Indira Gandhi: क्या था इंदिरा गांधी को दुर्गा कहे जाने का विवाद? किस बड़े नेता की टिप्पणी पर आया भूचाल, जानें सच्चाई

Indira Gandhi: साहसिक फैसले लेने वाली इंदिरा गांधी ने लगातार तीन बार और कुल चार बार देश की बागडोर संभाली।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update:2022-11-19 08:00 IST

प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (photo: social media ) 

Indira Gandhi: देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) को फौलादी इरादों और निर्भीक फैसलों के लिए जाना जाता है। देश और दुनिया की राजनीति में उन्हें प्रभावशाली नेता माना जाता रहा है। जवाहरलाल नेहरू और कमला नेहरू के यहां 1917 में आज ही के दिन उनका जन्म हुआ था। साहसिक फैसले लेने वाली इंदिरा गांधी ने लगातार तीन बार और कुल चार बार देश की बागडोर संभाली। 1971 की जंग में उन्होंने पाकिस्तान को सबक सिखाया था। हजारों पाकिस्तानी सैनिक न केवल सरेंडर करने पर मजबूर हुए बल्कि पड़ोस में एक नए मुल्क बांग्लादेश का भी उदय हुआ।

पाकिस्तान से जंग के बाद इंदिरा गांधी के संबंध में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बयान का एक किस्सा देश की सियासत में खूब चर्चा का विषय बना था। यह कहा जाता रहा है कि 1971 में संसद में दिए गए अपने एक भाषण के दौरान वाजपेयी ने इंदिरा गांधी को दुर्गा कहकर संबोधित किया था। कई नेताओं ने बाद के दिनों में इस बात का जिक्र किया। हालांकि वाजपेयी ने इस बात का खंडन करते हुए कहा था कि उन्होंने ऐसा कोई बयान नहीं दिया था। उनके नाम से मीडिया में गलत खबर छाप दी गई थी।

1971 में इंदिरा का साहसिक कदम

दरअसल 1971 में इंदिरा गांधी ने साहसिक कदम उठाते हुए पाकिस्तान को पानी पिला दिया था। उस समय पाकिस्तान चीन और अमेरिका की ताकत पर इठलाते हुए भारत को गीदड़भभकी में दे रहा था मगर उसे नहीं पता था कि उसका पाला इंदिरा गांधी जैसे फौलादी इरादों वाली महिला से पड़ गया है। इंदिरा गांधी ने न केवल सेना को तैयार रहने का आदेश दिया बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने भी उसे घेरना शुरू कर दिया। इंदिरा गांधी के सशक्त नेतृत्व में भारतीय सेना ने पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था। भारत ने जल्द ही पाकिस्तान से यह जंग जीत ली थी जिसके परिणाम स्वरूप बांग्लादेश का जन्म हुआ।

Indira Gandhi (photo: social media ) 

संसद में क्या था वाजपेयी का बयान

1971 में पाकिस्तान के खिलाफ जंग में एक बड़ी कामयाबी के बाद विपक्षी के तत्कालीन नेता अटल बिहारी वाजपेयी की एक भाषण की चर्चा हमेशा की जाती रही है। कहा जाता है कि उन्होंने कथित तौर पर इंदिरा गांधी को दुर्गा कहकर संबोधित किया था। कांग्रेस सहित कुछ अन्य नेताओं का कहना है कि उस समय सदन में पाकिस्तान से हुए युद्ध पर चर्चा चल रही थी।

इस मुद्दे पर सदन में चर्चा के दौरान वाजपेयी ने कहा था कि लड़ाई में इंदिरा गांधी ने जो भूमिका अदा दी है,वह वाकई काबिले तारीफ है। नेताओं के मुताबिक वाजपेयी का कहना था कि हमें बहस छोड़कर इंदिरा की भूमिका पर चर्चा करनी चाहिए जो किसी दुर्गा से कम नहीं थी।

एक किताब में भी प्रकरण का जिक्र

पत्रकार विजय त्रिवेदी की किताब हार नहीं मानूंगा-एक अटल जीवन गाथा में भी इस प्रकरण का जिक्र मिलता है। किताब में दावा किया गया है कि एक बैठक के दौरान वाजपेयी ने डीपीटी से कहा था कि इंदिरा ने अपने बाप नेहरू से कुछ भी नहीं सीखा। मुझे दुख है कि मैंने उन्हें दुर्गा कहा।

हालांकि अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने जीवनकाल में इस बात का हमेशा खंडन किया कि उन्होंने संसद में अपने भाषण के दौरान इंदिरा गांधी को कभी दुर्गा की उपाधि दी थी। उनका कहना था कि अखबार वालों ने सुनी सुनाई बातों पर इस संबंध में खबर छाप दी जबकि मैंने ऐसा कुछ भी नहीं कहा था।

वैसे देश का प्रधानमंत्री बनने के बाद वाजपेयी ने एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा था की मैंने इंदिरा गांधी के लिए दुर्गा का इस्तेमाल नहीं किया। कुछ अखबारों ने कहीसुनी बातों के आधार पर खबर छाप दी। मैंने अगले ही दिन उसका खंडन किया था मगर उसे कोने में समेट दिया गया।

इंदिरा गांधी-अटल बिहारी वाजपेयी (photo: social media )

वाजपेयी ने क्या दी थी सफाई

वाजपेयी ने एक इंटरव्यू के दौरान इंदिरा गांधी को दुर्गा कहे जाने के मुद्दे पर खुलकर अपना पक्ष रखा था। उन्होंने इस दावे का खंडन करते हुए कहा था कि उन्होंने कभी इंदिरा गांधी के लिए ये शब्द नहीं कहे। वाजपेयी का कहना था कि मैंने कभी इंदिरा गांधी को दुर्गा नहीं कहा। उनका कहना था कि यह बात अखबार वालों ने छाप दी और मैं हमेशा इसका खंडन ही करता रह गया कि मैंने उन्हें दुर्गा कहा था।

वाजपेयी का कहना था कि इस मुद्दे पर काफी खोजबीन की जा चुकी है। वाजपेयी का कहना था कि श्रीमती पुपुल जिक्र ने इंदिरा जी के बारे में एक किताब लिखी और इस किताब में वे इस बात का जिक्र करना चाहती थीं कि मैंने उन्हें दुर्गा की उपाधि दी थी। इस संबंध में बातचीत करने के लिए वे मेरे पास आई थीं।

वाजपेयी के मुताबिक मैंने उन्हें स्पष्ट तौर पर बताया कि मैंने उन्हें दुर्गा नहीं कहा। यह बात अलग है कि मेरे नाम से यह खबर अखबारों में छपी जरूर थी। उन्होंने लाइब्रेरी जाकर भी इस बाबत काफी पड़ताल की और सारी कार्यवाहियां देखीं मगर मेरे मुंह से दुर्गा का उल्लेख कहीं नहीं मिला। फिर भी यह बात हमेशा कही जाती रही कि मैंने उन्हें दुर्गा कहा था।

2016 में भी संसद में गूंजा था मामला

वैसे माकपा नेता सीताराम येचुरी ने 2016 में संसद में अपने भाषण के दौरान इस प्रकरण का जिक्र किया था जिसे लेकर उन्हें भाजपा के तीखे विरोध का सामना करना पड़ा था। संसद में बहस के दौरान येचुरी ने यहां तक दावा किया था कि अटल बिहारी वाजपेयी ने इंदिरा गांधी को दुर्गा कहकर पुकारा था।

येचुरी का कहना था कि बाद में वाजपेयी ने इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया था क्योंकि देश में बहुत से दलित महिषासुर की पूजा करते हैं। येचुरक के इस बयान पर सदन में मौजूद भाजपा सदस्यों और सदन के नेता अरुण जेटली ने तीखा विरोध जताया था। जेटली ने येचुरी के बयान का विरोध करते हुए कहा था कि एक जिम्मेदार नेता जब कुछ बोलता है तो उसे तथ्यों के साथ अपनी बात कहनी चाहिए।

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