रोफेसर और पेपर के संबंधित लेखकों में से एक जया प्रकाश कहते हैं कि वर्तमान अध्ययन में आईआईएससी टीम ने इन दोनों को हाइब्रिड नैनोकणों में कंबाइन करने का निर्णय लिया था। इन कणों में फोटोथर्मल, ऑक्सीडेटिव तनाव और फोटोकॉस्टिक गुण होते हैं। जब इन हाइब्रिड नैनोकणों पर प्रकाश डाला जाता है, तो वे प्रकाश को सोख लेते हैं और गर्मी उत्पन्न करते हैं, जो कैंसर कोशिकाओं को मार सकती है। ये नैनोकण एकल ऑक्सीजन परमाणु भी उत्पन्न करते हैं जो कोशिकाओं के लिए विषैले होते हैं। जया प्रकाश बताते हैं, ''हम चाहते हैं कि ये दोनों तंत्र कैंसर कोशिका को मारें।'' शोधकर्ताओं का कहना है कि नैनोकण कुछ कैंसर के निदान में भी मदद कर सकते हैं।