Indira Gandhi Death Anniversary: इंदिरा गांधी की 40वीं पुण्यतिथि, एक नजर आयरन लेडी के आयरन फैसलों पर
Indira Gandhi Death Anniversary: इंदिरा गांधी एक चतुर राजनीतिज्ञ थीं। अगर उनके पूरे कार्यकाल को देखें तो श्रीमती गांधी ने दृढ़तापूर्वक और चतुराई से शासन किया।
Indira Gandhi Death Anniversary: देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरागांधी की आज 40वीं पुण्यतिथि है। इंदिरा गांधी देश की दबंग छवि की प्रधानमंत्री रहीं। इसीलिए उन्हें आयरन लेडी भी कहा गया। वैसे देखा जाए तो इंदिरा गांधी देश की आजादी के बाद भारतीय राजनीति पर हावी होने वाली सबसे प्रमुख हस्तियों में से एक रहीं। इंदिरा गांधी ने लगातार तीन बार प्रधान मंत्री के रूप में काम किया और 31 अक्टूबर 1984 को हत्या होने तक उन्होंने चौथी बार भी काम किया।
इंदिरा गांधी एक चतुर राजनीतिज्ञ थीं। अगर उनके पूरे कार्यकाल को देखें तो श्रीमती गांधी ने दृढ़तापूर्वक और चतुराई से शासन किया। उन्होंने कई बार अपने राजनीतिक जीवन में आई चुनौतियों से खुद को बाहर निकाला। कठिन और कठिन निर्णयों को लेने में देर नहीं लगाई। जिसके चलते इंदिरा गांधी को भारत की आयरन लेडी का खिताब दिया गया। इंदिरा गांधी कभी भी अपने मन की बात कहने और उस पर उचित कार्रवाई करने से नहीं हिचकिचाईं।
देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए जब हरित क्रांति की सर्वाधिक आवश्यकता थी उस साठ के दशक के मध्य और उत्तरार्ध में इंदिरा गांधी ने इसे अपने क्रांतिकारी कार्यक्रम का एक अनिवार्य हिस्सा बनाया या ये कहें इंदिरा गांधी ने हरित क्रांति को एक शीर्ष सरकारी लक्ष्य बनाया, राज्य सब्सिडी, बिजली, पानी, उर्वरक और नए संकर बीजों के साथ किसान ऋण का प्रावधान शुरू किया। कृषि राजस्व को कराधान से छूट दी गई थी। इसके परिणाम बहुत ही सकारात्मक रहे। भारत ने खाद्य आत्मनिर्भरता हासिल की, जो अमेरिका की अविश्वसनीय और शर्तों से भरी खाद्य सहायता के बाद इंदिरा गांधी के लिए सबसे बड़ा लक्ष्य था। उनकी पहल और निर्णयों ने भारत की राजनीति को प्रभावित किया और अब भी प्रभावित कर रहे हैं।
1971 का भारत-पाक युद्ध, जो पाकिस्तान से बांग्लादेश की आजादी के संघर्ष में भारत के समर्थन का परिणाम था, इंदिरा गांधी ने उल्लेखनीय धैर्य और संयम के साथ युद्ध किया। भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तानी सशस्त्र बलों के लगभग 93000 सदस्यों को युद्ध बंदी बना लिया गया। भारत को युद्ध जीतने और बांग्लादेश को खुद को एक स्वतंत्र राष्ट्र घोषित करने में मदद करने में केवल 13 दिन लगे। यह इंदिरा गांधी की बहुत ही बड़ी कूटनीतिक सफलता थी।
इसी तरह 20 जुलाई 1969 को इंदिरा गांधी ने निजी क्षेत्र के 14 बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया। यह 1947 के बाद किसी भी प्रशासन द्वारा चुना गया सबसे महत्वपूर्ण आर्थिक विकल्प था। हालाँकि उनके फैसले के लिए काफी आलोचना हुई, लेकिन वह इस पर कायम रहीं और अंततः यह फैसला सही साबित हुआ।
इसी तरह इंदिरा गांधी भारत में प्रिवीपर्स और राजसी विशेषाधिकारों को समाप्त करने की प्रबल समर्थक थीं और 1971 में भारतीय संविधान के 26वें संशोधन के जरिये उन्होंने इस प्रथा को प्रभावी रूप से समाप्त कर दिया। इस तरह प्रिवीपर्स के चलते देश की अर्थ व्यवस्था पर से एक बड़ा बोझ खत्म हुआ हालांकि उनके इस फैसले की भी काफी आलोचना हुई लेकिन इसे समर्थन जबर्दस्त मिला जिससे यह सफल रहा।
इंदिरा गांधी का एक और महत्वपूर्ण निर्णय था पोखरण परमाणु परीक्षण जिसने दुनिया के सामने भारत का कद काफी ऊंचा कर दिया। देश के इस पहले सफल परमाणु परीक्षण का कूटनाम स्माइलिंग बुद्धा था। यह परीक्षण 18 मई 1974 को पोखरण (राजस्थान) में सेना के स्थल पर जिसे पोखरण टेस्ट रेंज कहते है वहां सेना के अफसरों की निगरानी में किया गया था। खास बात यह है कि यह परीक्षण संयुक्त राष्ट्र के पाँच स्थायी सदस्य देशों के अलावा किसी अन्य देश द्वारा किया गया पहला परमाणु हथियार का परीक्षण था। अधिकारिक रूप से भारतीय विदेश मन्त्रालय ने इसे शान्तिपूर्ण परमाणु बम विस्फोट बताया, लेकिन वास्तविक रूप से यह त्वरित परमाणु कार्यक्रम था।