ISRO: कभी बैलगाड़ी से शुरू किया था सफर, आज बना चुका है वर्ल्ड रिकॉर्ड
इसरो की शुरुआत बहुत अच्छी नहीं थी। एक समय ऐसा भी था जब संगठन दूसरे देशों पर ज्यादा निर्भर था। इसरो ने अपना सफर शून्य से शुरू किया। आज संगठन किसी देश की मदद नहीं लेता बल्कि दूसरे देशों की मदद करता है। ‘मंगलयान’ लॉंच करने के बाद संगठन का मान दुनिया में और बढ़ गया।
नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 15 अगस्त को अपने 50 साल पूरे कर लिए हैं। भारत ने कल यानि 15 अगस्त को 73वां स्वतंत्रता दिवस मनाया। इसी दिन इसरो ने अपना अर्धशतक भी पूरा कर लिया। इस साल अपना गोल्डन जुबली इयर मना रहा इसरो डॉ विक्रम साराभाई का सपना था, जिसे उन्होने साकार किया। अपने 50 साल की यात्रा में इसरो ने कई कीर्तिमान स्थापित किए।
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डॉ विक्रम साराभाई का हमेशा से कहना था कि आम नागरिकों के हित में ही अंतरिक्ष विज्ञान और तकनीक का प्रयोग होना चाहिए। संगठन के वर्तमान चेयरमैन के. सिवन साराभाई की इस सोच से इत्तेफाक रखते हैं। यही कारण है कि 15 अगस्त 1969 को स्थापित इसरो मछुआरों के लिए इसरो रीयल टाइम सैटलाइट का प्रयोग कर रहा है।
इस साल इसरो ने हासिल की कई उपलब्धियां
यह साल न सिर्फ संगठन का गोल्डन जुबली इयर है बल्कि यह साल विक्रम साराभाई की जन्मशती का भी वर्ष है। इसी साल संगठन ने मिशन चंद्रयान-2 को लॉंच किया। संगठन के इस मिशन पर न सिर्फ देश की बल्कि पूरी दुनिया की नजर है। यह साल इस लिहाज से भी खास है क्योंकि यह इसरो की स्थापना का 50वां साल है।
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इसरो की वजह से पूरा हुआ मंगल जाने का सपना
मंगलयान भारत का पहला मंगल अभियान है। यह भारत की प्रथम ग्रहों के बीच का मिशन है। साथ ही, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की एक महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष परियोजना है। इस परियोजना के तहत 5 नवंबर 2013 को 2 बजकर 38 मिनट पर मंगल ग्रह की परिक्रमा करने के लिए छोड़ा गया एक उपग्रह आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसऍलवी) सी-25 के द्वारा सफलतापूर्वक छोड़ा गया। इसके साथ ही, भारत भी अब उन देशों में शामिल हो गया है, जिन्होंने मंगल पर अपने यान भेजे हैं।
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वैसे अब तक मंगल को जानने के लिये शुरू किये गये दो तिहाई अभियान असफल भी रहे हैं। मगर 24 सितंबर 2014 को मंगल पर पहुंचने के साथ ही भारत विश्व में अपने पहले प्रयास में ही सफल होने वाला पहला देश और सोवियत रूस, नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के बाद दुनिया का चौथा देश बन गया है। इसके अलावा ये मंगल पर भेजा गया सबसे सस्ता मिशन भी है। भारत एशिया का भी ऐसा करने वाला पहला देश बन गया क्योंकि इससे पहले चीन और जापान अपने मंगल अभियान में असफल रहे थे।
आज दूसरे देशों की मदद कर रहा इसरो
इसरो की शुरुआत बहुत अच्छी नहीं थी। एक समय ऐसा भी था जब संगठन दूसरे देशों पर ज्यादा निर्भर था। इसरो ने अपना सफर शून्य से शुरू किया। आज संगठन किसी देश की मदद नहीं लेता बल्कि दूसरे देशों की मदद करता है। ‘मंगलयान’ लॉंच करने के बाद संगठन का मान दुनिया में और बढ़ गया। बता दें, इसरो के नाम एक वर्ल्ड रेकॉर्ड दर्ज है। संगठन ने 15 फरवरी 2017 को एक साथ 104 सैटलाइट लॉन्च की थीं, जिसमें ज्यादातर सैटलाइट दूसरे देशों की थीं।