विराट कृष्ण
भारत में पहली पानी में चलने वाली मेट्रो का सपना बहुत जल्द साकार होने जा रहा है। हालांकि परियोजना में विलंब हो जाने से इसकी लागत दोगुनी हो गई है। अनुमान है कि यह नई लाइन करीब नौ लाख लोगों को प्रतिदिन गंतव्य तक पहुंचाएगी। हावड़ा और कोलकाता को जोड़ने वाली हुगली नदी में पानी के नीचे चलेगी यह मेट्रो।
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आप कल्पना कीजिए पानी के अंदर से मेट्रो को निकलने में कितना समय लगेगा। जी हां बड़ी बात यह है कि मेट्रो पानी के नीचे बनी सुरंग में 520 मीटर की दूरी तय करने में एक मिनट से भी कम समय लेगी। हालांकि बोट से यह दूरी तय करने में 20 मिनट लगते हैं। और अगर आप हावड़ा ब्रिज से सड़क के रास्ते यह दूरी तय करने में लगभग एक घंटे का समय लगता है। कोलकाता मेट्रो रेल कार्पोरेशन जापान इंटरनेशनल कारपोरेशन एजेंसी से लिए गए कर्ज को छह साल बाद से 30 साल की अवधि में अदा करेगी।
यह भारत का सबसे पुराना मेट्रो है जो उत्तर दक्षिण क्षेत्र की सेवा के लिए 1984 में आरंभ हुआ था। इसका यह विस्तार 2014 तक हो जाना था लेकिन निर्धारित रूट पर अतिक्रमण के चलते इसमें विलम्ब हुआ।
छह साल लंबे विलम्ब के बाद अब कोलकाता मेट्रो कारपोरेशन के इस पूरब पश्चिम प्रोजेक्ट के मार्च 2022 तक पूरा हो जाने का अनुमान है। यह प्रोजेक्ट आंशिक रूप से शहर की पहचान कही जाने वाली हुगली नदी के नीचे बन रहा है।
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केएमआरसी के प्रबंध निदेशक मानस सरकार का इस बारे में कहना है कि अधिकारियों को अब अगले दो साल के लिए इंडियन रेलवे बोर्ड से 2.8 मिलियन डॉलर यानी लगभग 20 करोड़ की अंतिम किश्त मिलने का इंतजार है। जापान इंटरनेशनल कारपोरेशन एजेंसी ने इस प्रोजेक्ट के 48.5 फीसद का उदार कर्ज दिया है जोकि लगभग 41.6 बिलियन डॉलर है।
इन कारणों से दोगुनी हुई मेट्रो की लागत
सरकार का कहना है कि अतिक्रमण सहित अन्य समस्याओं के चलते 14 किमी लंबी इस परियोजना की लंबाई तीन किलोमीटर बढ़ाकर 17 किमी करनी पड़ी, वहीं परियोजना लागत भी 49 बिलियन डॉलर से बढ़कर 86 बिलियन डॉलर हो गई।
अधिकारी का कहना है कि अब कुल परिवहन मांग का लगभग 40 फीसद ट्रैफिक इन दो मेट्रो सेवाओं से निपट जाएगा। यह पर्यावरण प्रदूषण की समस्या के लिए एक राहत की बात होगी। नई लाइन से प्रतिदिन लगभग 9,00,000 लोगों को लाने ले जाने की उम्मीद है। यह शहर की आबादी का लगभग 20 फीसद हिस्सा होगा।
छह साल की प्रारंभिक अधिस्थगन के बाद केएमआरसी 30 वर्ष से अधिक समय में इंटरनेशनल का ऋण चुकाएगी। इस कर्ज पर ब्याज दर 1.2% से 1.6% के बीच है। ईस्ट-वेस्ट मेट्रो परियोजना भारत के रेल मंत्रालय के स्वामित्व में 74% और देश के आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा 26% है। सरकार ने कहा, '' हम अब और अधिक लागत वृद्धि का अनुमान नहीं लगाते हैं।